क्या मालिक अनिल अग्रवाल के सपनों को नए सिरे से आग लगाने पर तुला है बालको प्रबंधन…? …संपत्ति का 75% सामाजिक भलाई और जनता के उत्थान के लिए देने का संकल्प…

जिले के पर्यटन केन्द्र सतरेंगा व बुका के विकास के लिए करोड़ों रुपयों की सौगात छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के द्वारा दी गई है। सतरेंगा में बोटिंग, ओपन थियेटर, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, गार्डन, जेटी, हेलीपेड तैयार है। पब्लिक टायलेट समेत अन्य विकास कार्य कराए जा रहे हैं। पिकनिक स्पॉट के लिए डुबान के किनारे सड़क बनाई जा रही है, जहां लोग अपने परिवार के साथ भोजन भी बना सकेंगे। छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड सतरेंगा के विकास के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाकर काम कर रहा है।

…लेकिन लगता है कि सतरेंगा के विकास कार्यों पर ग्रहण लगने वाला है। छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा जिले में पेसा कानून 1996 लागू होने के बाद भी, जहाँ ग्रामसभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जिसके कारण किसी प्रकार के कार्य हेतु ग्रामसभा की अनुमति/स्वीकृति अनिवार्य है, वहां पर नियम विरुद्ध बालको को राखड़ पाटने की अनुमति दिया गया है।

“जिला-कोरबा के अनुविभागीय कार्यालय (रा०) कोरबा के अंतर्गत ग्राम-सतरेंगा स्थति है, यह गाँव को वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रमुखता से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है, और यहाँ प्रति वर्ष लाखो पर्यटक अपने परिवार सहित आते हैं। संपूर्ण कोरबा जिला अनुसूचित जिला है, और यह भारतीय संविधान की 5वीं अनुसूची में आता है, संपूर्ण जिले में पेसा कानून 1996 लागू है, जहाँ ग्रामसभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, यहाँ किसी प्रकार के कार्य हेतु ग्रामसभा की अनुमति/स्वीकृति अनिवार्य है, साथ ही यह गाँव मिनीमाता बांगो डेम का कैचमेंट एरिया है, और जलभराव की स्थिति बनी रहती है, इस गाँव में बालको कंपनी को उनके पॉवर प्लांट से निकलने वाले राखड़ को पाटने की अनुमति दी गई है।” छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के क्रांतिकारी जननायक दिलीप मिरी ने उक्ताशय का एक ज्ञापन कोरबा जिलाधीश को सौंपकर उचित कार्यवाही की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि मालिक अनिल अग्रवाल ने पहले ही अपनी संपत्ति का 75 प्रतिशत सामाजिक भलाई और जनता के उत्थान के लिए देने का संकल्प लिया है और इसी क्रम में विगत वर्ष जुलाई 2021 में अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा अगले 5 वर्षों में भारत के सामाजिक विकास को मजबूत करने के लिए महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ करते हुए  ग्रामीण भारत को सशक्त करने के लिए 5,000 करोड़ रुपयों के निवेश का संकल्प “स्वस्थ गांव अभियान” के नाम से एक बड़ी परियोजना का शुभारंभ ग्रामीण भारत के विकास के समग्र पहल की घोषणा करते हुए, चेयमैन अनिल अग्रवाल ने कहा था कि “हमारा लक्ष्य समग्र प्रयासों से सस्टेनेबल और सर्वागीण विकास हेतु सुविधा प्रदान कर समुदाय का संरक्षण है जो कि समय की आवश्यकता है।  स्वस्थ गांव अभियान पहल 1000 गांवों को सम्मिलित करते हुए ग्रामीण परिदृश्य में संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा समाधान प्रदान करने की ओर पहला कदम है।” अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा अपनी नवीन पहल के तहत् पशु कल्याण के लिए आश्रय और सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान देने की बात भी कही गई थी लेकिन राखड़ पाटने की योजना से “स्वस्थ गांव अभियान” के सतरेंगा के ग्रामीण परिवेश पर क्या किसी प्रकार का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा?

“छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा पहली बार बालको के अधिकारी G.Venkat Reddy C.O.O. (POWER) को सतरेंगा गाँव के निजी भूमि को लो-लाईन्ग एरिया बताते हुए लगभग 25 एकड़ में दिनांक:- 24/12/2021 को 300000 (3 लाख) MT राखड पाटने की अनुमति दी गयी, फिर इसी भूमि में बालको के अधिकारी G. Venkat Reddy C.O.O.(POWER) को दिनांक:- 11/05/2022 को फिर से 300000 (3 लाख) MT राखड पाटने की अनुमति दी गयी, और इसी भूमि में फिर से 31/10/2022 को 500000 (5 लाख) MT राखड पाटने की अनुमति दी गयी, कुल राखड़ पाटने के लिए अनुमति की मात्रा 1100000 ( 11 लाख) MT है, इतनी बड़ी मात्रा में राखड पाटा गया तो समझिए पुरा सतरेंगा गाँव राखड़ से पट जाएगा।” श्री मिरी आगे कहते हैं कि वहां रहने वाले लोगों का जीवन जीना दूभर हो जाएगा, इस क्षेत्र में मुख्यतः पहाड़ी कोरवा आदिवासी समाज के लोग निवासरत है, जो महामहिम राष्ट्रपति जी के दत्तक पुत्र के रूप में जाने जाते है, लेकिन क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए नियम विरुद्ध बालको को राखड़ पाटने की अनुमति /NOC दिया है, जिसे निरस्त किया जाना पर्यावरण संरक्षण के निमित्त व जनहित में आवश्यक है।”

इन बिंदुओ पर जांच की मांग की मिरी ने

1) यह कि राखड़ पाटने हेतु अनुमति/NOC देने के पूर्व ग्राम-सतरेंगा के ग्रामसभा से विधिवत रूप से प्रस्ताव पारित कर अनुमति नहीं ली गयी है।

2) यह कि बालको-सतरेंगा रोड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाया गया है, और इस सड़क में 12 टन से अधिक क्षमता के भारी वाहन नहीं चलने का प्रावधान है, और राखड़ पाटने हेतु अनुमति/NOC देने के पूर्व PMGSY विभाग से अनुमति नही ली गयी है।

3) यह कि बालको से सतरेंगा पुरी तरफ़ से घने जंगलों से घिरा हुआ है, और यह जंगल DFO कोरबा के अधीन है,DFO कार्यालय से भी अनुमति/अनापत्ति नही ली गयी है।

4) दिनांक:- 24/12/2021 को 300000 (3 लाख) MT राखड़ पाटने की अनुमति देने के बाद दुबारा NOC/अनुमति देने के पूर्व किसी तरफ़ का भौतिक सत्यापन नही किया गया है।

5) बहुत से जमीन कृषि भूमि है और CENARA BANK KORBA व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में गिरवी (MORTGAGED) के रूप में बंधित है, NOC/अनुमति देने के पूर्व उक्त बैंक कार्यालय से भी अनुमति/अनापत्ति नही ली गयी है।

जननायक दिलीप मिरी का आरोप है कि “लो-लाईन्ग एरिया का मायने ही बदल दिया गया है,सतरेंगा क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है, और पहाड़ की चोटी से देखने से नीची जमीनों ऊपर नीचे लगता है, अगर ऐसा ही लो-लाईन्ग एरिया होता है तो पहाड़ों के नीचे सभी जमीनें लो-लाईन्ग एरिया में आएगा, साथ ही बालको कंपनी को चोटियां के पास एक कोयला खदान स्वीकृत है, यहाँ उत्खनन के बाद ख़ाली जगह में राखड पाटा जा सकता ह,जबकि बालको/वेदांता कंपनी को SECL मानिकपुर खदान में भी राखड़ पाटने की अनुमति मिली हुई है, जहाँ राखड़ पाटने हेतु पर्याप्त जगह है।”

श्री मिरी ने मांग की है कि निजी जमीनों पर राखड़ पाटने हेतु दिए गए अनुमति को निरस्त किया जाए, और भविष्य में बालको/वेदांता कंपनी को किसी भी निजी एवं सरकारी भूमियों पर राख डालने की अनुमति नही दिया जाए, साथ ही सतरंगा में बिना भौतिक सत्यापन के राखड़ पाटने हेतु दिए गए सभी अवैधानिक अनुमतियों को निरस्त करते हुए, संबंधित बालको के अधिकारीयों एवं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारीयों के विरुद्ध 420,120बी एवं अन्य धाराओं में प्रथम सुचना दर्ज कराके के क़ानूनी कार्यवाही किया जाए।

राज्य पर्यटन विभाग द्वारा सतरेंगा को पिकनिक स्पॉट के रूप में विश्व मानचित्र पर स्थापित करने के उद्देश्य से करोड़ों रुपयों के विकास कार्य किए जा रहे हैं लेकिन राखड़ पटने की स्थिति में इनका कोई औचित्य नहीं रहेगा। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सतरेंगा डूबान क्षेत्र में आता है। दिए गए ज्ञापन ऐसा अनुभव होता है कि डूबान क्षेत्र में अनुमति देने का अर्थ यह होगा कि अत्यधिक मात्रा में वर्षा होने की स्थिति में राखड़ बहकर पानी में पहुंचने पर जलीय जीवों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही पानी की तलहटी में राखड़ के जमाव होने पर पानी भराव की क्षमता भी कम होगी और यही राखड़युक्त पानी सिंचाई के खेतों तक भी पहुंचने पर धान का कटोरा कहे जाने वाले संपूर्ण छत्तीसगढ़ के किसानों पर किस प्रकार का व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, इस संबंध में भी गहन छानबीन के बाद ही इस क्षेत्र में राखड़ पाटने के लिए अनुमति दिया जाना चाहिए। वन्य प्राणियों के विचरण क्षेत्र में भारी लोडेड वाहनों के लगातार आवागमन से वन्य जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित होगा, जिसकी अनदेखी करना भी छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा के लिए वैधानिक तौर पर सही नहीं है।

समाज के हित में समर्पित व्यवसायी बालको के मालिक अनिल अग्रवाल जिनके जीवन में जनहित सर्वोपरि है, वे सोशल मीडिया पर नित्य ही नए नए संस्मरण सुना कर,लोगों को अपनी माटी से जोड़ने का काम,संस्कार युक्त समाज बनाने का कार्य लगातार अपने देश के लिए कर रहे हैं। कोरबावासियों का यह सौभाग्य है कि उनके रोजगारपरक अनेक योजनाओं से लोगों को जुड़ने का अवसर मिला है। उनके पर्यावरण के संरक्षण के प्रति चिंतन के साथ  समाज में पुनर्जागरण के कार्यक्रम अद्भुत है लेकिन ऐसा लगता है कि बालको प्रबंधन उनके बताए जा रहे मार्ग पर चलने से कतरा रहा है, अगर उनके मार्ग पर ये चलते तो शायद इस प्रकार की अनुमति लेने के लिए पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर आवेदन ही नहीं देते।

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