शिवेष प्रताप : शास्त्री जी अंतिम समय में कितनी वेदना और पीड़ा लेकर गए होंगे…
पुण्यतिथि पर रुला देने वाला लाल बहादुर शास्त्री जी का यह संस्मरण…
आज ही के दिन शास्त्री जी ताशकंद में थे। अगले दिन देश वापस आने वाले थे। आज ताशकंद समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर हो गए। देश की गरीबी और भूख के आगे, देश के जवानों के बलिदान को न्योछावर करना पड़ा। भारत को जीते हुए क्षेत्रों को वापस देना और पाकिस्तान को भविष्य में लड़ाई न करने की शर्त माननी पड़ी।
शाम को शास्त्री जी ने घर पर फ़ोन मिलाया पर हमेशा की तरह उनकी पत्नी ललिता ने इस बार फोन नहीं उठाया और छोटी बेटी सुमन ने उठाया।
शास्त्री जी ने जब पत्नी ललिता से बात करने की इच्छा जताई तो बेटी ने यह कहते हुए नाराजगी व्यक्त किया की, “माँ आपसे बात नहीं करेंगी और वो इस बात पर बहुत नाराज हैं की आप ने सैकड़ों वीरों के बलिदान से जीते हुए “हाजीपीर पास” और “इछोगिल नहर” वाले क्षेत्र को वापस पाकिस्तान को दे दिया।” यह कहकर बेटी ने फोन रख दिया।
…और उसी रात शास्त्री जी चल बसे और शास्त्री जी का शव भारत वापस आया।
वाकई यह सोच कर रोना आता है की शास्त्री जी अंतिम समय में कितनी वेदना और पीड़ा लेकर गए होंगे…