बालको वनविभाग का 1.22 अरब दबाने के बाद भी दिखा रहा आंखे..अवमानना याचिका.. सरकार किसी की हो सिस्टम..
कोरबा। एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये वनविभाग कोरबा को वर्तमान में बालको से वसूली करने हैं। दिनांक 29.08.2022 बालको प्रबंधन के द्वारा दिए गए पत्र के प्रतिउत्तर में वनविभाग कोरबा के द्वारा 17.10.2022 को बालको प्रबंधन को स्मरण पत्र लिखकर पुनः वनविभाग कोरबा के द्वारा दिए गए स्मरण पत्रों को सूचीबद्ध करते हुए एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की राशि जमा करने का विनम्र अनुरोध करते हुए पत्र की प्रतिलिपि संबंधित विभागों को भी प्रेषित की है।
लगातार समाचारों में आने के बाद अब शासन-प्रशासन व राजनीतिक दलों से जुड़े हुए लोगों की दृष्टि वनविभाग पर गढ़ गई है कि वसूली के लिए क्या कोई सार्थक प्रयास वनविभाग करेगा या सरकार के सिस्टम में बैठे लोग ही कोई रास्ता निकालकर बालको को वॉकओवर दे देंगे!!!!!!!! जैसा कि पूर्व के प्रकरणों में हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि ऐसी ही स्थिति एक बार “अवमानना याचिका” के विषय पर निर्मित हो चुकी है जिसका नुकसान वनविभाग को हुआ था और आज तक उससे वनविभाग उबर नहीं पाया है।
समाचार के इस भाग में ऐसी ही निर्मित की गई परिस्थिति को पढ़कर आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं कि वास्तव में क्या हुआ होगा और अब आगे क्या होने की परिस्थितियां निर्मित होंगी, किसके पक्ष में और किसके विरुद्ध में परिस्थितियां निर्मित होंगी ????
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स्मरण पत्र या औपचारिक टॉय-टॉय फिस्स पत्र
वनविभाग को एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की वसूली के लिए कितना गंभीर है, यह तो आने वाला समय बताएगा। वर्ष 2009 से वनविभाग के द्वारा बालको को लगातार स्मरण पत्र लिखा जा रहा है। लगातार स्मरण पत्र जारी कर वनविभाग द्वारा “अंतिम पत्र है” “कानूनी कार्यवाही करेंगे” “180 वन अधिनियम के तहत कार्यवाही करेंगे” मात्र “चेतावनी भरे पत्र लेखन” की परंपरा का औपचारिक रूप से निर्वहन किया गया है और अगर नहीं की गई है तो “ठोस कार्यवाही।” 14.12.2015 को अवमानना याचिका दायर करने को लेकर बालको प्रबंधन को पत्र लिखा गया था और उसके बाद अवमानना याचिका के प्रकरण को प्रक्रिया में आते-आते लगभग 3 वर्ष बीते।
पत्राचार में उल्लेखित तिथियों के अवलोकन से यह बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि अवमानना याचिका दायर करने को लेकर वनविभाग के द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है।
अवमानना याचिका को लेकर कारण बताओ नोटिस रायपुर से 30.07.2018 सोमवार को जारी किया जाता है और बुधवार को ही 01.08.2018 उसका जवाब भी भेज दिया जाता है, यही तत्परता अगर वनविभाग के द्वारा पूर्व में दिखाई जाती तो रुपयों की वसूली अब तक हो जाती।
आश्चर्यजनक बात यह भी है कि वनविभाग जिसकी अपनी पुलिस है, अपना कानून है और जो विभाग लगातार न्यायिक प्रक्रियाओं का सामना करता है उस विभाग के संज्ञान में माननीय हाइकोर्ट द्वारा आदेश जारी करने के बाद आदेश के पालन कराने के संबंध में आगे की कार्यवाही या समय सीमा का ज्ञान नहीं था!!!
अवमानना याचिका प्रकरण में लापरवाही या…
बालको प्रबंधन द्वारा वनविभाग की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। क्या बालको प्रबंधन को आशा है कि हर बार की तरह वसूली के इस विषय पर भी कोई न कोई रास्ता भविष्य में निकल जायेगा ?
माननीय उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ बिलासपुर में दायर रिट पिटीशन क्रमांक- 5328/1996 ” बाल्को विरूद्ध छत्तीसगढ़ शासन राजस्व विभाग, कलेक्टर बिलासपुर एवं तहसीलदार कोरबा में पारित आदेश दिनांक 06.02.2009 तथा माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में दायर रिट अपील क्रमांक 69/2002 “छत्तीसगढ़ शासन राजस्व विभाग विरुद्ध बाल्को” में पारित आदेश दिनांक 25.02.2010 के पालन में तत्कालीन वनमंडलाधिकारियों द्वारा बाल्को को 947.95 एकड़ वन भूमि के लिये वैकल्पिक वृक्षारोपण की राशि एवं प्रत्याशा मूल्य की राशि जमा करने के लिए अवमानना याचिका समय पर अगर वनविभाग के द्वारा लगा दिया जाता तो वसूली कई वर्ष पूर्व ही हो गई होती।
अवमानना याचिका याचिका पर क्या हुआ था…
अपर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, वनविभाग के द्वारा कोरबा में पदस्थ तत्कालीन वनमंडलाधिकारी को दिनांक – 30.07.2018 को कार्यालयीन पत्र क्रमांक -1704/541/2012/10-2 लिखकर कारण बताओ नोटिस जारी कर अवमानना याचिका शासन द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद भी क्यों दायर नहीं किया गया, इसके संबंध जानकारी मांगी थी।
पूर्व के पत्रों, अपर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, वनविभाग के द्वारा जारी नोटिस के अवलोकन मात्र से समझ आ जाता है कि सरकार के सिस्टम की स्थिति क्या है…??
क्या बालको प्रबंधन को विश्वास है कि भविष्य में कुछ ऐसी स्थिति निर्मित होने वाली है जिससे वसूली का एक भी अंश वनविभाग को नहीं चुकाना पड़ेगा ??