कौशल सिखला : राहुल ही बता दें कि बीस हजार करोड़ किसका है ?
राहुल गांधी एक सवाल बार पूछ रहे हैं कि अडानी की कंपनियों में लगा शैल कंपनियों का 20 हजार करोड़ रुपया किसका है ?
अभी तक वे अडानी को मोदी का दोस्त बता रहे थे , मोदी अडानी मोदी अडानी कर रहे थे , उससे पहले जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताने पर अटके थे !
अब अचानक शैल कंपनियों पर उतर आए हैं !
याद आता है उस समय का शोर चौकीदार चोर फिर राफेल राफेल !
जब बात आगे चली तो निकला क्या ?
माफी ?
जब उन्हें पता है तो बात लंबी करने से पहले राहुल ही बता दें कि बीस हजार करोड़ किसका है ? आपकी सांसदी फिलहाल गई , बंगला खतरे में है , बातें कोर्ट में उलझ गई हैं । तो आप ही बता दीजिए राहुल कि शैल कंपनियों में लगा पैसा किसका है ? जब आपको पता है तो जुटाइए हिम्मत ? जब सारे सुबूत राहुल के पास हैं तो मानहानि झेलने से क्यूं डरते हैं , नाम बताएं ? अडानी और शैल कंपनियों के अलावा फिलहाल तो और कुछ है नहीं आपके पास । तो बताइए , उस आदमी का नाम बताइए , जिसकी शैल कंपनियां हैं ?
खैर , विपक्ष के पास पहले से ही सरकार विरोधी जानकारियां आती रहती हैं । यह सब सरकारी विभाग से ही बाहर निकलती हैं , कल भी निकलती थी , आज भी । नौ साल पहले जब सरकार बदली थी तब से राहुल ने अपना पर्सनल एजेंडा मोदी अडानी अंबानी के इर्द गिर्द केंद्रित रखा । आज भी वही है , पर कुछ समय से अंबानी का नाम राहुल नहीं लेते । आश्चर्य की बात है कि पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए अमृत वाक्य वही शब्द हैं जो राहुल के मुंह से निकलें । पूरी पार्टी आज भी राहुल सोनिया के पीछे है , खड़गे तो सिर्फ एक मुखौटा हैं । बिना किसी पद के मिले इसी दबदबे ने सत्ता जाने के बाद भी राहुल के मुख से निकले शब्दों को अमृत वाक्य बनाकर रख दिया है।
राहुल गांधी की दुश्मनी देश के प्रधानमंत्री से है , बात सिर्फ इतनी सी नहीं है । जाने अंजाने उन्होंने मतदाताओं के एक बड़े वर्ग से भी दुश्मनी पाल ली है । यह उनकी नासमझी है । सोशल मीडिया के जमाने में सभी दल अपने आईटी सैल चलते हैं , कांग्रेस भी । ये आईटी सैल अपनी विचारधारा जनता के सामने परोसते हैं । इनका एक काम अपोजिशन वाली विचारधारा को बराबर पढ़ना भी है । कांग्रेस यहीं चूक गई है । राहुल को दिया जा रहा फीड बैक अडानी और मोदी पर अटका हुआ है।
नतीजा यह कि विपक्ष में काम कर रहे अन्य दलों के नेताओं ने उनसे दूरी बना ली है । राहुल को कुर्सी चाहिए , अच्छी बात है । राजनीति में कोई भजन करने आता भी नहीं , सभी राजनीति करते हैं । परंतु कुर्सी पाने के भी कुछ कायदे हैं , नियम हैं । इसे पाने के अनेक गुर हैं । यकीनन अडानी अडानी की रटन सत्ता में वापसी का मूलमंत्र कभी नहीं बन सकती । पीएम बनना है तो अपना एजेंडा संक्षिप्त में प्रस्तुत करें राहुल । सिर्फ अडानी का तोता बनने से सत्ता मिलने वाली नहीं है।
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