नितिन त्रिपाठी : भारत से महापलायन, अरबपति भी छोड़ रहे देश..?

हर साल लगभग डेढ़ लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं जिनमे ज़्यादातर लोग अमेरिका की नागरिकता ले रहे है. इस पर काफ़ी चर्चा चल रही है और प्रायः ग़लत फ़ैक्ट्स के साथ. 

समस्या यह नहीं कि लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं समस्या यह है कि भारत उन्हें छोड़ रहा है.

यदि कोई अमेरिका जैसे देश में नौकरी करने जाता है तो वीज़ा की एक अवधि के पश्चात लाजिकल रहता है ग्रीन कार्ड लो, फ़िर नागरिकता ले लो. ज़िंदगी भर वीज़ा की तलवार तले अमेरिका में नौकरी नहीं की जा सकती, यह वह देश है जो बना ही है इमिग्रंट नागरिकों के सिद्धांत पर.

किसी भी व्यक्ति के लिए अपनी मात्रभूमि की नागरिकता त्यागना सबसे मुश्किल निर्णय होता है. अमेरिका में जिस समय नागरिकता का टेस्ट होता है, लोग भावुक हो जाते हैं, रो रहे होते हैं. अमेरिकन सरकार के कर्मी वहाँ लोगों को समझाते हैं कि नागरिकता बस पासपोर्ट का टुकड़ा है. आप कल भी अपने पुराने देश का समर्थन कर सकते हैं, वही सब रीति रिवाज मान सकते हैं, बस यह कि युद्ध में ज़रूरत पड़ने पर अमेरिकन सेना में शामिल होना पड़ेगा.

अमेरिका और ज़्यादातर देश दोहरी नागरिकता अलाउ करते हैं. यहाँ तक कि पाकिस्तान भी अमेरिका इंग्लैंड आदि देशों के लिए दुहरी नागरिकता अलाउ करता है. लेकिन ऐसे मुद्दों पर हमारा ईगो आँड़े आ जाता है. एक देश का पासपोर्ट चुनो, भारत या अमेरिका. वह जिनके पास अमेरिकन पास्पोर्ट का ऑप्शन नहीं वह थ्योरी देंगे देश भक्ति पास्पोर्ट से होती है, हक़ीक़त में यदि आपको बाहर नौकरी करनी है तो अमेरिकन पास्पोर्ट मतलब विश्व में राजा की तरह ट्रीट किए जाएँगे और भारतीय पास्पोर्ट अर्थात् विश्व के ज़्यादातर देश में बग़ैर वीज़ा एंट्री न मिलेगी उल्टे वीज़ामिलना बहुत मुश्किल रहता है.

इकीसवी सदी में हमें समस्याओं को कोरी भावना की बजाय असलियत को ध्यान में रख फ़ैसला करना पड़ेगा. अमेरिका इंग्लैंड जैसे देशों में रहने वाले भारतीयों के लिए दोहरी नागरिकता डिमांड ओफ़ डे है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *