ऐसे में कांग्रेस तो क्या मोदी की भी हिम्मत नहीं होती..लेकिन… -चन्दर मोहन अग्रवाल
बहुत से अतिवादी हिन्दू अक्सर मुझसे पूछते थे कि भारत इस्राइल का साथ न देकर मुस्लिम देश जैसे UAE, सऊदी, कुवैत, ईरान, इराक का साथ क्यों देता है। इससे मुल्ले बहुत चौड़े होते हैं।
उनको पेट्रोल के कारण ब्रिटैन में फैली अराजकता से मेरे प्रश्न का उत्तर तो मिल ही चुका होगा। पर फिर भी:
(लेखक राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय विषयों के विश्लेषक हैं।)
हमारा देश विश्व भर में चीन के बाद पेट्रोल का सबसे बडा उपभोक्ता है। अब पेट्रोल कोई ऐसी चीज तो है नहीं कि एक आध साल में हम अपनी फैक्टरियों में बनाने लगे। इसके लिए हम जिन देशों पर निर्भर थे उनमें से ज्यादातर पेट्रोल उत्पादक देश मुस्लिम देश ही थे। अब इस्राइल की तरह अगर हमारी जनता भी 1 करोड़ से कम होती तो हम भी इन देशों से दुष्मनी लेकर किसी और तेल उत्पादक देश से दोस्ती कर लेते। दूसरा दो वर्षों पहले तक इन सभी मुस्लिम देशों का एकमात्र आण्विक शक्ति से सम्पन्न और OIC का सरपरस्त देश था पाकिस्तान जो भारत का परम शत्रु था।
ऐसे में कांग्रेस तो क्या मोदी की भी हिम्मत नहीं होती थी की इन मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों से दुश्मनी लेकर इस्राइल से दोस्ती पाली जाए। क्योंकि ये देश कभी भी भारत का परमानेंट वो हाल कर सकते थे जो आज कुछ समय के लिए ब्रिटैन का हो गया है। इसीलिये हमारा देश पिछलग्गू बनकर इन देशों से माल भी खरीदता था और इन्हें अपना बाप भी मानता था।
फिर आया मोदी राज। आते ही मोदी ने अपना इंद्रजाल फैलाया और 130 से ज्यादा देश मोदी के इस जाल में अपने आप आ गए। इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का गठन हुआ। अगला कदम इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर उठाया। तीसरा डीजल की जगह इथेनॉल का प्रयोग चौथा कोयले से इथेनॉल का उत्पादन आदि शुरू किया। अब तक मिडिल ईस्ट को समझ आ गया था कि अगर अपनी तड़ी कायम रखेंगे तो जल्द कहीं के भी न रहेंगे। फिर भी मोदी को ब्लैकमेल करने की पूरी कोशिश की गई। एकदम से क्रूड ऑयल के रेट बढ़ाये। पर मोदी ने भी धीरे धीरे अपना प्रभाव छोड़ना चालू किया। गैर मुस्लिम देशों से भी पेट्रोल खरीदने के लिए अपने सम्बन्ध कायम करने शुरू किये। रूस, अमेरिका, वेनेजुएला, मेक्ससिको आदि से बड़ी मात्रा में आयल खरीदा गया और सऊदी आदि को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
आज ये देश भारत की धुन पर नाचने लगे हैं। पाकिस्तान देख कर हैरान है कि तालिबान जैसे मुद्दे पर आपस में धुर विरोधी ईरान, इस्राइल और सऊदी अरब भारत को साथ दे रहें हैं। यह देखकर पाकिस्तान अपने बाल नोच रहा है।
तो दोस्तों चिंतित होना छोड़ दो। यह मोदी है। जब शेख अब्दुल्ला को कश्मीरी पंडित बना दिया, राहुल को वैष्णोदेवी और मानसरोवर की सैर करवा कर जनहु धारण कर दिया तो ये दो दो कौड़ी के लोगों से डरने की जरूरत नहीं। बस अपनी एकता कायम रखो और मोदी के पीछे चट्टान की तरह खड़े हो जाओ। ये सब अपने आप राष्ट्रवादी बन जाएंगे।
