पश्चिम बंगाल के एक तिहाई भूभाग कुछ मामलों में अब ममता बनर्जी के कंट्रोल से बाहर केंद्र ने किया गंभीर बीमारी का होमियोपैथी इलाज.. -सुरेंद्र किशोर-

याद रहे कि मुख्य मंत्री ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि यदि पश्चिम बंगाल में सी ए ए और एन आर सी लागू किया गया तो खून की नदियां बह जाएंगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

सीमा सुरक्षा बल कानून (यानी बी एस एफ एक्ट) में ताजा संशोधन के साथ ही अब यह फोर्स पश्चिम बंगाल के एक तिहाई भूभाग पर तलाशी और गिरफ्तारी कर सकेगा।
इसके लिए उसे स्थानीय पुलिस या प्रशासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ व तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
यह कदम पश्चिम बंगाल की ‘बीमारी’ का केंद्र द्वारा किया जा रहा ‘‘होमियोपैथ इलाज’’ है।
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याद रहे कि मुख्य मंत्री ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि यदि पश्चिम बंगाल में सी ए ए और एन आर सी लागू किया गया तो खून की नदियां बह जाएंगी।
ममता के भतीजे के खिलाफ कोयला तस्करी के आरोप में केंद्रीय एजेंसी इन दिनों जांच कर रही है।
यानी, ममता बनर्जी नहीं चाहती हैं कि बड़ी संख्या में अवैध ढंग से रह रहे बांग्ला देशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से बाहर किया जाए।
कैसे चाहेंगी ?
वह तो उनके वोट बैंक का मुख्य आधार जो है !
ममता ने 2005 में इन्हीं घुसपैठियों के खिलाफ लोक सभा में आवाज उठाई थी।
जब उन्हें इस मुद्दे पर बोलने का मौका नहीं मिला तो ममता ने लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
तब मतदाता बने घुसपैठिए वाम मोर्चा को वोट दे रहे थे।
अब वे ममता के दल को वोट दे रहे है।
वोट के सामने राष्ट्र रक्षा की परवाह इस देश के अनेक नेताओं को कत्तई नहीं रहती।
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18 नवंबर 21

Veerchhattisgarh

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