सुरेंद्र किशोर : 2024 का लोक सभा चुनाव.. चुनावी भविष्यवक्ताओं की ऊंची दुकानों पर फीकी पकवान मिलने की अधिक आशंका !
सन 2014 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले एल.के.आडवाणी के करीबी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी ने कहा था कि
‘‘नरेंद्र मोदी तभी प्रधान मंत्री बनने की बात सोच सकते हैं जब भाजपा 200 से अधिक लोक सभा सीटें लाए।
लेकिन जब तक भाजपा संघ की राजनीतिक इकाई के रूप में काम करती रहेगी,तब तक ऐसा संभव नहीं है।’’
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‘‘समाज के सभी वर्गों को साथ लिए बिना लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता।
संघ की मुश्किल यह है कि यह सोच उसके चरित्र में नहीं है।’’
–सुधीन्द्र कुलकर्णी
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( 2014 और 2019 के लोक सभा चुनाव नतीजों की पृष्ठभूमि में कुलकर्णी की भविष्यवाणी पर गौर करें।)
अब जरा चर्चित संपादक विनोद मेहता की तब की राजनीतिक भविष्यवाणी पर भी गौर कर लें।
उन्होंने कहा था कि
‘‘भाजपा और संघ के बीच लिव इन रिलेशनशिप ज्यादा लंबी चलने वाली नहीं है।
जिस दिन दोनों का एक दूसरे से मोहभंग हुआ,उस दिन मोदी की कितनी दुर्गति होगी,इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।
उन्हें (यानी मोदी को )लगेगा कि इससे अच्छा तो यही होता कि पत्नी के साथ रह लेता।यह रिश्ता तो बड़ा जोखिम भरा है।’’
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ध्यान रहे कि दिवंगत विनोद मेहता अंग्रेजी साप्ताहिक‘आउटलुक’ के अलावा द पायनियर ,दं संडे आब्जर्वर, द इंडिपेंडेंट और द इंडियन पोस्ट के भी बारी- बारी से संपादक रहे।
आश्चर्य है कि विनोद मेहता जैसे बड़े संपादक संघ और भाजपा के बीच के संबंधों की गहराई को नहीं समझ सके।
अनेक तथाकथित ‘‘बड़ों’’की स्थिति ऐसी ही है।
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कुलकर्णी साहब प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और एल.के.आडवाणी के सहयोगी रहे।
माक्र्सवादी कुलकर्णी के काॅलम हम बंबई के अगिया बैताल साप्ताहिक ब्लिट्ज में नियमित रूप से पढ़ा करते थे।
वे बाद में अन्य बड़े अखबारों में भी लिखने लगे।
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विनोद मेहता ओर सुधीन्द्र कुलकर्णी की सरजमीन से लेकर शीर्ष राजनीति की कितनी कम समझ रही,वह उनकी टिप्पणियों और भविष्यवाणियों से पता चल जाता है।
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हर चुनाव से पहले ऐसे पूर्वाग्रह ग्रस्त पत्रकार व बुद्धिजीवी भी तरह -तरह की चुनावी भविष्यवाणियां करते रहते हैं।कुछ ही लोगों की भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं।अधिकतर भविष्यवक्ता अपनी राजनीतिक इच्छा को ही भविष्यवाणी बता कर पेश करते रहते हैं।
पर,मैंने उनमें से राजदीप सरदेसाई को काफी हद तक अपवाद पाया।
सरदेसाई अपनी टिप्पणियों में बहुधा मोदी ,भाजपा के खिलाफ पूर्वाग्रहग्रस्त पाए जाते हैं।
पर, उनकी तीन चुनावी भविष्यवाणियां सही साबित हुई हैं।
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सन 2023, 2024 और 2025 के आगामी चुनावों को लेकर अभी से ही भविष्यवाणियां की जाने लगी हैं।
पर चुनाव नतीजों में रूचि रखने वाले लोगों को चाहिए कि वे विनोद मेहता और कुलकर्णी जैसे बड़े नामों पर न जाएं।
राजदीप सरदेसाई पर जरूर नजर रखें।
साथ ही ,यह भी देखें कि किस पत्रकार की पिछली तीन में से कम से कम दो भविष्यवाणियां सही साबित होती रही हैं।