बालको के विरुद्ध केद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिख पाएंगे डॉ. राजीव सिंह..? दिलीप मिरी ने दिखाया था दम.. बालको को बेअसर चेतावनी के 10 दिन हुए पूरे.. मोर्चे में जंग या…!
अब जब केंद्र में सरकार वाले भाजपाई बालको प्रबंधन के विरुद्ध मोर्चा ले रहे हैं तो एक छोटी सी आशा तो है कि जल, वन के गंभीर विषय पर यह जंग वास्तविक रूप से धरातल पर होगी और इस मोर्चे में कोई जंग नही लगेगी बल्कि धार बढ़ेगी।
कोरबा। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह के द्वारा बालको प्रबंधन को अपने 6 सूत्रीय बिंदुओं पर काम न होने पर 10 दिनों के बाद आंदोलन की चेतावनी दी थी। रविवार को 10 दिन पूरे हो चुके हैं और बालको प्रबंधन की ओर से किसी तरह का कोई प्रतिउत्तर भाजपा जिलाध्यक्ष को नहीं दिया गया है न ही किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। स्वाभाविक रूप से बालको प्रबंधन द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ राजीव सिंह की चेतावनी को हल्के में लिया गया है।

इससे जिले के राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों में चर्चा है कि क्या कोई बड़ा आंदोलन भाजपा बालको के विरुद्ध खड़ा कर कर पायेगी!!
अब देखना यह है कि भाजपा द्वारा आंदोलन की हुंकार मात्र प्रेस कांफ्रेंस तक ही सीमित होकर रह जायेगी या आंदोलन अपने ठोस अंजाम तक पहुंच पाएगी। भारी-भरकम नेतृत्व होने के बाद भी भाजपा जिला द्वारा यह आंदोलन अगर मात्र प्रतीकात्मक रूप से किया जाता है तो जिले में अब तक भाजपा का यह सबसे असफल आंदोलन साबित होगा, जिसका भुगतान आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को करना पड़ेगा।
स्थानीय लोगों को नौकरी, वाहनों से प्रदूषण, अधिकारियों का शोषण ये ऐसे बिंदु हैं जिन पर शोषित स्वयं लड़ सकते हैं और सामान्य गली मोहल्ले की आम जनता से लेकर पार्षद तक लड़ रहे हैं
लेकिन
बिलखती जीवनधारा-जीवनदायिनी मां हसदेव किससे लड़ने जाएगी, मां के अधिकारों की लड़ाई तो बेटे ही लड़ेंगे क्योंकि मां हसदेव तो टेंट लगाकर धरने में नहीं बैठ सकती, वो कोर्ट में आवेदन भी नहीं दे सकती। वो तो नम आंखों से अपनी बर्बादी को लेकर बस रो सकती है लेकिन हसदेव की बर्बादी पर सक्षम लोग मौन हैं तो यह पाप है, त्रासदी है।


420,120बी एवं अन्य धाराओं में प्रथम सूचना दर्ज करने की गई थी शिकायत
इसके साथ ही भाजपा जिलाध्यक्ष सतरेंगा वन क्षेत्र को लेकर भी एक बड़ा ऐतिहासिक काम कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि सतरेंगा की दिशा में संरक्षित वन क्षेत्र में सफेद जहर (राख) डाले जाने के विषय पर छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के अध्यक्ष दिलीप मिरी ने एक ज्ञापन कोरबा जिलाधीश को सौंपकर मांग की थी कि:-
1) यह कि राखड़ पाटने हेतु अनुमति/NOC देने के पूर्व ग्राम-सतरेंगा के ग्रामसभा से विधिवत रूप से प्रस्ताव पारित कर अनुमति नहीं ली गयी है।
2) यह कि बालको-सतरेंगा रोड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाया गया है, और इस सड़क में 12 टन से अधिक क्षमता के भारी वाहन नहीं चलने का प्रावधान है, और राखड़ पाटने हेतु अनुमति/NOC देने के पूर्व PMGSY विभाग से अनुमति नही ली गयी है।
3) यह कि बालको से सतरेंगा पुरी तरफ़ से घने जंगलों से घिरा हुआ है, और यह जंगल DFO कोरबा के अधीन है,DFO कार्यालय से भी अनुमति/अनापत्ति नही ली गयी है।
4) दिनांक:- 24/12/2021 को 300000 (3 लाख) MT राखड़ पाटने की अनुमति देने के बाद दुबारा NOC/अनुमति देने के पूर्व किसी तरफ़ का भौतिक सत्यापन नही किया गया है।

5) बहुत से जमीन कृषि भूमि है और CENARA BANK KORBA व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में गिरवी (MORTGAGED) के रूप में बंधित है, NOC/अनुमति देने के पूर्व उक्त बैंक कार्यालय से भी अनुमति/अनापत्ति नही ली गयी है।
इसके साथ ही श्री मिरी ने सतरेंगा में बिना भौतिक सत्यापन के राखड़ पाटने हेतु दिए गए सभी अवैधानिक अनुमतियों को निरस्त करते हुए, संबंधित बालको के अधिकारीयों एवं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारीयों के विरुद्ध 420,120बी एवं अन्य धाराओं में प्रथम सूचना दर्ज कराके के क़ानूनी कार्यवाही किया जाए।”

यह मांग एक क्षेत्रीय पार्टी के नेता दिलीप मिरी ने की थी। डॉ राजीव सिंह जिस भाजपा से जुड़े हैं उसकी केंद्र में सरकार है।भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन को पत्र लिखकर क्या उचित कार्यवाही की मांग डॉ राजीव सिंह कर पाएंगे ? इस बात को लेकर जिले के राजनीतिक गलियारे में कानाफूसी चल रही है।
वैसे मात्र पत्र लिखकर समस्याओं के निराकरण की आस करना बेमानी है और मात्र औपचारिकता पूरी करने की बात होगी। पत्र लिखने के साथ ही धरातल पर लगातार आंदोलन ही उचित परिणाम लाएगा।
सामान्य विषयों पर तो टेंट गड़ाकर कोई भी 2-4 दिनों के लिए धरना प्रदर्शन, आंदोलन के नाम पर बैठ जाता है
लेकिन
नदी और जंगल की बर्बरता से बर्बादी कोई सामान्य विषय नहीं है और सामान्य लोग इसमें हस्तक्षेप भी नहीं कर सकते। बड़ा विषय है और केंद्र में सरकार भी भाजपा की है।
सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत भी इसे लेकर पत्र लिख चुकीं हैं लेकिन कही कोई कार्यवाही हुई हो ऐसा कही नजर नहीं आ रहा।
अब जब केंद्र में सरकार वाले भाजपाई बालको प्रबंधन के विरुद्ध मोर्चा ले रहे हैं तो एक छोटी सी आशा तो है कि जल, वन के गंभीर विषय पर यह जंग वास्तविक रूप से धरातल पर होगी और इस मोर्चे में कोई जंग नही लगेगी बल्कि धार बढ़ेगी।
शेष बिंदुओ पर लड़ने के लिए नेताओं, पार्षदों की भीड़ जमा है। जिले में आमजनमानस को जल और वन पर लड़ने वाले नेतृत्व की आस है जिसे जिले का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन भाजपा ही मूर्त रूप प्रदान कर सकता है।



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