सुरेंद्र किशोर : पुलिस पर लगातार हमले जारी..

पुलिस पर लगातार हमले जारी
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हमलों के मूल कारणों की न्यायिक
जांच होनी चाहिए।क्योंकि
मर्ज बहुत गहरा पैठ चुका है
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जनता के रक्षक बल की कम होती धाक
के कारण शांतिप्रिय लोग चिंतित-असुरक्षित
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आज जिसको जब मन कर रहा है,पुलिस को मार रहा है।उसकी हत्या तक कर रहा है।
जब रक्षक ही असुरक्षित है तो जनता की
रक्षा कौन करेगा ?
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जानकार लोग बताते हैं कि मर्ज गहरा है।
(इस संदर्भ में बहुत सारी बातें तो मैं भी जानता हूं,पर लिख नहीं सकता।अन्यथा, पुलिस व्यवस्था सुधारने के बदले मुझे ही ‘‘सुधारने’’ में कुछ लोग लग जाएंगे।)इतना भर कह सकता हूं कि इस जानलेवा समस्या के लिए कई पक्ष जिम्मेदार हैं।
इस मर्ज के असली कारणों का पता न तो कोई पुलिसिया जांच से चलेगा और न ही प्रशासनिक जांच से।
इसलिए किसी कत्र्तव्यनिष्ठ जज से इसकी जांच कराई जानी चाहिए और रपट के आधार पर सुधार का ठोस उपाय भी।
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हर समय आज जैसा नहीं था।
60 के दशक की एक कहानी
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बिहार के एक कैबिनेट मंत्री ने अपने पड़ोसी व्यवसायी
को जान से मारने की धमकी दी।वह उसकी जमीन पर कब्जा कर रहा था जिसका व्यवसायी ने विरोध किया था।
व्यवसायी थाना गया।थानेदार ने उसके घर के सामने एक मुरे़ठा -लाठीधारी सिपाही तैनात कर दिया।
मंत्री को उस सिपाही पर हमला करने या उसे भगा देने की हिम्मत नहीं हुई।हां,उस
मंत्री ने मुख्य मंत्री से कह कर
उस थानेदार को डिमोट जरूर करवा दिया
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अस्सी के दशक की कहानी
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बिहार के एक गांव के पूर्व मुखिया परिवार ने एक गिरफ्तार अपराधी को पुलिस की गिरफ्त से जबरन छुड़ा लिया।
उस घटना को जिला पुलिस ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा और उस पूर्व मुखिया के परिवार को बर्बाद कर दिया।वह सबक सिखाने वाली कार्रवाई थी।
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नब्बे के दशक की कहानी
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एक बाहुबली नेता ने एक कायस्थ परिवार के बड़े मकान पर कब्जा कर लिया।
पटना हाई कोर्ट ने बिहार पुलिस को कब्जा हटाने का निदेश दिया।
पीड़ित व्यक्ति आदेश की काॅपी लेकर स्थानीय थानेदार के पास गया।
थानेदार ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का नहीं, बल्कि फलां नेता जी के आदेश का पालन करते हैं।
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आज के हालात-
क्या हो रहा ह,ै वह सब आप देख ही रहे हैं।
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झारखंड पुलिस के रिटायर ए.डी.g,आर.सी.कैथल साहब गत माह मुझसे मिलने आए थे।वे पूर्व मंत्री दिवंगत जगलाल चैधरी के जीवन पर किताब लिख रहे हैं।वे जानते थे कि मैं भी जगलाल चैधरी का प्रशंसक रहा हूं।
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मैंने सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक दिवंगत राजदेव सिंह के बारे में कैथल साहब से पूछा।
राजदेव बाबू छात्र जीवन में हमारे आदर्श थे।
उनका पुश्तैनी घर हमारे गांव के बिलकुल पास ही है।रिटायर होने के बाद वे रांची में रहते थे।
कैथल साहब ने कहा कि राजदेव बाबू रिटायर होने के बाद रांची में स्कूटर से घूमते थे।
मैंने कई बार उनसे कहा कि सर,हम आपके लिए वाहन का इंतजाम कर देते हंै।पर उन्होंने वाहन लेने से साफ मना कर दिया था।
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बिहार के पूर्व डी.जी.पी. डी.एन.गौतम साहब हमारे सारण जिले में कभी एस.पी. थे।
गौतम साहब और किशोर कुणाल साहब जिस जिले में जाते थे,वहां के अपराधी जिला छोड़ देते थे।
अब तो अपराधियों को राज्य या जिला छोड़वाने के लिए योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्य मंत्री की जरूरत पड़ रही है।
सारण के प्रभावशाली निहितस्वार्थियों ने गौतम का समय से पहले सारण से तबादला करवा दिया था।
छपरा -सोनपुर मार्ग से डी.एन.गौतम पटना लौट रहे थंे।
प्रत्यक्षदर्शी ने मुझे बाद में बताया था कि उनके तबादले से दुखी हजारों लोग छपरा-सोनपुर मार्ग की दोनांे ओर खड़े होकर गौतम साहब को अश्रुपूरित नेत्रों से बिदाई दे रहे थे।एक सारणवासी ने मुझे यह भी बताया था कि वह बिदाई उसी तरह की थी जिस तरह राम के वन गमन पर अयोध्या के लोग रो रहे थे।
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ऐसे में राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की यह कविता
याद आती है–
‘‘हम कौन थे,क्या हो गए
और क्या होंगे अभी।
आओ विचारें आज
मिलकर ये समस्याएं सभी।

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