नितिन त्रिपाठी : भारत में मोदीजी से.. फूलपुर वाली भौजी जैसी उम्मीदें…

परिचित में लव मैरिज कर एक बाहर की पढ़ी लिखी बहू आई. बहू ने अपनी समझ से सभी रिश्तेदारों को खुश करने की कोशिश की. सब उसकी तुलना अपने अपने हिसाब की बहुवों से कर उसका मज़ाक़ उड़ातीं. बेचारी बहू जिसने कभी घर में एक कप न धोया होगा, यहाँ रामपुर वाली बुवा जी आतीं तो उनके आधा घंटे पैंर दबाती. फ़िर बुवा जी बोलती बताओ पैंर दबाना भी नहीं आता. इससे अच्छा पैंर तो फूलपुर गाँव वाली भौजी दबा लेती हैं. वह तो जब तक सो न जाओ तब तक पैंर दबाती है और फ़िर ज़मीन पर ही सो जाती है.

मैंने बहू को समझाया इन सब चक्करों में मत पड़ो. जितना नींचे गिरोगे वो तुम्हारी तुलना उससे भी नींचे से कर बेज्जत करते रहेंगे. संस्कारी रहो, सबकी इज्जत करो लेकिन सबसे पहले अपनी खुद की इज्जत करो. दूसरों को खुश करने के लिए अपनी डिग्निटी दांव पर मत लगाओ. बहू ने ऐसा ही किया, कुछ दिन तो सबका मुँह फूला रहा फ़िर समय के साथ उस बहू को आदर्श बहू माना जाने लगा, रामपुर वाली बुवा भी तारीफ़ करने लगीं कि फूलपुर वाली भौजी दाल में नमक ज़्यादा डालती हैं, ये बहू इत्ती पढ़ी लिखी है, रुपया भी कमाती है और कितना अच्छा खाना भी बना कर खिलाती है.

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भारत में मोदी जी का हाल यही है. ज़्यादातर लोग उनसे फूलपुर वाली भौजी जैसी उम्मीदें रखते हैं. झारखंड में पुलिस ठीक काम नहीं कर रही है, मोदी क्या कर रहा है. इससे बेहतर तो इंदिरा गांधी थीं. बैंक की ब्याज दर कम है, इससे बेहतर तो राजीव गांधी थे पंद्रह प्रतिशत ब्याज देते थे, भले ही लोन बीस प्रतिशत में देते थे. GDP अच्छी है तो क्या इससे रोटी मिलेगी? INS विक्रांत से क्या, मुफ़्त बिजली चाहिए. फ़िर एक तबका है जिसे मोदी जी से हर घटना में ट्वीट चाहिए होता है और न मिलने पर वह कोसा करता है.

मोदी जी हैं समझदार बहू. उन्हें पता है इनके सस्तर पर जाकर इन्हें खुश नहीं किया जा सकता. अपनी लकीर बड़ी खींचो. आज रक्षा हो या होम सिक्यरिटी देश दस साल पहले से दस गुना बेहतर है. हाइवे हों या डिजिटल हाइवे हों, हवाई अड्डे हों या रेलवे का इंफ़्रा हों अभूतपूर्व कार्य हुआ है. जब अग़ल बग़ल के हर देश में त्राहि माम मचा है भारत की GDP तेरह प्रतिशत से बढ़ी है. रेमार्केबल है.

मोदी जी को पता है, गाँव वाली बुवा ऐसे चाहे रोज़ छाती पीटें कि फूलपुर वाली भौजी ज़्यादा सेवा करती हैं पर मन ही मन वह जानती हैं कि इस बहुरिया से बेहतर देश कोई और नहीं चला सकता.

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