सतीश चंद्र मिश्रा : प्रधानमंत्री की चेतावनी को याद रखिए… 

कल 25 दिसंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण अपील की है। उन्होंने कहा है कि….  “भारत में भी कई लोगों के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने का पता चला है. मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि पैनिक नहीं करें सावधान और सतर्क रहें.”

प्रधानमंत्री ने अपनी उपरोक्त अपील में “पैनिक नहीं करने’ की चेतावनी अकारण नहीं दी है। याद करिए अप्रैल के दूसरे सप्ताह में कोरोना का तांडव विकराल होने लगा था।

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न्यूजचैनलों के रिपोर्टर केवल और केवल श्मशान घाटों में जल रही चिताओं और अस्पतालों के मुर्दाघरों से निकल रही, एम्बुलेंसों में लादी जा रही लाशों के ही इर्दगिर्द रात दिन मंडराने लगे थे। भांति भांति के नामी गिरामी एडिटर रोज रात को 9 बजे अपने अपने न्यूजचैनली अड्डों पर सूटबूट टाई डाट के यही प्रवचन दे रहे थे कि देश में वैक्सीन की भारी कमी है।

कोई कह रहा था सबको वैक्सीन लगने में 2 साल लगेंगे। कोई इसके लिए 3 साल का समय बता रहा था। जब वो यह सब बताते थे तो उनके पीछे की स्क्रीन पर दहकती चिताओं और मुर्दा ढोते अस्पताल कर्मियों के डरावने दृश्य लगातार चलते रहते थे। उनकी उस करतूत से देशव्यापी भय की भयानक लहर का संचार देश के हर कोने में विद्युत गति से लगातार हो रहा था।

स्पष्ट कर दूं कि इस जानलेवा कुकर्म को हिंदी के न्यूजचैनलों द्वारा सर्वाधिक किया जा रहा था।

मैं जानबूझकर इसे कुकर्म की संज्ञा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि ऐसा करते समय वो देश के आम आदमी से सरासर सफेद झूठ बोलकर उसे डरा रहे थे।

उनके इस कुकर्म का दुष्परिणाम यह हुआ था कि 11 अप्रैल तक देश में कोरोना के कारण हुईं 1.70 लाख मृत्यु का आंकड़ा 21 जून तक 3.88 लाख हो गया था। यानी 71 दिनों में 2.18 लाख लोग मौत के घाट उतर गए थे।

उल्लेख कर दूं कि यह सर्वज्ञात तथ्य है कि कोरोना संक्रमण से व्यक्ति की मृत्यु का एकमात्र कारण उस व्यक्ति में इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक शक्ति) का बहुत कम हो जाना ही होता है। ध्यान रहे कि जब व्यक्ति बहुत डरा हुआ होता है तो उसकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक शक्ति) बहुत कम हो जाती है। इस तथ्य की पुष्टि आप किसी भी चिकित्सा विज्ञानी या मनोचिकित्सक से बात कर के कर सकते हैं।

अतः उन  71 दिनों के दौरान हुईं 2.18 लाख लोगों की मृत्यु के बड़े जिम्मेदारों में से एक जिम्मेदार वह न्यूजचैनल भी थे जो उन 71 दिनों के दौरान जलती चिताओं वाली बैकग्राउंड के आगे खड़े होकर देश में वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर लगातार सफेद झूठ बोल रहे थे। अब बताता हूं कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं।

जब यह सभी न्यूजचैनल और उनके भांति भांति के एडीटर यह कह रहे थे कि सबको कोरोना की वैक्सीन लगने में 2-3 साल लग जाएंगे उस समय भी यह स्पष्ट हो चुका था कि वैक्सीन की कमी केवल 2 ढाई महीने की समस्या है।

सूचनाओं के स्त्रोत के संदर्भ में इन भारी भरकम न्यूजचैनलों की तुलना में मेरे जैसा दीवालिया कंगाल भी इतनी ठोस सूचना/जानकारी से लैस था कि 11 अप्रैल को मैंने  लिखा था कि…

हारिये ना हिम्मत बिसारिये ना राम…

केवल दो ढाई महीने का धैर्य और रखिये, संयम बरतिए और निश्चिंत रहिये क्योंकि चौकीदार रात दिन जाग रहा है जूझ रहा है। विपक्षी धूर्तों और न्यूजचैनली विदूषकों द्वारा फैलाए जा रहे भय और भ्रम से सावधान रहिये। अगले 60 दिन मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का कड़ाई से पालन करिये और करवाइए। कोरोना से जंग के केवल अंतिम दो ढाई माह और शेष रह गए हैं। अतः अब कोई भी भूल या चूक, किनारे पर किश्ती के डूबने की कहावत को चरितार्थ करेगी। क्योंकि जुलाई तक भारत में बहुत भारी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होने लगेगी।

इसके कारणों को भी विस्तार से उस लेख में बताया था।

कोरोना वायरस की नई किस्म ओमाइक्रोन को लेकर न्यूजचैनलों ने देश में भयंकर भय फैलाने का कुकर्म फिर शुरू कर दिया  है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अपील के द्वारा “पैनिक नहीं करने’ की चेतावनी दी है। देश के आम आदमी को सावधान किया है।

पैनिक नहीं करने’ की प्रधानमंत्री की चेतावनी कितनी तार्किक, कितनी तथ्यात्मक है। इसका विवरण ठोस साक्ष्यों के साथ अगले लेख में दूंगा।

 

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