ऋषभ भरावा : दृश्यम-2.. दिमाग में भूकंप आ जाएगा

2015 में आई दृश्यम (हिंदी) फिल्म माउथ पब्लिसिटी से काफी चली थी।उस फिल्म को देखने के बाद कई घंटों तक तो दर्शक फिल्म के केरेक्टर्स में ही खोए रहे। फिल्म में आम आदमी के द्वारा मर्डर होने के बावजूद भी दर्शक यह प्रार्थना करते रहे कि पुलिस हार जाए और कातिल को पकड़ा ना जाए। ऐसा इसलिए हुआ था कि क्योंकि फिल्म में कातिल परिवार ने दर्शकों के इमोशन को जीत लिया था।उसमे दर्शकों ने कनेक्ट किया था कि हाँ ,वाकई में समाज में एक सामान्य आदमी को उचित न्याय लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं।फिल्म की कहानी में पावर था , फिल्म को लिखने वाले ने ‘इंसानी मनोविज्ञान’ को कितना ढंग से पढ़ा होगा ,समझा होगा ,अनुभव किया होगा। तब जाकर ऐसी फिल्म लिखी जिसमे अंत तक आते-आते हर एक दर्शक का दिमाग एक डीप सोच में चला गया। कइयों ने ,जैसे कि मैंने भी उस फिल्म को अनेकों बार देखा कि कोई लूपहोल निकले। लेकिन फिर भी हर बार फिल्म को देखते-देखते एक अलग ही लेवल का एक्साइटमेंट लेवल रहा था।

दृश्यम में दिखाया था कि कैसे किसी भी आदमी के सामने किसी बात को इनडाइरेक्ट तरीके से बार बार बोलो ,बिना उसको कुछ आभास कराये ,तो वो बात उस सुनने वाले के सब-कौन्सियस(अवचेतन मन ) मन में उतर जाती हैं और वो आदमी उस बात को सच मानने लग जाता हैं। इसी तरह से दृश्यम-2 जिसका हिंदी वर्जन आज रीलिज हुआ हैं वह फिल्म इस बात पर टिकी हैं कि ‘सच को कितना भी दफ़न करदो ,एक ना एक दिन वह सच बाहर आ ही जाता हैं’।इस फिल्म में दृश्यम-1 के 7 साल बाद की कहानी को बताया गया हैं। दृश्यम 1 देखने के बाद किसी ने सोचा भी नहीं था कि इसका दूसरा भाग आएगा और विजय सलगांवकर (अजय देवगन ) के परिवार का केस एक बार फिर री -ओपन हो जाएगा।

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दृश्यम 1 की घटनाओं के बाद विजय सलगांवकर (अजय देवगन ) अपने गाँव में ही एक थियेटर का मालिक बन जाता हैं ,फिल्मे बनाने लगता हैं।परिवार के चारो लोग हँसते खेलते अपनी जिंदगी जी रहे होते हैं ,लेकिन पुलिस के द्वारा पकडे जाने का एक डर हमेशा उनके मन में बना रहता हैं।उस क्षेत्र में एक नया IG (अक्षय खन्ना ) नियुक्त होता हैं और मीरा देशमुख (तब्बू ) उस केस की फाइल्स वापस खुलवा देती हैं।फिल्म के प्रथम भाग में जिन अभिनेताओं ने जो रोल अदा किये वो सभी वापस इस फिल्म में उसी रोल में देखने को मिलेंगे।केस री-ओपन होते ही पुलिस अब नए IG (अक्षय खन्ना )के नेतृत्व में वापस विजय सलगांवकर के परिवार के पीछे पड़ जाती हैं। परिवार के साथ पुलिस द्वारा मारपीट के जो सीन पिछली फिल्म में बताये गए थे ,अब वही माहौल वापस इस फिल्म में भी बन जाता हैं,लाश ढूंढने की कोशिशे और तगड़ी हो जाती हैं। और जैसा कि ट्रेलर में भी बताया जाता हैं कि अजय देवगन पुलिस को अपना कन्फेशन भी दे देता हैं। लेकिन जहाँ आप सोचेंगे फिल्म खत्म हो गयी ,वही पिछली फिल्म की तरह ही असली कहानी बाद में शुरू होती हैं।फिल्म के हर सीन को इस बार भी ध्यान से देखना समझना पड़ेगा ,क्योंकि इस बार भी अंत में कई ट्विस्ट आएंगे।फिल्म में विजय सलगांवकर के परिवार के साथ कितना भी बुरा होता रहेगा लेकिन दर्शक को हमेशा यह आस रहेगी कि अंत में विजय कुछ ना कुछ करेगा। इस फिल्म में भी फिर दर्शक पुलिस को ही हारता देखना चाहेंगे।

दृश्यम के दोनों भाग ओरिजिनल में इसी नाम की मलयालम फिल्म के ही रीमेक हैं। मलयालम की दृश्यम -2 पिछले साल ही आयी थी।हिंदी वाली दृश्यम 2 ,मलयालम वाली दृश्यम 2 की हूबहू कॉपी हैं। इंटरवल से पहले फिल्म काफी बोरिंग लगेगी क्योंकि उसमे केस बंद होने के बाद विजय के परिवार की जिंदगी के बारे में बताया जाता हैं,विजय की गाँव में अब छवि कैसी हैं यह बताया जाता हैं ,कुछ नए कैरेक्टर को फिल्म में लाया जाता हैं। यह सीन बोरिंग तो लगते हैं लेकिन फिल्म को समझने के लिए यह सब बताना जरुरी था। फिल्म में मजा तब शुरू होता हैं जब केस की छानबीन फिर शुरू हो जाती हैं लेकिन अंतिम के आधे घंटे में तो आपके दिमाग में भूकंप सा आ जाएगा। फिल्म की पूरी जान अंतिम आधे घंटे में देखने को मिलेगी। लोग जो कि फिल्म के हर एक डायलॉग को सुनने के लिए एक दम चुपचाप बैठे मिलेंगे ,वें सब अंत में कई जगह सुखद आश्चर्य के साथ तालिया बजाते मिलेंगे। दर्शकों को अंत में वो चीज देखने को मिलेगी जिसकों देखने की आशा लेकर इतने सालों इस फिल्म के आने का इंतजार किया।

फिल्म में अजय देवगन ,तब्बू ,अक्षय खन्ना ,श्रिया सारण ,रजत कपूर ,इशिता दत्ता हर एक की एक्टिंग तारीफे काबिल थी। यहाँ तक कि छोटे छोटे सपोर्टिंग रोल वाले पात्रों का भी अभिनय गजब का था। आप इस फिल्म को देखेंगे नहीं ,महसूस करेंगे। डायलॉग्स भी प्रथम भाग की तरह इस भाग के भी शानदार मिलेंगे। फिल्म में कोई एक्शन नहीं हैं ,फ़ालतू गाने नहीं हैं। फिल्म शुद्ध रूप से एक सस्पेंस ड्रामा हैं और आप अपने परिवार के साथ इसे देख सकते हैं।पिछले भाग की तरह यह फिल्म भी इंसानी मनोविज्ञान के बारे में काफी कुछ सीखा देगी और आपके पैसे फ़ालतू खराब नहीं जाने देगी।

my rating : 4 /5

 

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