विज्ञापन 24 घंटे में नही हटा तो.. और अलग से फोर्स भेजी जाएगी…
गायत्री मंदिर में बैठे ज़ेवरों के इस विज्ञापन पर दृष्टि पड़ी तो आश्चर्य हुआ इस विज्ञापन को देखकर।
अश्लीलता फैलाने के इस दौर में मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स का यह विज्ञापन स्त्री का बिना सीना दिखाए गर्व से उपभोक्ताओं की छाती चौड़ी कर रहा है, बिना नाभिदर्शना पेट, बिना कट ब्लाउज पहनाकर प्रस्तुत किया गया यह विज्ञापन मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के प्रोडक्ट्स के प्रति विश्वास का असीम अनुराग का भाव इस विज्ञापन को देखने वाले आमजनों और उपभोक्ताओं के मन में उत्पन्न करता है।
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मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के अन्य कई और जवाहरातों से संबंधित विज्ञापन सर्च करने पर सामने इसी प्रकार की तस्वीरें सामने आई।
धन्य है इस कंपनी के प्रबंधन से जुड़े हुए लोग जिन्हें विश्वास है कि अपनी संस्कृति का, परंपराओं का आदर करके भी वे बाजार में अपना स्थान सुरक्षित रख सकते हैं।
मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के विज्ञापनों में जब इतनी पवित्रता और शुचिता का भाव है तो स्वाभाविक रूप से उसके उत्पाद भी 100 फीसदी खरे होंगे।
आमजनों की राय तो यही है जो विज्ञापन आपकी संस्कृति के प्रति सम्मान प्रदर्शित करता है वो आपके मेहनत से कमाए गए रूपयों का मोल भी समझता है तो ऐसे में इस तरह के संस्थानों के प्रबंधन ही आपको खरे उत्पाद देनें के लिए अपना घाटा कर सकते हैं या अपना लाभ घटा सकते हैं और इसके विपरीत लोगों का तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति होगी।
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ज्वेलरी के कई कंपनियों के विज्ञापनों में लड़कियों का सीना आधे से ज्यादा दिख रहा है, नाभिदर्शन करा रहे हैं या ज्वेलरी का प्रदर्शन कर रहे हैं। जब बच्चियां ऐसे कंपनियों के उत्पाद लेंगी तो मानसिकता भी वैसी ही बनेगी।
स्थानीय स्तर पर भी अश्लीलता परोसकर ग्राहकों को रिझाने का प्रयास किया जाता है। विज्ञापन बता देता है कि उत्पाद का स्तर क्या है?
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आज जिस तरह अनाचार, छेड़खानी की घटनाएं बढ़ी हैं, वह समूचे मानवता को शर्मसार करती है, घटनाओं की जघन्य प्रकृति इससे भी कहीं ज्यादा घृणित और चिंताजनक है।
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए अन्य उपायों के साथ ही अश्लीलता से भरे विज्ञापनों पर भी रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे, जो ऐसी मनोवृत्ति को उकसाते हैं। विज्ञापनों में बढ़ती अश्लीलता नौनिहालों पर गहरा प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है और युवाओं को नैतिक रूप से भ्रष्ट बना रही है।
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स्थिति यह है कि पानी के बोतल से लेकर पचास हजार रुपये की वस्तुओं के विज्ञापन में खुलकर अश्लीलता का प्रदर्शनकिया जाता है। संस्थाओं को-विज्ञापन निर्माण करने वालों को लगता है, जैसे भारतीय उपभोक्ता समाज केवल अश्लीलता – नग्नता की ही भाषा समझता है लेकिन ऐसा अब नहीं है, उपभोक्ताओं में भी जागरूकता आई है और वो भी ऐसे विज्ञापन करने वाले उत्पादों का खुलकर बहिष्कार करने लगे हैं।
मेरे कुछ परिचित हैं जिन्होंने इस दिशा में लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है।
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एक बात और है कि एक समय ऐसे अश्लील विज्ञापन कंपनियां के उत्पादों की बिक्री और कमाई बढ़ाते रहे हैं, जिससे समाज में बलात्कार जैसी घटनाओं को भी बढ़ावा मिला था लेकिन अब लोग जागरूक हो रहें हैं और ऐसी कंपनियों के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं। अश्लीलता से पूर्ण विज्ञापित वस्तुओं के उपयोग से दिमाग में अश्लीलता ही आएगी ,इसलिए ऐसे उत्पादों का बहिष्कार सभ्य परिवारों में होने लगा है।
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विगत वर्ष मध्यप्रदेश के गृहमंत्री मिश्रा ने एक विज्ञापन को लेकर आक्रोशित होकर सब्साची को 24 घंटे के अंदर मंगलसूत्र का विज्ञापन हटाने का अल्टीमेटम दिया था, उन्होंने कहा था कि ” अगर डिजाइनर इसे नहीं हटाते तो उनके खिलाफ केस दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। मंगलसूत्र का विज्ञापन बेहद आपत्तिजनक और मन को आहत करने वाला है। आभूषणों में सर्वाधिक महत्व का आभूषण मंगलसूत्र होता है। हम मानते हैं कि मंगलसूत्र का पीला हिस्सा मां पार्वती का प्रतीक होता है और काला हिस्सा भगवान शिव जी की कृपा से महिला और उसके पति की रक्षा होती है। मां पार्वती जी की कृपा से जीवन दांपत्य सुखमय होता है। “
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गृहमंत्री मिश्रा ने आगे कहा था कि मैं पहले भी चेतावनी दे चुका हूं, डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी को मैं व्यक्तिगत रूप से चेतावनी दे रहा हूं और 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दे रहा हूं। 24 घंटे के अंदर यह विज्ञापन जो आपत्तिजनक और अश्लील है, नहीं हटाया तो केस रजिस्टर्ड होगा और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी और अलग से फोर्स भेजी जाएगी। ” बाद में इस विज्ञापन को हटा लिया गया था।
कंपनियां ऐसे विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर प्रकारांतर से समाज को अनैतिकता के घोर संकट में डालने का काम कर रही हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे विज्ञापनों पर अविलंब रोक लगानी चाहिए।