बड़ा सवाल… “लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुकी परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र की रक्षा कैसे करेंगी “..संविधान दिवस पर बोले PM मोदी

संसद में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवादी पार्टियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि परिवार आधारित पार्टियों के रूप में भारत एक तरह के संकट की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वह है पारिवारिक पार्टियां।” 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “योग्यता के आधार पर एक परिवार से एक से अधिक लोग जाएं, इससे पार्टी परिवारवादी नहीं बन जाती है। समस्या तब आती है जब एक पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार द्वारा चलायी जाती है।” उन्होंने कहा कि संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। श्री मोदी ने सवाल किया, “जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।”

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पीएम मोदी ने आगे कहा, “चिंता तब होती है जब न्यायपालिका ने किसी को भ्रष्टाचार के लिए घोषित कर दिया है, भ्रष्टाचार के लिए उसे सजा हो चुकी है, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के कारण उसका भी महिमामंडन चलता रहे, राजनीतिक लाभ के लिए सारी मर्यादाओं को तोड़कर, लोक-लाज को छोड़कर उनके साथ बैठना-उठना शुरू हो जाता है तो देश के नौजवान के मन में लगता है कि भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलना बुरा नहीं है। उन्हें रास्ता मिल जाता है। क्या हमें ऐसी समाज व्यवस्था खड़ी करनी है?”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ” देश आजाद होने के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू करनी चाहिए थी। इससे आने वाली पीढ़ियाँ जानती कि संविधान बना कैसे, किसने बनाया, क्यों बनाया। यह विविधता भरे इस देश में ताकत और अवसर के रूप में काम आता, लेकिन कुछ लोग इससे चूक गए।”

संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, महात्मा गाँधी जैसे सेनानियों को नमन करने के साथ ही मुंबई हमले को याद करते हुए उन्होंने कहा, “आज 26/11 का वो दुखद दिन है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। देश के अनेक हमारे वीर जवानों ने उन आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आपको समर्पित कर सर्वोच्च बलिदान किया। मैं आज उन सभी बलिदानियों को नमन करता हूँ।”

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