सुरेंद्र किशोर : राहुल गांधी ‘अटल बिहारी समाधि स्थल’ पर.. लेकिन नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं करेंगे…
‘‘अटल बिहारी समाधि स्थल’’ पर जाने के अपने निर्णय के जरिए
लगता है कि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को एक खास संदेश देना चाहते हैं
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राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल पर भी जाएंगे।
लगता है कि इसके जरिए राहुल गांधी, मौजूदा प्रधान मंत्री को एक खास अघोषित संदेश देना चाह रहे हैं।
वह संदेश यह है कि आप भी अटल जी की ही तरह अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति ‘‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’’ की नीति अपनाइए।
लेकिन लगता है कि नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं करेंगे।
क्योंकि वे जानते हैं कि ‘अटल नीति’ से भाजपा को लोस में पूर्ण बहुमत नहीं मिला करता था।
याद रहे कि एक बार जब राहुल गांधी अमेरिका में एक कानूनी परेशानी में फंस गए थे तो तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी ने वहां के राष्ट्रपति को फोन करके उस समस्या का समाधान करवा दिया था।
दूसरी घटना के तहत जब दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी, 2004 में बोफोर्स मुकदमे में राजीव गांधी तथा अन्य के खिलाफ घूसखोरी के आरोप को खारिज कर दिया तो वाजपेयी सरकार ने उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील तक नहीं होने दी।
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इधर नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बेदखल कर दिया,बल्कि ‘‘फस्र्ट फेमिली’’की संपत्ति भी मुकदमों में फंस गई।कहा गया कि कानून अपना काम कर रहा है।
भविष्य में कांग्रेस के लिए सत्ता में आना भी आज की तारीख में अनिश्चित सा हो गया लगता है।वैसे यह पता नहीं कि कल क्या होगा।
इन दिनों कई राजनेताओं की जुबान में आई अभूतपूर्व कटुता का यह सबसे बड़ा कारण लगता है।
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नरेंद्र मोदी की यह नीति कि ‘‘न खाएंगे और न खाने देंगे,’’फस्र्ट फेमिली के साथ -साथ अन्य अनेक प्रतिपक्षी नेताओं को काफी नापसंद है।वे तरह -तरह के गंभीर मुकदमों में फंसे हैं।उनसे उबरने का कोई उपाय भी उन्हें नजर नहीं आ रहा है।
जो हो, मोदी की नई नीति -रणनीति से भाजपा को दो बार लोक सभा में पूर्ण बहुमत मिला।
बेचारे अटल की ‘बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय ’ की नीति से भाजपा बहुमत को तऱस गई थी।
