सतीश चंद्र मिश्र : मोदियाबिंद से अंधा हुआ लुटियन मीडिया

 

पत्रकारिता में मेरे गुरू जी द्वारा दी गयी सीख के अनुरूप ही, चुनावी जनसभाओं की रिपोर्टिंग की मेरी शैली पत्रकार जीवन की शुरुआत से ही यह रही है कि किसी भी चुनावी जनसभा या रैली की भीड़ में सबसे पीछे खड़ा होकर उस भीड़ का आंकलन करता हूं। इसका कारण यह है कि किसी भी चुनावी रैली या जनसभा में भीड़ की अंतिम कतार की भावभंगिमा यह तत्काल बता देती है कि   चुनावी जनसभा या रैली में आयी भीड़ का उस चुनावी जनसभा से, उसे आयोजित करने वाली पार्टी और नेता से कोई जुड़ाव है, या वह भीड़ यूं ही किसी जुगाड़ और दबाव से इकट्ठा की गयी है।

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हां… हां… ये लहर ही है और भाजपा की ही लहर है…!!!

कल शाम राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहली चुनावी जनसभा बीकेटी विधानसभा में हुई।

मेरे लिए चुनावी तापमान का प्रत्यक्ष अनुभव करने का यह उचित अवसर था। अतः इस चुनावी जनसभा में कल मैं भी गया था।

जिस मैदान में जनसभा आयोजित की गई थी, वह खचाखच भरा हुआ था। प्रत्याशी मुख्यमंत्री योगी का भाषण प्रारंभ होने के साथ ही उस 10-12 हजार की भीड़ उनकी हर बात पर जबरदस्त जोश के साथ अपने दोनों हाथ खड़े करे के नारेबाजी करते हुए अपना समर्थन व्यक्त कर रही थी। इस समर्थन की लहर उस चुनावी जनसभा की भीड़ में सबसे पीछे, अंतिम कतार तक में साफ दिखायी दे रहा था।

स्पष्ट कर दूं कि, पत्रकारिता में मेरे गुरू जी द्वारा दी गयी सीख के अनुरूप ही, चुनावी जनसभाओं की रिपोर्टिंग की मेरी शैली पत्रकार जीवन की शुरुआत से ही यह रही है कि किसी भी चुनावी जनसभा या रैली की भीड़ में सबसे पीछे खड़ा होकर उस भीड़ का आंकलन करता हूं। इसका कारण यह है कि किसी भी चुनावी रैली या जनसभा में भीड़ की अंतिम कतार की भावभंगिमा यह तत्काल बता देती है कि   चुनावी जनसभा या रैली में आयी भीड़ का उस चुनावी जनसभा से, उसे आयोजित करने वाली पार्टी और नेता से कोई जुड़ाव है, या वह भीड़ यूं ही किसी जुगाड़ और दबाव से इकट्ठा की गयी है।

मेरी इस कसौटी पर कल लखनऊ में आयोजित हुई मुख्यमंत्री योगी की जनसभा में उनके 20-25 मिनट के भाषण के दौरान सबसे पीछे अंतिम कतार में खड़े लोग भी जिस प्रकार अपने दोनों हाथ खड़े कर के लगातार जबरदस्त नारेबाजी करते हुए योगी बाबा के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए दिखे, वह नज़ारा किसी सामान्य चुनावी जनसभा का नहीं था।

उस पूरी भीड़ के तेवर यह बता रहे थे कि उत्तरप्रदेश में एक लहर चल रही है जिसे मोदियाबिंद… जी हां पुनः स्पष्ट कर दूं कि मोतिया नहीं मोदिया बिंद का शिकार लुटियन मीडिया के अंधे नहीं देख पा रहे हैं।

मेरे लिए कल हुई योगी बाबा की उस चुनावी जनसभा का संदेश कतई चौंकाने वाला नहीं था। उल्लेख आवश्यक है कि उत्तरप्रदेश के चुनावी इतिहास में 2017 में पहली बार मतदान के आंकड़े ने 60% की सीमा को पार किया था और 61.75% मतदान हुआ था। इसका परिणाम हम सबने देखा था। भाजपा के पक्ष में कैसी लहर चली थी और उस लहर ने कैसा इतिहास दिया।

इस बार के प्रथम 2 चरणों ने यह संकेत दे दिया है कि मतदान का प्रतिशत 2017 के ही इतिहास को लगभग दोहरा रहा है।

इसीलिए मैं 2 दिन पहले ही कह चुका हूं कि इसबार भी, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उतरप्रदेश में लहर चल रही है और वह लहर मोदी/योगी/भाजपा के पक्ष में ही चल रही है।

अंत में इतना अवश्य कहूंगा कि लुटियन मीडिया

उत्तरप्रदेश में भाजपा के पक्ष में चुनावी लहर की बात सिर्फ मैंने कही है। राष्ट्रवादी दिग्गज यूट्यूबर भी अभी तक अपना ऐसा कोई ऐलान करने से बच रहे हैं, कुछ संशय में हैं। लेकिन मुझे ऐसा कोई संशय या संदेह नहीं है। मैं निश्चिंत हूं कि… हां… हां… ये लहर ही है और भाजपा की ही लहर है…!!!

साभार : सतीश चंद्र मिश्र

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