● ऊर्जा नगरी के नाम से प्रसिद्ध कोरबा में भाजपा नेतृत्व की यह दशा है तो आगे आसन्न विधानसभा चुनावों में क्या स्थिति होगी ?
● प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से चुनावी वैतरणी पार नहीं होने वाली, इसके लिए स्वयं ही पसीना बहाना होगा। पीएम के नाम से वोट अवश्य बढ़ेंगे लेकिन अंतिम सीमा रेखा जनमानस के लिए जनहित के विषयों पर बहाए गए पसीने की महक से पार होगी।
● विज्ञप्ति जारी करने और ज्ञापन सौंपने से समस्या का समाधान नहीं होता। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो समस्या जिले की सबसे बड़ी चुनौती है उस समस्या को सौंपे गए ज्ञापन में तीसरी श्रेणी में रखा गया।
● क्या केंद्रीय मंत्री दिल्ली से हथौड़ी-पाने से कस-ठोककर ठीक कर देंगे या स्थानीय स्तर पर आपका प्रयास रंग लाएगा?
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●11 जून की डेंगुर नाले की दुर्दशा का अपराधी इस लिंक पर..
●बात पहुंचानी ही थी तो केंद्रीय वन एवं जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव तक पहुंचानी थी क्योंकि पर्यावरण के गंभीर विषय पर सीधा प्रहार वे ही कर सकते हैं लेकिन यहां पर मात्र ज्ञापन सौंपकर अपने कर्तव्य की इतिश्री वाली बात हुई, रेल की पटरी पर हवाई जहाज लैंडिंग करने वाली बात हुई है। स्पष्ट है कि इस ज्ञापन से कुछ होने वाला नहीं है।
कोरबा। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से सौजन्य भेंट कर भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह के नेतृत्व में बालको के विभिन्न ज्वलंत विषयों को लेकर भाजपाईयों ने ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की।
डॉ. राजीव सिंह के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में बालको प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगों की उपेक्षा प्रमुख विषय था, दूसरे क्रम में बालको में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हो रहे शोषण की बात थी और सबसे अंतिम तीसरे स्थान पर प्रदूषण की समस्या को रखा गया था।
भाजपा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि केंद्रीय मंत्री जो ज्ञापन दिया गया है। उसपर केंद्रीय मंत्री जी ने कठोर कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
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“नमामि हसदेव”-भाग-01.. ऊर्जा नगरी के मुर्दों में भागीरथी तलाश रही जीवनधारा.. डेंगू नाला में विषैला, केमिकलयुक्त पानी.. कांप रहें हैं हाथ…
अक्सर बात उठती रही है कि भाजपा संगठन जिले में कमजोर है और यही कमजोरी जारी किए गए प्रेस नोट में भी उजागर हुई है जब जिले की सबसे बड़ी समस्या बालको द्वारा पर्यावरण को पहुंचाई जा रही क्षति को तीसरे क्रम में रखा गया है।
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ राजीव सिंह स्वयं चिकित्सा पेशे से जुड़े हुए हैं और अच्छे से जानते हैं कि बालको प्रबंधन के द्वारा अनवरत किस प्रकार से लालघाट के पास से डेंगुर नाला में विषाक्त काला पानी छोड़कर कोरबा की जीवनधारा-जीवनदायिनी हसदेव नदी को प्रदूषित किया जा रहा है।
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हसदेव-डेंगुर नाला की बर्बादी इस लिंक पर पढ़े और समझिए कि किस रोग को लोग रोज पी रहें हैं..अपने ग्रुप्स में साझा भी करें…
“नमामि हसदेव”-भाग-04 : पर्यावरण दिवस पर बालको का पर्यावरण विरोधी कुकृत्य जारी रहा.. निगम क्षेत्र में कैंसर, अस्थमा, न्यूकोनोसिस सहित कई बीमारियों को खुलकर दिया जा रहा निमंत्रण..http://veerchhattisgarh.in/?p=13153
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किस प्रकार की बीमारियों की बारिश जीवनदायिनी हसदेव में बालको प्रबंधन के द्वारा की जा रही है, यह देखना हो तो लालघाट बाईपास मार्ग पर नाले में जहां से बालको प्रबंधन के द्वारा काले विषैले जल को प्रवाहित किया जा रहा है वहां पर जाना चाहिए। जाएं तो साथ 4-5 ट्रकों गिट्टी-मिट्टी ले जाकर नाले के मुंहाने को बंद कर दें। स्थाई तौर पर जब तक इसे बंद नहीं किया जाएगा तब तक जीवनदायिनी हसदेव के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। बालको प्रबंधन को इस नाले की आवश्यकता ही क्यों है?
इस मुंहाने से डेंगुर नाला के से होकर हसदेव की जलधारा में प्रवाहित किया जाता है विषाक्त जल।
दिल्ली से कुछ घंटों के लिए दौरे पर आए मंत्री जी के बस की बात नहीं है। यह लड़ाई जमीनी स्तर पर ही स्थानीय नेतृत्व को करना पड़ेगा। पिछले लंबे अरसे से बालको द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को लेकर कोई वृहद उल्लेखनीय आंदोलन स्थानीय भाजपा नेतृत्व द्वारा नहीं किया गया है जबकि बालको का क्षेत्र ही प्रदेश के दो महत्वपूर्ण विधानसभाओं से जुड़ा हुआ है और बालको द्वारा हसदेव नदी के प्रदूषण का विषय कई विधानसभाओं को टच करता है।
डेंगुर नाला या कहें केसला नदी जंगलों से होकर बहते हुए इसके बाद जब यह पानी लालघाट के पास केमिकलयुक्त मिश्रण से अपने में गंदगी समेटे जब जीवनधारा हसदेव में मिलती है और निगम के नल कनेक्सनों के द्वारा जब शहर के वार्डों में पहुंचने के बाद टंकी के तल में अपशिष्ट जमा पदार्थ, जिसे सारा शहर रोज उपयोग करता है।
झक सफेद कपड़ों और पतंजलि दंतकांति की मुस्कान बिखेरते चेहरे के साथ ज्ञापन.. ऐसे में क्या प्रदूषण से क्षेत्र की जनता को मुक्ति मिलेगी ? प्रदूषण दूर करना है तो पसीने से नहाये हुए चेहरे के साथ ही जिले वासियों और नदी की दुर्दशा को देखकर तमतमाता चेहरा ही प्रदूषण के मुख पर कालिख पोत सकता है।
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जनहित के विषयों पर खुलकर अपनी बात रखने वाले निरंतर सामाजिक विषयों पर अग्र भूमिका निभाने वाले डॉ. रविकांत सिंह राठौर से प्रदूषण के दुष्प्रभाव और राख से होने वाले स्वास्थ्यगत दुष्परिणामों को लेकर कहते हैं – ” इससे अस्थमा हो सकता है। सांस से संबंधित सारी बीमारियां हो सकती हैं टीबी, निमोनिया को छोड़कर। न्यूकोनोसिस नामक बीमारी में राख के कण फेफड़े में जाकर जमा हो जाते हैं। राख के कारण कैंसर हो सकता है लंग कैंसर हो सकता है और अस्थमा जिसे है उसका अस्थमा बढ़ सकता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन प्रदूषण के कारण कम पहुंचता है और खून में ऑक्सीजन कम पहुंचने से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अगर आदमी बीमार है और साथ में उसे शुगर बीपी है तो प्रदूषित हवा में सांस लेकर बीमारी के बढ़ने के चांस भी हैं। राख के कारण अस्थमा, न्यूकोनोसिस, कैंसर तीन बड़ी बड़ी बीमारियां तो हो ही सकती हैं। प्रदूषण के कारण लोगों के बाल भी झड़ रहे हैं और त्वचा संबंधी रोग भी इसके दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहे हैं।
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भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह के साथ जिला महामंत्री संतोष देवांगन, जिला उपाध्यक्ष आलोक सिंह, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य/पार्षद लोकेश चौहान,भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम लाल मरावी, प्रदेश सदस्य आईटी सेल लक्की नंदा, जिला संयोजक आईटी सेल अजय चंद्रा, दर्री मंडल अध्यक्ष ईश्वर साहू, पार्षद गोलू पांडेय, कोसाबाड़ी मंडल अध्यक्ष अजय विश्वकर्मा के साथ-साथ भाजपा कार्यकर्तागण भी ज्ञापन देते समय साथ में रहे।
संभव नहीं कि ज्ञापन सौंपा देने से कोई हल निकलेगा। हल तभी
लालघाट के पास से बहता डेंगुर नाला।
निकलेगा अगर उपरोक्त सभी अपने 5-5 आदमी लेकर डेंगुर नाले के माध्यम से शहर को बीमारियों की सौगात देने वाले नाले के पास जाकर धरना दें या 4-5 ट्रक गिट्टी बालू इस स्पॉट पर गिराकर सदा के लिए बंद कर दे क्योंकि पूर्व में भी पर्यावरण विभाग द्वारा इस संबंध में नोटिस जारी किया जा चुका है।
बीते 10 दिनों में क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या को लेकर दूसरी बार ज्ञापन सौंपा गया है। पिछले दिनों भाजपा के ही संगठन बीएमस ने प्रदूषण की समस्या के निराकरण नहीं होने की दशा में आंदोलन की चेतावनी प्रशासन को दी है। पब्लिक प्रतीक्षा में है कि कब ये आंदोलन करेंगे जिसमें हम सभी अपने समर्थन में इनके साथ जुड़े।