30 जून तक है गुप्त नवरात्र, तामसिक वृत्तियों से रहें दूर
महादेव सदा संग पर शुभचिंतक कालभैरव बिन देवी पर न लगे कोई रंग..
भैरव बिन देवी की कोई साधना सिद्ध नही होती.
शक्ति के 9 रूपो शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कुष्मांडा,स्कन्दमाता, कात्यायानी,कालरात्रिि.महागौरी, सिद्धिदात्री नवदुर्गा को सब जानते हैं
लेकिन
जानकर भी अनजान होते मां शक्ति की 10 महाविद्याओ से..
10 महाविद्यायो काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी,छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की
ये 10 महाविद्याओ के साधना का सबसे उत्तम काल है।
कम लोग जानते है कि वर्ष में कुल 4 नवरात्र होते है।
शक्ति के साक्षात स्वरूप दुर्गा के साथ दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु,दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।
मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधनाकाल नहीं हैं श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में साधना से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
साधनाकाल में देवी के नौ रूपों की पूजा के साथ दस महाविद्याओं के साथ 64 योगनियों की साधना,स्तुति की जाती है।
गुप्त नवरात्र में की गई मंत्र साधना निष्फल नहीं जाती।
गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। तंत्र पूजा के लिए गुप्त नवरात्रि को बहुत खास माना जाता है। वर्ष 2020 में गुप्त नवरात्र अषाङ माह के शुक्ल पक्ष में 22 जून से शुरू हो रही है, जिसका समापन 29 जून को होगा।
विशेषतः दुर्गा के नौ स्वरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं।
!! महाशक्तियों के मंत्र और उनके फल !!
!! महाकाली मंत्र !!
!! ॐ एं क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा !!
!! विधि !!
यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती !!
!! फल !!
यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि होती है !!
!! तारा !!
!!ॐ ह्लीं आधारशक्ति तारायै पृथ्वीयां नम: पूजयीतो असि नम: !!
इस मंत्र का पुरश्चरण 32 लाख जप है। जपोपरांत होम द्रव्यों से होम करना चाहिए !!
!! फल प्राप्ति !!
सिद्धि प्राप्ति के बाद साधक को तर्कशक्ति, शास्त्र ज्ञान, बुद्धि कौशल आदि की प्राप्ति होती है !!
!! भुवनेश्वरी !!
!! ह्लीं !!
अमावस्या को लकड़ी के पटरे पर उक्त मंत्र लिखकर गर्भवती स्त्री को दिखाने से उसे सुखद प्रसव होता है !!
*गले तक जल में खड़े होकर, जल में ही सूर्यमंडल को देखते हुए तीन हजार बार मंत्र का जप करने वाला मनोनुकूल कन्या का वरण करता है !!
*अभिमंत्रित अन्न का सेवन करने से लक्ष्मी की वृद्धि होती है !!
*कमल पुष्पों से होम करने पर राजा का वशीकरण होता है !!
!! त्रिपुर सुंदरी !!
!! मंत्र !!
!! श्रीं ह्लीं क्लीं एं सौ: ॐ ह्लीं श्रीं कएइलह्लीं हसकहलह्लीं संकलह्लीं सौ: एं क्लीं ह्लीं श्रीं !!
!! विधि !!
इस मंत्र का पुरश्चरण एक लाख जप है। जप के पश्चात त्रिमधुर (घी, शहद, शक्कर) मिश्रित कनेर के पुष्पों से होम करना चाहिए !!
!! फल की प्राप्ति !!
*कमल पुष्पों के होम से धन व संपदा प्राप्ति,!!
*दही के होम से उपद्रव नाश, लाजा के होम से राज्य प्राप्ति, !!
*कपूर, कुमकुम व कस्तूरी के होम से कामदेव से भी अधिक सौंदर्य की प्राप्ति होती है !!
*अंगूर के होम से वांछित सिद्धि व तिल के होम से मनोभिलाषा पूर्ति *गुग्गुल के होम से दुखों का नाश होता है !!
*कपूर के होमत्व से कवित्व शक्ति आती है !!
!! छिन्नमस्ता !!
!! ॐ श्रीं ह्लीं ह्लीं वज्र वैरोचनीये ह्लीं ह्लीं फट् स्वाहा !!
इस मंत्र का पुरश्चरण चार लाख जप है। जप का दशांश होम पलाश या बिल्व फलों से करना चाहिए !!
तिल व अक्षतों के होम से सर्वजन वशीकरण, स्त्री के रज से होम करने पर आकर्षण, श्वेत कनेर पुष्पों से होम करने से रोग मुक्ति, मालती पुष्पों के होम से वाचासिद्धि व चंपा के पुष्पों से होम करने पर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है !!
!! धूमावती !!
!! मंत्र !!
!! ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा !!
इस मंत्र का पुरश्चरण एक लाख जप है। जप का दशांश तिल मिश्रित घृत से होम करना चाहिए !!
नीम की पत्ती व कौए के पंख पर उक्त मंत्र को 108 बार पढ़कर देवता का नाम लेते हुए धूप दिखाने से शत्रुओं में परस्पर विग्रह होता है !!
!! बगलामुखी !!
!! ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा !!
इस मंत्र का पुरश्चरण एक लाख जप है। जपोपरांत चंपा के पुष्प से दशांश होम करना चाहिए। इस साधना में पीत वर्ण की महत्ता है। इंद्रवारुणी की जड़ को सात बार अभिमंत्रित करके पानी में डालने से वर्षा का स्तंभन होता है। सभी मनोरथों की पूर्ति के लिए एकांत में एक लाख बार मंत्र का जप करें। शहद व शर्करायुत तिलों से होम करने पर वशीकरण, तेलयुत नीम के पत्तों से होम करने पर हरताल, शहद, घृत व शर्करायुत लवण से होम करने पर आकर्षण होता है !!
!! मातंगी !!
!! ॐ ह्लीं एं श्रीं नमो भगवति उच्छिष्ट चांडालि श्रीमातंगेश्वरि सर्वजन वंशकरि स्वाहा !!
इस मंत्र का पुरश्चरण दस हजार जप है। जप का दशांश शहद व महुआ के पुष्पों से होम करना चाहिए। काम्य प्रयोग से पूर्व एक हजार बार मूलमंत्र का जाप करके पुन: शहदयुक्त महुआ के पुष्पों से होम करना चाहिए। पलाश के पत्तों या पुष्पों के होम से वशीकरण, मल्लिका के पुष्पों के होम से लाभ, बिल्व पुष्पों से राज्य प्राप्ति, नमक से आकर्षण होता है !!
!! कमला !!
!! ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा !!
दस लाख जप करें। दशांश शहद, घी व शर्करा युक्त लाल कमलों से होम करें, तो सभी कामनाएं पूर्ण होंगी। समुद्र से गिरने वाली नदी के जल में आकंठ जप करने पर सभी प्रकार की संपदा मिलती है !!
!! महालक्ष्मी !!
!! ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालयै प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: !!
एक लाख बार जप करें। शहद, घी व शर्करायुक्त बिल्व फलों से दशांश होम करने से साधक के घर में लक्ष्मी वास करती है। यदि किसी को अधिक धन की प्रबल कामना हो, तो वह सत्य वाचन करे, लक्ष्मी मंत्र व श्रीसूक्त का पाठ व मंत्र करे। पूर्वाभिमुख होकर भोजन करे व वार्तादि भी पूर्वाभिमुख होकर करे। जल में नग्न होकर स्नान न करें। तेल मलकर भोजन करें। अनावश्यक रूप से भू-खनन न करें
!! मनोवांछित श्रेष्ठ वर-प्राप्ति प्रयोग !!
१॰ भगवती सीता ने गौरी की उपासना निम्न मन्त्र द्वारा की थी, जिसके फलस्वरुप उनका विवाह भगवान् श्रीराम से हुआ। अतः कुमारी कन्याओं को मनोवाञ्छित वर पाने के लिये इसका पाठ करना चाहिए !!
“ॐ श्रीदुर्गायै सर्व-विघ्न-विनाशिन्यै नमः स्वाहा। सर्व-मङ्गल-मङ्गल्ये, सर्व-काम-प्रदे देवि, देहि मे वाञ्छितं नित्यं, नमस्ते शंकर-प्रिये।। दुर्गे शिवेऽभये माये, नारायणि सनातनि, जपे मे मङ्गले देहि, नमस्ते सर्व-मङ्गले।।”
!! विधि-!! प्रतिदिन माँ गौरी का स्मरण-पूजन कर ११ पाठ करे !!
२॰ कन्याओं के विवाहार्थ अनुभूत प्रयोग इसका प्रयोग द्वापर में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति-रुप में प्राप्त करने के लिए किया था। ‘नन्द-गोप-सुतं देवि’ पद को आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे-
‘अमुक-सुतं अमुकं देवि’। “कात्यायनि महा-माये महा-योगिन्यधीश्वरि। नन्द-गोप-सुतं देवि, पतिं मे कुरु ते नमः।”
!! विधि-!! भगवती कात्यायनी का पञ्चोपचार (१ गन्ध-अक्षत २ पुष्प ३ धूप ४ दीप ५ नैवेद्य) से पूजन करके उपर्युक्त मन्त्र का १०,००० (दस हजार) जप तथा दशांश हवन, तर्पण तथा कन्या भोजन कराने से कुमारियाँ इच्छित वर प्राप्त कर सकती है !!
३॰. लड़की के शीघ्र विवाह के लिए ७० ग्राम चने की दाल, ७० से॰मी॰ पीला वस्त्र, ७ पीले रंग में रंगा सिक्का, ७ सुपारी पीला रंग में रंगी, ७ गुड़ की डली, ७ पीले फूल, ७ हल्दी गांठ, ७ पीला जनेऊ- इन सबको पीले वस्त्र में बांधकर विवाहेच्छु जातिका घर के किसी सुरक्षित स्थान में गुरुवार प्रातः स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें !!
४॰ श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए बालकाण्ड का पाठ करे !!
५॰ किसी स्त्री जातिका को अगर किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो श्रावण कृष्ण सोमवार से या नवरात्री में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जप करना चाहिए-
“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।”
६॰ “ॐ गौरी आवे शिव जी व्याहवे (अपना नाम) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे, देर न करै, देर होय तो शिव जी का त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दुहाई।।” उक्त मन्त्र की ११ दिन तक लगातार १ माला रोज जप करें। दीपक और धूप जलाकर ११वें दिन एक मिट्टी के कुल्हड़ का मुंह लाल कपड़े में बांध दें। उस कुल्हड़ पर बाहर की तरफ ७ रोली की बिंदी बनाकर अपने आगे रखें और ऊपर दिये गये मन्त्र की ५ माला जप करें। चुपचाप कुल्हड़ को रात के समय किसी चौराहे पर रख आवें। पीछे मुड़कर न देखें। सारी रुकावट दूर होकर शीघ्र विवाह हो जाता है।
७॰ जिस लड़की के विवाह में बाधा हो उसे मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए।
८॰ लड़की के पिता जब जब लड़के वाले के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें तो लड़की अपनी चोटी खुली रखे। जब तक पिता लौटकर घर न आ जाए तब तक चोटी नहीं बाँधनी चाहिए।
९॰ लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
१०॰ पीपल की जड़ में लगातार १३ दिन लड़की या लड़का जल चढ़ाए तो शादी की रुकावट दूर हो जाती है !!
११॰ विवाह में अप्रत्याशित विलम्ब हो और जातिकाएँ अपने अहं के कारण अनेक युवकों की स्वीकृति के बाद भी उन्हें अस्वीकार करती रहें तो उसे निम्न मन्त्र का १०८ बार जप प्रत्येक दिन किसी शुभ मुहूर्त्त से प्रारम्भ करके करना चाहिए !!
*“सिन्दूरपत्रं रजिकामदेहं दिव्याम्बरं सिन्धुसमोहितांगम् सान्ध्यारुणं धनुः पंकजपुष्पबाणं पंचायुधं भुवन मोहन मोक्षणार्थम क्लैं मन्यथाम। महाविष्णुस्वरुपाय महाविष्णु पुत्राय महापुरुषाय पतिसुखं मे शीघ्रं देहि देहि।
