कका राज में बबा बना बालको प्रबंधन बाबा सिंहदेव को दे रहा खुलकर चुनौती…!

…लेकिन ऊर्जा विभाग में अब बाबा बैठें हैं तो लगता नहीं है कि ऐसा बालको प्रबंधन कर पाएगा क्योंकि बाबा की कार्यशैली की मिसाल दुनिया देती है फिर वो UP के आदित्यनाथ बाबा हों या छत्तीसगढ़ के सिंहदेव बाबा।

कोरबा। बालको द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति निर्मित होती रही है। हालांकि बालको प्रबंधन के द्वारा सफाई दी जाती है कि उनके द्वारा किए जा रहे सभी कार्य वैध हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार “1,200 मेगावाट संयंत्र पर काम रोकने के लिए बाल्को को 11 नोटिस दिए गए थे, जिसमें अंतिम नोटिस 3 अक्टूबर, 2011 को दिया गया था।” लेकिन कंपनी द्वारा एक भी नोटिस का जवाब नहीं दिया।

बालको प्रबंधन किसी नोटिस का प्रतिउत्तर देने में कितनी कोताही बरतता है यह तो वनविभाग के द्वारा अब तक लगभग सवा अरब रुपये हो चुके राशि को चुकाने के संबंध में लगातार दिए गए नोटिस से भी स्पष्ट हो जाता है।
लगभग एक दर्जन नोटिस पर एकाध टका सा उत्तर दिया गया और बदले में वनविभाग के द्वारा किसी तरह की अग्रकार्यवाही न करना वस्तुस्थिति को स्पष्ट कर देता है कि गड़बड़ी कहां पर है!!

वनविभाग चाहे तो आज भी न्यायालय में लगभग सवा अरब रुपयों की वसूली के लिए प्रकरण दर्ज करा सकता है लेकिन पता नहीं ये कैसा रिश्ता नाता है जो एक कदम भी आगे की कार्यवाही के लिए नहीं उठाए जा रहे हैं।

वर्तमान में बालको प्रबंधन के द्वारा बालको चेकपोस्ट के समीप नई रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस रेल लाईन के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताते हुए CSEB द्वारा निर्माण स्थल पर जाकर काम रुकवा दिया गया है।


ऊर्जा विभाग का प्रभार पिछले महीने ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बाबा के नाम से प्रसिद्ध टीएस सिंहदेव को मिला है। यह सरगुजा किंग के नाम से प्रसिद्ध टीएस सिंहदेव के नाम का ही प्रभाव है कि ऊर्जा विभाग उनके प्रभार में आने के बाद
बालको प्रबंधन के द्वारा CSEB की भूमि पर किए जा रहे अवैध रेल लाइन निर्माण की सूचना मिलते ही सीएसईबी अमले ने जाकर कल सोमवार को ही काम रुकवा दिया था।

अगर यह सब बिना किसी अनुमति के हो रहा है तो यह एक प्रकार से सीधे तौर पर कोई भी कह सकता है कि यह तो प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और उस पर ऊर्जा विभाग के प्रभार वाले सहज सरल सिंहदेव को बालको प्रबंधन के द्वारा खुली चुनौती है कि हमारा काम नहीं रुकेगा क्योंकि सरकार किसी की हो सिस्टम हमारा है।

बालको प्रबंधन द्वारा अब बाबा के कानून के भय से रेल लाइन निर्माण कार्य लगातार जारी रखा जाएगा या पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा ?? इस पर अब जिलेवासियों की दृष्टि टिकी हुई है।

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सूत्रों की माने तो रेल लाइन कोई गांव की पगडंडी तो होती नहीं है कि कही से भी, कही पर भी तैयार कर उपयोग कर लिया जाए। नियमानुसार इसके लिए रेलवे के ऑपरेशन डिपार्टमेंट से भी अनुमति लिया जाना आवश्यक है। क्या बालको प्रबंधन के द्वारा इस प्रकार की कोई अनुमति ली गई है, यह भी यक्ष प्रश्न है?

इस संबंध में सीएसईबी के श्री पीतांबर नेताम ने बताया कि बालको द्वारा किये जा रहे रेल लाइन के निर्माण के काम को रुकवा दिया गया है।

बालको संवाद प्रमुख सुश्री मानसी चौहान से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि अभी वे दिल्ली प्रवास पर हैं। आकर ही इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध करा पाएंगी।

उल्लेखनीय है कि वनविभाग को एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की वसूली के लिए वर्ष 2009 से वनविभाग के द्वारा बालको को लगातार स्मरण पत्र लिखा जा रहा है। लगातार स्मरण पत्र जारी कर वनविभाग द्वारा “अंतिम पत्र है” “कानूनी कार्यवाही करेंगे” “180 वन अधिनियम के तहत कार्यवाही करेंगे” मात्र “चेतावनी भरे पत्र लेखन” की परंपरा का औपचारिक रूप से निर्वहन किया गया है और अगर नहीं की गई है तो “ठोस कार्यवाही।”


क्या CSEB प्रबंधन भी वनविभाग के रास्ते पर चलेगा और मात्र चेतावनी जारी करते-करते तक ही पूरी की पूरी रेल लाइन बिछ जायेगी…
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लेकिन ऊर्जा विभाग में अब बाबा बैठें हैं तो लगता नहीं है कि ऐसा बालको प्रबंधन कर पाएगा क्योंकि बाबा की कार्यशैली की मिसाल दुनिया देती है फिर वो UP के आदित्यनाथ बाबा हों या छत्तीसगढ़ के सिंहदेव बाबा।

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-फीचर इमेज इंटरनेट से साभार

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