अमित सिंघल : वॉइस रिकॉर्डिंग.. तो प्रधानमंत्री मोदी को रिजाइन करना पड़ेगा, सरकार गिर जायेगी और..
सामान्यतः राष्ट्रप्रमुखों के मध्य होने वाली टेलीफोन कॉल को रिकॉर्ड किया जाता है तथा उसे अन्य अधिकारीगण सुनते है और उसका नोट लेते हैं। फिर उस नोट को साइन करके सम्बंधित मंत्रालयों में वितरित किया जाता है।
ऐसा इसलिए करते है क्योकि टेलीफोन वार्तालाप के दौरान जिस विषय पर सहमति बनती है या आगे कुछ कार्य होना है तो उसे संबंधित मंत्रालयों को करने का निर्देश दिया जाता है। फिर वार्तालाप का नोट एक रिकॉर्ड के रूप में भी रखा जाता है।
महत्वपूर्ण देशो के साथ मंत्री स्तर पर ऐसी वार्तालाप का रिकॉर्ड भी मेंटेन किया जाता है।
नहीं तो फोन पर उच्चस्तरीय वार्तालाप एवं सहमति बन गयी और नीचे जिन्हे लागू करवाना है, उन्हें कुछ पता नहीं।
हाल ही में, कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष, हुन सेन, ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री के साथ हुई फोन वार्तालाप को कंबोडिया ने रिलीज कर दिया था जिससे थाई PM कंबोडिया के हुन सेन को “चाचा” कह रही थी तथा बॉर्डर पर टेंशन के लिए थाई सेना के कमांडर को ब्लेम कर रही थी। परिणाम यह हुआ कि थाईलैंड ने अपनी PM को ससपेंड कर दिया और दोनों देशो के मध्य युद्ध छिड़ गया।
जुलाई 2016 में मंगोलिया ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून एवं मंगोलियन राष्ट्रपति के मध्य हुई टेलीफोन वार्तालाप को रिलीज कर दिया जिसमे महासचिव बान मंगोलियन राष्ट्रपति के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे थे। बैकग्राउंड यह था कि मंगोलियन राष्ट्रपति पर विपक्ष भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा था और महासचिव बान की प्रशंसा से राष्ट्रपति अपने नेतृत्व को पुनर्स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे।
लिखने का अभिप्राय यह है कि अगर बड़बोले या उसके जूनियर ने फोन काल के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी से ऑपरेशन सिन्दूर रुकवाने के लिए मध्यस्थता की थी, तो उसकी रिकॉर्डिंग एवं रिकॉर्ड ना केवल भारत सरकार के पास है, बल्कि बड़बोले के श्वेत महल में भी है। या फिर बड़बोले के सहयोगी ने विदेश मंत्री जयशंकर से कुछ ऐसी बात की थी, तो उसकी भी रिकॉर्डिंग एवं रिकॉर्ड दोनों पक्षों के पास है।
यही नहीं, पड़ोस के पतंगी कागज वाला तमगा लगाए मुन्नाभाई से फोन काल में भी अगर बड़बोले या उसके जूनियर ने यह क्लेम किया था कि भारत उसकी मध्यस्थता स्वीकार कर रहा है, तो उसकी भी रिकॉर्डिंग एवं रिकॉर्ड भी मुन्नाभाई एवं श्वेत महल के पास है (ध्यान दीजिए, “है” लिख रहा हूँ, “होनी चाहिए” नहीं)।
अगर बड़बोले का क्लेम या मुन्नाभाई की उस क्लेम को स्वीकृति को लेकर ऐसी कोई भी रिकॉर्डिंग एवं रिकॉर्ड उपस्थित है, तो प्रश्न उठता है कि बड़बोले एवं मुन्नाभाई ने उस रिकॉर्ड को रिलीज क्यों नहीं किया?
अगर इन दोनों में से एक भी इस रिकॉर्डिंग या रिकॉर्ड को रिलीज कर दे, तो प्रधानमंत्री मोदी को रिजाइन करना पड़ेगा, सरकार गिर जायेगी और भाजपा का भविष्य अगले एक दशक के लिए अंधकारमय हो जाएगा।
पॉवरप्वाइंट पप्पू प्रधानमंत्री बन जाएगा। देश-विदेश में बैठे मुन्नाभाई के अनुनाइयो के मध्य हर्ष की लहर दौड़ जायेगी।
लेकिन रिलीज नहीं किया। क्यों?
बड़बोले एवं मुन्नाभाई ने उस रिकॉर्ड एवं रिकॉर्डिंग को अभी तक रिलीज इसलिए नहीं किया है क्योकि प्रथम, बड़बोले की प्रधानमंत्री मोदी के साथ मई में कोई वार्तालाप ही नहीं हुई जिसकी पुष्टि विदेशमंत्री जयशंकर संसद में कर चुके है।
द्वितीय, बड़बोले के जूनियर ने प्रधानमंत्री मोदी को अवश्य फोन किया था और मुन्नाभाई की गुंडई की चेतावनी दी थी। प्रधानमंत्री मोदी का उत्तर भी सभी को पता है।
दूसरे शब्दों में, ना ही बड़बोले ने, ना उसके जूनियर ने किसी मध्यस्थता की बात की थी।
तभी कोई रिकॉर्डिंग या रिकॉर्ड रिलीज नहीं कर रहा है।
