CCG ग्रुप को फटकार.. चिठ्ठी पर बंगाल हिंसा की याद दिलाई… पब्लिक PM के साथ…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से कई नौकरशाहों और पूर्व न्यायाधीशों ने एक पत्र लिखा है। 8 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, 97 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 92 सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों, यानी कुल 197 हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा लिखे इस पत्र में एक स्वयंभू संवैधानिक आचरण समूह (सीसीजी) के उस पत्र की चर्चा की गई है, जिसमें ‘नफरत की राजनीति को समाप्त करने’ के लिए पीएम को चुप्पी तोड़ने और कोई कदम उठाने को कहा गया था। नए पत्र में पीएम से ऐसे लोगों को बेनकाब करने के लिए कहा गया है जो इस पर केवल राजनीति कर रहे हैं।

पूर्व न्यायाधीशों, लोक सेवकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों द्वारा पीएम मोदी को खुले पत्र में कहा गया है, “पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर सीसीजी की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।” पीएम को लिखे पत्र में कहा गया है कि हम निहित स्वार्थों के लिए ऐसी घिनौनी राजनीति की निंदा करते हैं और सभी सही सोच वाले नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे इन लोगों को बेनकाब करें। पूर्व न्यायाधीशों और लोक सेवकों ने कहा कि हमारे महान राष्ट्र की एकता और अखंडता बनी रहे इसके लिए सबको साथ आना होगा।

मालूम हो कि पिछले दिनों देश के 108 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वे ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का आह्वान करें। उस पत्र में कहा गया था कि केवल बीजेपी शासित राज्यों में ही ऐसा हो रहा है, पीएम को इस पर कोई कदम उठाना चाहिए।

जिसके बाद इस नई चिट्ठी से उसका विरोध किया गया है। हालाँकि इससे पहले केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के एक समूह ने एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी।
साथ ही उन्होंने उन पूर्व नौकरशाहों की आलोचना की है, जिन्होंने हाल ही में कथित ‘नफरत की राजनीति पर पीएम मोदी की चुप्पी’ पर सवाल उठाते हुए एक चिट्ठी लिखी थी। लाभार्थियों के एक समूह ने शुक्रवार (29 अप्रैल 2022) को अपने पत्र में लिखा था, “उनकी (पूर्व नौकरशाहों की) “निष्क्रियता” ने उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया था और उन्हें अब वे सुविधाएँ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के तहत मिली हैं।”

उन्होंने पूर्व नौकरशाहों को करारा जवाब देते हुए यह भी कहा था, ‘‘यह कल्पना से परे है कि आप समाज के एक अदृश्य खतरे पर चुप्पी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए पत्र लिख रहे हैं। जब आपकी गलत नीतियों के कारण हम गरीबी में जीने को मजबूर थे, तब तो आपने हमारे बारे में कभी नहीं सोचा।” प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए लाभार्थियों ने कहा कि जब हर जगह लोग कोरोना महामारी के दौरान परेशान थे। उस वक्त पीएम मोदी ने गरीबों और बेसहारा लोगों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया, जिससे लोग भूखे नहीं रहें। उन्होंने मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम का आयोजन किया, ताकि लोगों को कोरोना महामारी की चपेट में आने से बचाया जा सके।

इसके साथ ही लाभार्थियों ने आरोप लगाया कि पत्र लिखने वाले नौकरशाहों की निष्क्रियता के कारण ही उन्हें भोजन, आवास, रसोई गैस और बैंक खातों जैसी बुनियादी सुविधाओ से वंचित रहना पड़ा, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में उन्हें ये सब सुविधाएँ आसानी से मिली हैं।

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