RNI अमित सिंघल : गेंहू एक्सपोर्ट पर “बैन” का बैकग्राउंड
यह मोदी सरकार है; ना की सोनिया सरकार जो भारत कि चीनी को सस्ते में एक्सपोर्ट कर दे; बाद में उसी चीनी को कहीं मंहगे दामों पर आयत करके भारत में आपूर्ति करे। वर्ष 2008 में चीनी 12.50 रुपये किलो एक्सपोर्ट कि गयी थी; बाद में वही चीनी 30 रुपये किलो आयात करके भारत में 45 रुपये किलो बेचीं गयी थी।
प्रथम, यह ध्यान रखिए की भारत का केवल 6% कृषि उत्पाद MSP पर खरीदा जाता है। वह भी ऐसा उत्पाद (गेंहू-धान) जो आलरेडी सरकारी गोदामों की क्षमता से तीन गुना अधिक भरा हुआ है; या फिर गन्ना जो मांग से अधिक पैदा किया जा रहा था; वह भी अन्य उपज की सिंचाई को डाइवर्ट करके।
द्वितीय, टैक्सपेयर को अपने पैसा का गुमान होना भी चाहिए क्योकि उसी के पैसे से मिलनी वाली MSP के लालच में पंजाब का किसान धान उगा रहा है जो पंजाब में बोना ही नहीं चाहिए।
तृतीय, कई राज्यों में अनाज केवल सरकारी मंडी में बेचा जा सकता है; ना की निजी क्षेत्र को; तो आलोचना किस बात की है? सरकार ने गेंहू खरीद से मना नहीं किया है।
चतुर्थ, सरकार ने गेंहू एक्सपोर्ट पूर्णतया बैन नहीं किया है, बल्कि पुराने एक्सपोर्ट कमिटमेंट को पूरा किया जाएगा तथा विदेशी सरकारों के निवेदन पर भारत सरकार उस एक्सपोर्ट की अनुमति देगी।
अब इस चौथे बिंदु का बैकग्राउंड क्या है? समाचारो के अनुसार, अभी तक चीनी लोग भारत से गेंहू खरीदकर अपने यहाँ जमा कर रहा था। लेकिन भारत सरकार गेंहू के एक्सपोर्ट को विदेश नीति के एक प्रमुख अस्त्र के रूप में प्रयोग करना चाहती है।
भारतीय गेंहू की अन्य पड़ोसी राष्ट्रों, पूर्वी एशिया, अफ्रीका एवं अरब देशो में भारी मांग है। हाल ही में, इंडोनेशिया ने पाम आयल का एक्सपोर्ट बैन कर दिया है; लेकिन भारत को पाम आयल एक्सपोर्ट करने के लिए विशेष छूट दी है। बदले में भारत को इंडोनेशिया को गेंहू एक्सपोर्ट करना होगा।
यह सभी एक्सपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव पर होगा; ना कि किसी प्रकार के सरकारी भाव पर।
एक अन्य पहलू भी है। एक्सपोर्टर गेंहू खरीद कर उसकी जमाखोरी कर रहा था। वह उस गेंहू के अंतर्राष्ट्रीय दामों में और उछाल आने के बाद बेचना चाहता था। अब वह एक्सपोर्टर समझ गया है कि उसकी यह रणनीति नहीं सफल होगी।
अतः निजी क्षेत्र एवं एक्सपोर्टर अभी भी किसानो से सीधे गेंहू खरीद सकता है। लेकिन उसे आगे एक्सपोर्ट करने के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी।
यह मोदी सरकार है; ना की सोनिया सरकार जो भारत कि चीनी को सस्ते में एक्सपोर्ट कर दे; बाद में उसी चीनी को कहीं मंहगे दामों पर आयत करके भारत में आपूर्ति करे। वर्ष 2008 में चीनी 12.50 रुपये किलो एक्सपोर्ट कि गयी थी; बाद में वही चीनी 30 रुपये किलो आयात करके भारत में 45 रुपये किलो बेचीं गयी थी।