अमेरिकावासी अमित सिंघल : मोदी-योगी.. ‘दार्शनिक राजा’ को सत्य और यथार्थ की समझ केवल शिक्षा से नहीं आती..

“प्रधानमंत्री  मोदी एक व्यक्ति और एक नेता के रूप में एक भयभीत करने वाले प्रतिद्वंद्वी है। उन्होंने संघ प्रचारक के रूप में 15 साल बिताए हैं, जिसने उन्हें जमीनी स्तर के सामाजिक ताने-बाने का प्रत्यक्ष अनुभव दिया है। फिर उन्होंने संगठनकर्ता (organizer) के रूप में 15 साल कार्य किये जिससे उन्हें भारत में राजनीतिक व्यवस्था कैसे चलती है, इसकी समझ मिली है।

फिर प्रशासक के रूप में 15 साल बिताये। इन सभी 45 वर्षों के अनुभव को जोड़े और मुझे बताएं कि कौन से अन्य नेता के पास ऐसा सामर्थ्य और योग्यता है। यह अद्वितीय है।”

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प्रयागराज विश्वविद्यालय में राजनीती शास्त्र के अध्ययन के समय मुझे राज्य या राष्ट्र की उत्पत्ति, सरकार, सम्प्रभुता इत्यादि विषयों को पढ़ने का अवसर मिला।

(अमित सिंघल विश्लेषक-चिंतक हैं।)

इसमें में मुझे ग्रीक दार्शनिक प्लेटो के विचारो ने विशेष रूप से प्रभावित किया।  प्लेटो का मानना था एक राष्ट्र का नेतृत्व ‘दार्शनिक राजा’ (philosopher king) को करना चाहिए।

‘दार्शनिक राजा’ एक ऐसा शासक होता है, जिसके पास ज्ञान के साथ बुद्धि एवं विश्वसनीयता हो, और जो सरल जीवन जीता है। दार्शनिक राजा नैतिक और बौद्धिक दोनों रूप से शासन के अनुकूल हैं। क्योकि वह लालच और वासना से मुक्त हैं और उसे सत्य और यथार्थ की समझ है।

 

लेकिन ‘दार्शनिक राजा’ को सत्य और यथार्थ की समझ केवल शिक्षा से नहीं आती है।

प्लेटो के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वह छात्र अगले 15 वर्ष तक एक योगी की तरह भ्रमण करता रहेगा।  इस कठोर साधना के पश्चात उस व्यक्ति का कोई निजी परिवार नहीं रहेगा।  उसे निजी लाभ का कोई लोभ नहीं रहेगा।  राज्य (राष्ट्र) ही उसका परिवार बन जाएगा। 

शिक्षा और भ्रमण के पश्चात उसे जो ज्ञान, अंतर्दृष्टि और अनुभव मिलेगा, वह उस व्यक्ति को एक आदर्श शासक बनाती है, जिसे प्लेटो ने ‘दार्शनिक राजा’ कहा।

इस समय भारत में दो ‘दार्शनिक राजा’ शासन कर रहे है।

राष्ट्र का नेतृत्व दार्शनिक राजा नरेंद्र मोदी कर रहे है।

और भारत गणराज्य के प्रान्त उत्तर प्रदेश का नेतृत्व ‘दार्शनिक महाराज’ योगी जी कर रहे है।

विश्व में कदाचित ही ऐसा काल मिले जब एक राष्ट्र का नेतृत्व दो दार्शनिक राजाओ के पास हो।

हम ही उनके परिवार है।

परिवार के मुखिया पर विश्वास बनाए रखे।

भारत की धरती पे पले-बड़े, शिक्षा-दीक्षा प्राप्त किये, एक कर्मयोगी का जीवन व्यतीत करने वाले दो ‘दार्शनिक नरेशों’ को अपनी “भिक्षा” देना ना भूले।

क्योकि इसी “भिक्षा” के भरोसे ही वे दार्शनिक राजा बने रह सकते है।

 

“मैं तपस्या करके निकला हुआ इंसान हूं”, प्रधानमंत्री मोदी.

“मैं तलवार की नोंक पर चलने वाला इंसान हूं। मैं तपस्या करके निकला हुआ इंसान हूं, तप करके निकला हुआ इंसान हूं और धरती से उठकर के आया हूं और इसलिए मुझे मालूम है कि झूठ, झूठ होता है और उस झूठ का किस प्रकार से जबाव देना है मैं पूरी तरह से जानता हूं और इसलिए मैं हर गाली का गहना बना सकता हूं क्योंकि मुझे मालूम है कि गाली अपने आप में गलत है  गाली देने वाला गलत है। गाली देने वालों का इरादा गलत है और जब मेरे भीतर अच्छाई के प्रति पूरा भरोसा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समाचर चैनल को इंटरव्यू में बताया था।

वे आगे कहते है कि “इस देश में 450 से ज्यादा जिले ऐसे होंगे जहां रात्रि में मैंने मुकाम किया होगा. 450 से ज्यादा जिले जहां मैंने रात्रि में मुकाम किया होगा और मेरा करीब 45 साल का जीवन परिव्राजक (रमता जोगी या घुमक्कड़) का जीवन रहा है। मेरे जीवन का बहुत बड़ा कालखंड मैंने रेल की पटरी पर, ट्रेन के डिब्बे में गुजारा है, ट्रेवेलिंग में।”

फिर प्रधानमंत्री मोदी बतलाते है कि “मैं चाय बेचता था, मैं बहुत दिनों की बात नहीं कर रहा हूं, वो एक अलग, मैं बाद की जिंदगी कहता हूं तो मैं एक प्रकार से बहुत परिव्राजक रहा हूं। 450 जिलों में तो नाइट हाल्ट तो, ये कंजरवेटिव है उससे ज्यादा भी होगा। इसका मतलब मुझे हिंदुस्तान के हर कोने का मेरा कैसा तव्वजो। तब भी मैं ऐसा ही कठोर परिश्रम करता था जी। तब भी ऐसा ही कठोर परिश्रम करता था. तो परिश्रम ये मेरा, जिम्मेवारियों के प्रति मेरा कमिटमेंट है, किसी की चिंता मैं नहीं करता हूं।”

 

आगे वे कहतें हैं “आप हैरान होंगे, मैं हिमाचल प्रदेश में काम करता था और हमारे यहां भारतीय आर्गेनाइजेशन में शक्ति केंद्र की रचना होती है। यानि एक ब्लॉक को भी 6 हिस्सों में बांटते हैं. एक शक्ति केंद्र में जाना है तो हिमाचल में मुझे एक दिन जाता था. पहाड़ चढ़ना, उस जगह पर जाना फिर उतरना, एक दिन जाता था. मैं एक ऐसा इंसान था जिसने हिमाचल प्रदेश के सभी शक्ति केंद्रों का ट्रेवेलिंग किया था, जाकर मीटिंग करता था।”

अंत में, वे कहते है कि “मैं लोगों से मिलता हूं जी।मैं लोगों से मिलता हूं, लोगों से बात करता हूं। मैं चौखट में और दायरे में जिंदगी जीने वाला इंसान नहीं हूं।”

एक इंटरव्यू में राजनीतिक विश्लेषक किशोर कहते है कि “प्रधानमंत्री  मोदी एक व्यक्ति और एक नेता के रूप में एक भयभीत करने वाले प्रतिद्वंद्वी है। उन्होंने संघ प्रचारक के रूप में 15 साल बिताए हैं, जिसने उन्हें जमीनी स्तर के सामाजिक ताने-बाने का प्रत्यक्ष अनुभव दिया है। फिर उन्होंने संगठनकर्ता (organizer) के रूप में 15 साल कार्य किये जिससे उन्हें भारत में राजनीतिक व्यवस्था कैसे चलती है, इसकी समझ मिली है।

फिर प्रशासक के रूप में 15 साल बिताये। इन सभी 45 वर्षों के अनुभव को जोड़े और मुझे बताएं कि कौन से अन्य नेता के पास ऐसा सामर्थ्य और योग्यता है। यह अद्वितीय है।

इसलिए, यदि आप उन्हें पराजित करना चाहते हैं, तो आपको उस जमीनी स्तर को समझने की ज़रूरत है, आपको ऐसे अनुभव की आवश्यकता है, आपको प्रशासनिक कौशल की आवश्यकता है, आपको सामाजिक समझ की आवश्यकता है। यही कारण है कि वह एक दावेदार या प्रतिद्वंद्वी के रूप में इतने खतरनाक है।”

 

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