सुरेंद्र किशोर : भारतीय संविधान की मूल प्रति का बिगाड़ीकरण नेहरू सरकार ने ही कर दिया था।उसका सुधारीकरण मोदी सरकार करने जा रही।
आज के दैनिक जागरण ने खबर दी है कि ‘‘अब देशवासियों को संविधान की अधूरी नहीं,बल्कि मूल और प्रामाणिक प्रतियंा पढ़ने को मिलेंगी।
इन प्रतियों में पांच हजार साल पुरानी संस्कृति और विरासत से जुड़े सभी 22 रेखा चित्र और संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षरित पृष्ठ शामिल होंगे।(याद रहे कि नेहरू सरकार ने उसे हटा दिया था।)
राज्य सभा में मंगलवार (11 फरवरी)को शून्य काल के दौरान भाजपा सांसद डा.राधा मोहन दास अग्रवाल द्वारा अधूरे संविधान को पढ़ाने का मुद्दा उठाए जाने के बाद राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने व्यवस्था दी ।
इसके बाद राज्य सभा के आनलाइन प्लेटफार्म पर इसे आधे घंटे के भीतर अपडेट कर दिया गया।
राज्य सभा में सदन के नेता जे.पी.नड्डा ने सदन में घोषणा की कि सरकार जल्द ही यह सुनिश्चित करेगी कि सभी को संविधान की प्रामणिक (यानी मूल)प्रति मिले।
जैसे ही डा.अग्रवाल ने इस मुद्दे को उठाया,कांग्रेस ने इस पर भारी एतराज जताया।
कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पढ़ाए जा रहे संविधान को अधूरा कहना बाबा साहेब
आंबेडकर का अपमान है।
सदन को गलत जानकारी दी रही है।’’
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(चूंकि संविधान की मूल काॅपी (अंग्रेजी-हिन्दी)मेरे व्यक्तिगत पुस्तकालय सह संदर्भालय में उपलब्ध है,इसलिए बिहार के ही नन्दलाल बसु द्वारा तैयार उन रेखा चित्रों में से कुछ चित्र इस पोस्ट के साथ यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
आप ही सोचिए कि आजादी के तत्काल बाद की सरकार ने उन चित्रांकनों को गायब करके आजाद पीढ़ी के साथ कितना अन्याय किया !
इतना ही, नेहरू-इंदिरा की सरकारों में 1947 से 1977 तक पांच गैर सनातनियों को शिक्षा मंत्री बना कर इतिहास तथा अन्य तरह का बिगाड़ीकरण भी कराया गया।
आर्थिक क्षेत्रों में आजादी के तत्काल बाद की सरकारों ने जो बिगाड़ीकरण किया,उसके सुधारीकरण की शुरूआत तो प्रधान मंत्री पी.वी.नरसिंह राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने कर दी थी।पर,अन्य तरह के बिगाड़ीकरणों को सुधारने की जिम्मेदारी अब मोदी सरकार पर है।)
