सरल,विराट श्री रामसुमेर शास्त्री Ramsumer Shastri जी बहुत याद आएंगे

बड़े भईया Ramadhar Dewangan जी (नवभारत,संपादकीय) ने लगभग डेढ़ वर्ष पहले एक मोबाइल नंबर देते हुए कहा-“इनसे बात करना, दिल्ली में संस्कृत पढ़ाते हैं, वेंदो पर इन्होंने बहुत अध्ययन किया है।”

पहली बार में ही लगभग 3 घन्टे 40 मिनट तक हुई चर्चा को लेकर देवांगन जी ने चुटकी ली ” तुम दोनों में किसी की तबियत इतनी लंबी चर्चा से खराब तो नहीं हुई।”

कल शाम बिलासपुर से बड़े भईया Prabhat Khare जी ने बताया कि शास्त्री जी नहीं रहे।

शास्त्री जी रिटायर होने के बाद कुछ महीने पहले ही अकलतरा आये थे और दक्षिण भारत जाकर वेदों व ज्योतिष पर और अध्ययन के बाद बिलासपुर में बसकर वेदों की ओर लोगों को जोड़ने का उद्देश्य था।

विराट हृदय के इसलिए कि उन्होंने कहा था बिलासपुर में बाहर से बहुत परिचित काम से आते हैं और होटलों में रुकते हैं, ऐसे लोगों के लिए अलग से कमरे बनवाकर सारी सुविधाओं से लैस कर दूंगा,सारी व्यवस्था निःशुल्क रहेगी।

ॐ सर्वशक्तिमान ईश्वर उन्हें मोक्ष प्रदान करे??????????

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