बालको चिमनी दुर्घटना : 2,4 व 5 सितंबर को साक्ष्य.. क्या कुछ अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जा सकता है..?
कोरबा। वैश्विक स्तर पर चर्चित दुर्घटना में 23 सितंबर 2009 को वेदांता-बालको पॉवर प्लांट विस्तार परियोजना 1200 मेगावाट की दो चिमनियों में से एक निर्माणधीन 225 मीटर ऊंची चिमनी उस समय गिरी जब चिमनी के ऊपरी भाग में निर्माण कार्य चल रहा था।

सरकारी आंकड़ों में दुर्घटना में 40 मजदूरों की मौत होना बताया गया। घटना के बाद चारों तरफ मलबा व खून से लथपथ लाशें पड़ी हुई थीं। मलबा हटाने और लाशें निकालने रेसक्यू ऑपरेशन दस दिन से ज्यादा चला।
दुर्घटना की जांच कर रहे बख्शी आयोग ने इस के लिए बालको और ठेका कंपनियों के साथ ही उन्होंने स्थानीय निकाय और श्रम विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की बात भी कही थी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि परियोजना में चिमनी निर्माण से पहले उसकी स्ट्रक्चर, क्वॉलिटी और सिक्युरिटी से संबंधित बनाए गए कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।
निर्माण के दौरान श्रमिकों और अन्य व्यक्तियों की सिक्युरिटी ऐंड सेफ्टी की पूरी व्यवस्था नहीं करने के लिए बालको ठेका कंपनी सेपको, जीडीसीएल को दोषी बताते हुए नगरपालिका, ग्राम निवेश विभाग और श्रम विभाग के तत्कालीन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता को भी दुर्घटना का कारण माना गया था।

यक्ष प्रश्न जो उत्तरित होकर भी गूंज रहे हैं..?
विद्वान शासकीय अधिवक्ता कुछ बिंदुओं को लेकर कोरबा जिला न्यायालय के फास्ट ट्रैक कोर्ट में अगर बालको चिमनी दुर्घटना के संबंध में किसी और की भी संलिप्तता प्रकरण के अध्ययन के दौरान पाते हैं तो धारा – 319 के तहत आवेदन पत्र देकर न्यायालय से ऐसे लोगों को आरोपी बनाने के लिए निवेदन कर सकते हैं। आवेदन के अवलोकन के पश्चात आवश्यक समझे जाने पर आवेदन स्वीकार किया जा सकता है।
★ चिमनी के निर्माण के लिए सभी वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन न करने के लिए किस – किस की जिम्मेदारी थी?
★ सुरक्षा उपायों को निर्धारित करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से और किस – किस की थी?
★ क्या बालको की भूमि के विषय में न्यायालय में चल रहे प्रकरण के दौरान नगर पालिक निगम प्रशासन को चिमनी निर्माण के लिए अनुमति जारी करने की अधिकारिता है?
★ निर्माण की अनुमति प्राप्त करने के लिए नगर पालिक निगम कोरबा में पत्र किसके द्वारा प्रस्तुत किया गया था?
★ संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश के द्वारा वर्ष 2003 से लगातार 2014 तक लगातार लगभग 2 दर्जन नोटिस बालको को जारी किया गया और यह कार्यवाही मात्र नोटिस जारी करने के साथ कड़ी कार्यवाही समय रहते की जाती तो हो सकता था कि 40 श्रमवीरों की असमय मौत के साथ ही अनेक परिवार अनाथ नहीं होते!
सूत्रों की माने तो दुर्घटना के बाद निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच कर रहे नेशनल काउंसिल फॉर सीमेंट एंड बिल्डिंग मटेरियल्स एनसीसीबीएम वल्लभगढ़ के संयुक्त संचालक डॉ. एम.एन. अंसारी, समूह प्रबंधक यू.के. मंडल व महाप्रबंधक आर.के. गोस्वामी पर भी साक्ष्य छुपाने और उनसे छेड़छाड़ करने के आरोप तय किए गए हैं। सूत्रों की माने तो इनमें से एक श्री गोस्वामी की मृत्यु हो चुकी है।

सूत्रों के अनुसार बक्शी आयोग की रिपोर्ट में एक अन्य बात भी सामने आई थी कि चिमनी ढहने के समय पूरे छत्तीसगढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बिजली गिरने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
ध्वस्त चिमनी का बाल्को स्थल लगभग 22.24N और 82.45 E पर स्थित है जिसके लिए बिजली गिरने का कोई डेटा नहीं है। बाल्को के अपने ही क्षेत्र में छोटे-बड़े आकार की लगभग एक दर्जन चिमनी हैं और इनमें से किसी पर भी बिजली गिरने या बिजली आधारित दुर्घटना का अनुभव नहीं हुआ।

पर्यावरण के ज्वलंत विषय पर जिले से पहली बार विधानसभा चुनाव समर में उतरने वाले जागरूक और मुखर अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान कहतें हैं -“जो चिमनी हादसा 23 सितंबर 2009 को हुआ था, यह जहां पर कंस्ट्रक्शन हो रहा था वह अवैध रूप से बिना अनुमति के किया जा रहा था। इसके लिए हमारा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर पालिक निगम कार्यालय दोनों की तरफ से उनको कई बार नोटिस जारी हुआ। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की ओर से 26 नोटिस जारी किया गया था कि अवैध रूप से निर्माण हो रहा है, इसे रोका जाए लेकिन बड़ा अफसोस यह रहा की ना तो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और ना ही नगर पालिक निगम सिर्फ नोटिस जारी करते रहे और इसे नहीं रोका। इसके खामियाजे में 40 मजदूरों की जान चिमनी हादसे में गई और अभी भी बालकों में जो विस्तार चल रहा है उसमें भी अवैध काम अवैध निर्माण अभी भी चल रहे हैं। नगर प्रशासन और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मात्र नोटिस जारी कर रहे हैं और मुझे ऐसा लगता है कि अगर इस पर समय रहते कोई कार्यवाही नहीं हुई तो चिमनी हादसे जैसे किसी हादसे का इंतजार लोग कर रहे हैं जिसमें आम लोग आम मजदूर मारे जाते हैं।”
