सुरेंद्र किशोर : 1962 के चीनी हमले को लेकर डा.लोहिया का लोक सभा में रहस्योद्घाटन..बिना लड़े खाली कर…

जवाहरलाल नेहरू सरकार ने अपनी सेना को यह सर्कुलर भेज दिया था कि यदि किसी जगह का पतन शुरू होने वाला हो तो उसको बिना लड़े ही खाली कर देना है।
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डा.राममनोहर लोहिया एक उप चुनाव के जरिए पहली बार
सन 1963 में लोक सभा में चुनकर गए थे।
वे 13 अगस्त, 1963 से 12 अगस्त, 1967 तक लोक सभा में उपस्थित रहे।
अक्तूबर, 1967 में तो उनका निधन ही हो गया।
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डा.लोहिया की लोक सभा में दबंग भूमिका देखकर अखबारों ने उनके बारे में तब लिखा था-
‘‘बुल इन चाइना शाॅप।’’
–यानी चीनी बर्तनों की दुकान में सांड का प्रवेश।
   अखबारों ने ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि उससे पहले तक एक प्रेक्षक के अनुसार
‘‘लोक सभा हाई स्कूल की कक्षा की तरह चलती थी जिसमें हेड मास्टर के अनुशासन में छात्र विभिन्न विषयों पर सवाल-जवाब करते थे।
डा.लोहिया ने उसे बदल दिया।’’
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ऐसा नहीं कि आज के कुछ सांसदों जैसा लोहिया सदन में हाथ- पैर चलाते थे,गालियां देते थे।
कागज फेंकते थे और पीठसीन पदाधिकारी व मार्शल पर हमला करते थे।
क्या करते थे, उसे आगे बताता हूं
कि वे कैसे तर्कों व सूचनाओं के साथ सरकार पर शाब्दिक हमला करते थे।
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लोक सभा–16 अगस्त, 1963
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विषय -चीनी सेनाओं के जमाव
सदन में चर्चा
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डा.राम मनोहर लोहिया-मैं प्रधान मंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या एक सर्कुलर यहां से नहीं गया था कि जिसमें यह लिखा हुआ था कि अगर किसी जगह का पतन शुरू होने वाला हो तो उसको खाली कर दें ?
इसका क्या अर्थ था ?
मैं जानना चाहता हूं कि बोमदीला में एक भी गोली नहीं चली फिर भी वह जगह खाली कर दी गई।
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श्री जवाहरलाल नेहरू–यह तो प्रश्न काल को बढ़ाना है कि मैं जवाब दूं इस सवाल का।
यह क्या सिलसिला है ?
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डा.लोहिया- बहाना, यह शब्द इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
प्रधान मंत्री नौकर हैं,सदन मालिक है।
मालिक के साथ नौकर को जरा अच्छी तरह बात करनी चाहिए।
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उपाध्यक्ष महोदय–इस पर बहुत से प्रश्न हो चुके हैं।
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श्री भागवत झा अजाद-वह नौकर हैं तो आप चपरासी हैं।
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डा.लोहिया – मंजूर करूंगा।
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जाइए और बनिए उनके चपरासी।
ऐसे -ऐसे नौकरों को इकट्ठा कर रखा है।
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श्री जवाहरलाल नेहरू–डा.लोहिया आपे से बाहर हो गए हैं।
जरा उनको थामने की कोशिश कीजिए।
ऐसी -ऐसी बातें कह रहे हैं जो आम तौर पर इस सदन में नहीं कही जातीं।
उनको आदत नहीं है।
नए आदमी आए हैं।
 आप उन्हें सिखा दीजिए कि यहां कैसे बरताव होता है।
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डा.लोहिया-मेरी आदत आपको डालनी पड़ेगी।
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मैंने  ‘लोकसभा में लोहिया’-मस्तराम कपूर पढ़ना शुरू किया है।
सोचा कि मेरे इस अध्ययन का थोड़ा लाभ आपको भी मिले।

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