मनीष शर्मा : क्या राज्यो को सेंट्रल फोर्सेज (CAPF) या सेना के deployment के लिए कोई कीमत चुकानी पड़ती है ?
पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक अजीबोगरीब बयान दिया, कि पठानकोट में जब अटैक हुआ था, तब केंद्र ने मिलिट्री भेजी थी, जिसकी एवज में 7.5 करोड़ रुपये का बिल पंजाब सरकार को भेजा गया था।
चलिए बात यहीं तक रहती तो ठीक थी लेकिन भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के लिए rent पर मिलिट्री भेजी गई, और कहा कि उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री को कहा कि MP फण्ड से पैसा ले लें, और लिख कर दे दें कि पंजाब भारत का हिस्सा नही है।
पठानकोट का हमला हुआ था जनवरी 2016 में…..इन्हें आज ये बात याद आयी, 6 साल बाद??
दूसरी बात, तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जी थे, फिर भगवंत मान कैसे राजनाथ सिंह से मिल कर आ गया?? इन्होंने कहा कि केंद्र ने इसको चिट्ठी भेजी। केंद्र अगर पैसे मांग भी रहा है, तो वो राज्य सरकार से मांगेगा क्योंकि राज्य सरकार ही CAPF या आर्मी बुलाने की request देते हैं। इससे संबंधित लेन देन राज्य सरकार और केंद्र के बीच ही होता है…..ये MP भगवंत मान कहां और किस हैसियत से बीच मे आया??? बड़ा सवाल है।
दूसरा सवाल है कि क्या केंद्र राज्य सरकारों से आर्मी या CAPF deploy करने के पैसे लेता है??
जी बिल्कुल लेता है. राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस की होती है, अगर कोई emergency स्थिति आये तो राज्य सरकार केंद्र को request करते हैं, सेना या CAPF deploy करने के लिए..काम होने के बाद सेना या CAPF वापस चली जाती हैं, जरूरत होने पर Extend भी करते हैं।
Deployment का कानून क्या नया बना है?
जी नही, ये कानून कई दशकों से है
क्या deployment की कीमत लेनी चाहिए??
क्यों नही…बिल्कुल लेनी चाहिए। आर्मी और CAPF(Central Reserve Police Force, Border Security Force, Sashastra Seema Bal, Indo-Tibetan Border Police, Central Industrial Security Force and the Assam Rifles) केंद्र के अंतर्गत आती हैं…..इनकी तनख्वाह, हथियार, ट्रेनिंग, पेंशन और अन्य खर्चे केंद्र ही वहन करता है।
एक उदाहरण लीजिये…. पंजाब में आतंकवादी घटना हो गयी, या दंगे हो गए जिसे पुलिस कंट्रोल नही कर पा रही, तो राज्य सरकार क्या करेगी??
वो केंद्र को अतिरिक्त बल भेजने को कहेगी…..मान लीजिए केंद्र ने 10000 जवान भेज दिए, और ये लोग 3-6 महीने वहां रुके….. इस बीच मे इन्होंने आपरेशन भी किये, आतंकवादी भी मारे, खुद के जवान भी हताहत हुए या घायल हुए……इन सब चीजों की कोई कीमत होनी चाहिए या नही??
CAPF की अगर sensitive एरिया में या आतंकवाद प्रभावित इलाकों में deployment होगी, तो जवानों को अतिरिक्त allowance भी देना पड़ता है, operation करने में हथियार, गोलियां आदि भी खर्च होंगे ही, जवान हताहत होंगे या घायल होंगे तो उनका इलाज या Ex-Gratia amount आदि भी देना पड़ता है। इसके अलावा deployment की कीमत, राशन पानी, पेट्रोल डीजल का खर्च भी जोड़िए। इसकी पूरी guideline आपको MHA (होम मिनिस्ट्री) की वेबसाइट पर मिल जाएगी।
और सबसे बड़ी बात….आप एक security service ले रहे हैं, वो मुफ्त क्यों मिलनी चाहिए??? यहां हम बिजली पानी की बात नही कर रहे। राज्य की पुलिस असफल है, इसलिए आपने सशस्त्र बल बुलाये हैं, जो आपके लिए दुश्मन से लड़ेंगे, गोलियां खाएंगे……क्या आप ये सब काम मुफ्त में करेंगे ???
केंद्र ने sensitive इलाके, जैसे जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, और इनके अलावा नार्थ ईस्ट में इन services के चार्ज काफी कम कर दिए हैं 2019 के बाद…..वहीं राजस्थान और पंजाब के लिए भी कीमत काफी कम रखी गयी है।
आर्मी और CAPF इसके अलावा प्राकृतिक आपदा, चुनाव या राज्य की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भी आती है और उसकी भी कीमत उन्हें अदा करनी ही पड़ती है, हालांकि केंद्र इसमे अलग अलग तरह की रियायतें भी देता है।
अगर किसी राज्य सरकार को ये कीमत देने में दिक्कत है, तो वो अपने राज्य की कानून व्यवस्था सुधारे। अब ऐसा तो होगा नही कि आप अपने राज्य में उल्टे सीधे काम होने दें, रायता फैलाते रहें, फिर सेना या CAPF की जरूरत पड़े, और आप उनका payment भी न करें। ये कोई ‘बिजली हाफ पानी माफ’ या ‘किसानो के कर्जमाफी’ नही है। सेना के लोग अपनी जान हथेली पर लेकर आते हैं। आप उनकी जान तो वापस नही लौटा सकते, कम से कम उनका पेमेंट करने में विधवा विलाप तो मत करो।
