NRI अमित सिंघल : देश की समस्याओं का स्थाई समाधान कर रही है मोदी सरकार

जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्ट-कट अपनाकर, समस्याओं को टाल देने की प्रवृत्ति होती है, वो कभी समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं कर सकते। शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय मोदी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से बीते 7-8 साल में भारत के लगभग 50 हजार करोड़ बाहर विदेश जाने से बचे हैं। और करीब-करीब इतने ही हजार करोड़ रुपए इथेनॉल ब्लेडिंग की वजह से देश के किसानों के पास गए हैं। यानि जो पैसे विदेश जाते थे, वो एक तरह से हमारे किसानों को मिलने लगा हैं।

आठ साल पहले भारत में इथेनॉल का उत्पादन सिर्फ 40 करोड़ लीटर के आसपास होता था। आज करीब-करीब 400 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में इथेनॉल बनाने के लिए कच्चा माल हमारे किसानों के खेतों से ही तो आता है।

जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्ट-कट अपनाकर, समस्याओं को टाल देने की प्रवृत्ति होती है, वो कभी समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं कर सकते। शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय मोदी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है। पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया। लेकिन शॉर्टकट वाले इसका समाधान नहीं दे पाए। मोदी सरकार किसानों की पराली से जुड़ी समस्याओं को समझते हैं, इसलिए उन्हें इससे छुटकारा पाने के आसान विकल्प भी दे रहे हैं।

पानीपत में लगा जैविक ईंधन प्लांट पराली की समस्या के स्थाई समाधान में मदद करने वाला है। इस आधुनिक प्लांट में धान और गेहूं के भूसे के साथ ही मक्के का बचा हुआ हिस्सा, गन्ने की खोई, सड़ा-गला अनाज, इन सभी का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में किया जाएगा। जो किसान मजबूरी में पराली जलाते थे, उन्हें भी अब गर्व होगा कि वो इथेनॉल या जैविक ईंधन के उत्पादन में भी मदद कर रहे हैं, राष्ट्र निर्माण में मदद कर रहे हैं।

आज़ादी के इतने दशकों तक फर्टिलाइज़र हो, केमिकल हो, खाने का तेल हो, कच्चा तेल हो, गैस हो, भारत इनके लिए विदेशों पर बहुत अधिक निर्भर रहा हैं। इसलिए जैसे ही वैश्विक परिस्थितियों की वजह से सप्लाई चेन में अवरोध आता है, भारत भी दिक्‍कतों से बच नहीं सकता। बीते 8 वर्षों से देश इन चुनौतियों के स्थाई समाधान पर भी काम कर रहा है। देश में नए फर्टिलाइजर प्लांट लग रहे हैं, नैनो फर्टिलाइजर का उत्पादन हो रहा है, खाद्य तेल के लिए नए-नए मिशन भी शुरू हुए हैं। आने वाले समय में ये सभी देश को समस्याओं के स्थाई समाधान की तरफ ले जाएंगे।

राजनीति में कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है। ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे, देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे। ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्स पेयर का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसी घोषणाएं करने वाले कभी नई टेक्नॉलॉजी पर निवेश नहीं करेंगे। वो किसान से झूठे वायदे करेंगे, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए इथेनॉल जैसे प्लांट नहीं लगाएंगे। वो बढ़ते प्रदूषण पर हवा-हवाई बातें करते रहेंगे, लेकिन इसको रोकने के लिए जो कुछ करना होगा, उससे दूर भागेंगे।

देश के सामने जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए साफ नीयत चाहिए, निष्ठा चाहिए, नीति चाहिए। इसके लिए सरकार को बहुत सारी राशि निवेश करनी पड़ती है। जब सरकारों के पैसा होगा ही नहीं, तो इथेनॉल प्लांट, बायोगैस प्लांट, बड़े-बड़े सोलर प्लांट, हाइड्रोजन गैस के प्लांट जो आज लग रहे हैं, वो भी बंद हो जाएंगे। हमें हमारी भावी संतानों के भविष्‍य को बर्बाद करने का हक नहीं है।

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