सुरेंद्र किशोर : 2021 में केरल स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 12 वीं कक्षा के 234 विद्यार्थियों को 100 प्रतिशत अंक दे दिए..

दिल्ली विश्व विद्यालय में माक्र्स के आधार पर नामांकन होता था,इसलिए हिन्दू काॅलेज के राजनीति विज्ञान विभाग में केरल के 20 विद्यार्थियों का नामांकन हो गया।
सीटों की कुल संख्या 26 है।
ऐसा ही दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य काॅलेजों व विभागों में हुआ।
ऐसा कई साल से चल रहा था।
आरोप लगा कि खास राजनीतिक व अन्य उद्देश्य से केरल में इतने अधिक माक्र्स दिए जाते रहे।
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मर्ज है तो दवा भी है
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केंद्र सरकार ने इस ‘माक्र्स घोटाले’ को निष्प्रभावी बनाने
के लिए केंद्रीय विश्व विद्यालों में दाखिले के तरीके बदल दिए।दिल्ली विश्व विद्यालय के एक प्रोफेसर ने इसे ‘माक्र्स जेहाद’नाम दिया था।
इस साल संयुक्त विश्व विद्यालय प्रवेश परीक्षा का प्रावधान कर दिया गया।
इसी साल इसकी शुरूआत भी हो रही है।
पर ध्यान रहे कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा में धांधली न हो।
इस देश के शातिर धांधली बाज लोग जब मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए हो रही प्रवेश परीक्षा को भी आए दिन प्रदूषित कर देते हैं तो यह तो विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा होगी।
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दशकों पहले परीक्षा में कदाचार नाम मात्र के होते थे ।
तब बिहार में माक्र्स के आधार पर मेडिकल व इंजीनियरिंग काॅलेजों में दाखिले होते थे।1964-65 में जिसे 55 प्रतिशत अंक इंटर में आ गया ,उसका नामांकन सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेज मंे हो जाता था।
मेडिकल का कट आॅफ माक्र्स तो उससे भी कम था।
पर,पहले इंटर की प्रायोगिक परीक्षाएं दूषित हुईं।
ढाई सौ रुपए देकर विद्यार्थी प्रैक्टिकल के 20 में से 19 अंक पा जाते थे।
इसका मैं प्रत्यक्षदर्शी रहा ।
1967 से आम परीक्षाओं में भी खुल कर धांधली होने लगी।
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फिर मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए टेस्ट परीक्षाएं होने लगीं।
हालांकि उसमें भी धांधलीबाज कई बार पैसों के बल पर सफल हो जाते हैं।
दाखिला फूलप्रूफ कैसे होगा,यह एक यक्ष प्रश्न है।
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