NRI अमित सिंघल : मोदी सरकार में भगोड़े उद्योगपतियों के लोन माफी का असली सच

समय-समय पर अर्बन नक्सल, पत्रकार का रूप धारण करके, मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं कि उन्होंने भगोड़े उद्योगपतियों का लोन माफ कर दिया है। इसके लिए वे अंग्रेजी के लोन “write off” का “अनुवाद जानबूझकर “लोन माफी” के रूप में करते हैं जबकि लोन माफी के लिए सही शब्द है – “waive off”। स्वर्गीय अरुण जेटली ने यह बात संसद में भी स्पष्ट की थी कि लोन write off करने का अर्थ यह नहीं है कि लोन वसूला नहीं जाएगा । किसानों का लोन waive off या माफ किया जाता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन ने राज्य सभा में 2 अगस्त 2022 को बताया कि था कि किसी कर्ज को बट्टे खाते में डालने का मतलब यह नहीं है कि कर्ज की वसूली छोड़ दी गयी है या उसे माफ़ कर दिया गया है। लोन का बट्टे खाते में जाना बैंकिंग कारोबार की सामान्य प्रक्रिया है। इससे बैंकों का बही-खाता साफ-सुथरा बनाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही इससे बैंकों को अपना कर दायित्व भी उचित स्तर पर रखने में सहायता मिलती है। अर्थात जितने भी लोन जिस किसी ने लिए या दिए है सब के सब वापसी करने होंगे चाहे देश मे रहें अथवा विदेश मे।
4 अप्रैल 2022 को लोक सभा में एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने बताया कि रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, चार साल पूरे होने पर NPA को संबंधित बैंक की बैलेंस शीट से राइट-ऑफ के माध्यम से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ करते है; टैक्स में छूट लेते है और अपनी पूँजी को लोन देने के लिए फ्री करते है (बैंको द्वारा दिए गए लोन का एक निश्चित प्रतिशत कैश के रूप में रिज़र्व में रखना होता है; राइट-ऑफ करते ही उस NPA  का रिज़र्व कैश आगे लोन देने के लिए उपलब्ध हो जाता है)। बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के उधारकर्ता चुकौती के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और उधारकर्ता से देय राशि की वसूली की प्रक्रिया जारी है।
पुनः ध्यान दीजिए – चार साल पूरे होने पर NPA को संबंधित बैंक की बैलेंस शीट से राइट-ऑफ के माध्यम से हटा दिया जाता है।
अर्थात, पहले वह लोन NPA घोषित हो।  फिर वह NPA चार साल बैंक की बैलेंस शीट में रहता है।  उसके पश्चात् ही उसे राइट-ऑफ किया जा सकता है।
दूसरे शब्दों में, लगभग सभी NPA सोनिया सरकार के समय दिए गए लोन से उत्पन्न है।
रिजर्व बैंक के माध्यम से कुछ आंकड़े दे रहा हूँ। सबसे अधिक NPA (लगभग 9 लाख करोड़ रुपये) वर्ष 2018 में हुआ था; सोनिया सरकार के ठीक चार वर्ष बाद।
अब NPA में तेजी से गिरावट आ रही है।

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