सुरेंद्र किशोर : आंतरिक पलायन.. एन.आर.सी.-एन.पी.आर.के बिना भारत वर्तमान स्वरूप में नहीं बचेगा

एन.आर.सी.-एन.पी.आर.के बिना भारत
वर्तमान स्वरूप में नहीं बचेगा
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एन.आर.सी.पाक में भी है,पर भारत को
तो बना दिया गया है ‘धर्मशाला’

पाकिस्तान में भी नेशनल पाॅपुलेशन रजिस्टर है।
पाकिस्तान के निर्माण के साथ ही इस पर काम शुरू
हो गया था।
‘‘नेशनल रजिस्टे्रशन सिस्टम इन पाकिस्तान’’ पर 17 पेज
का एक नोट मेरे सामने है।
अन्य देशों में भी एन.आर.सी.यानी नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटिजन्स का प्रावधान है।सिर्फ मेरे देश में नहीं है।
आजादी के बाद से ही नहीं है।
आजादी के तत्काल बाद तब की सरकार ने तो यह भी कह दिया था कि अपने देश की सीमाओं पर बाड़ लगा देने से भारत की छवि दुनिया में खराब हो जएगी।
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एन.आर.सी.और एनपीआर के अभाव में किसी देश के साथ क्या-क्या होता है,वह सब भारत भुगत रहा है।अभी और भुगतेगा।
मुर्शिदाबाद से सैकड़ों हिन्दू परिवारों को हाल ही में पलायन करना पड़ा।
पहले भी यह होता रहा है।आगे भी नहीं होगा,इसकी कोई गार्री नहीं।
वोटलोलुप राजनीतिक दलों और बाहरी भीतरी जेहादियों ने इस देश को धर्मशाला बना दिया है।
आंतरिक पलायन का यह सबसे बड़ा कारण है।यदि अब भी
भारत सरकार ने एन.आर.सी.-एन.पी.आर.की आवश्यकता की उपेक्षा की तो इस देश को बाहरी-भीतरी जेहादी लोग खरबूजे की तरह टुकड़़े- टुकड़े करने की ठोस कोशिश जल्द ही शुरू कर देंगे।भीतर से आने वाली खबरें काफी चिंताजनक हैं।
एन.आर.सी. की दिशा में असम सरकार ने काम शुरू किया है।
असम में आधार कार्ड उसी का बनेगा जो एन.आर.सी.के लिए आवेदन पत्र देने का प्रमाण यानी रसीद पेश करेगा।
ऐसा पूरे भारत में होना चाहिए ताकि देश बच सके चाहे इसका जितना भी अभी विरोध हो।
अभी कम ही प्रतिरोध से काम चल जाएगा।बाद में भारी युद्ध लड़ना पड़ सकता है।

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