अमित सिंघल : सेना.. बस यही अंतर है भारत एवं आतंकी क्षेत्र में

एक उल्लेखनीय घटना पर ध्यान देना आवश्यक है।

आज थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक, जनरल एनसी विज, जनरल जेजे सिंह, जनरल दीपक कपूर, जनरल बिक्रम सिंह और जनरल मनोज पांडे ने राष्ट्रपति जी से भेंट की।

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वे सभी राष्ट्रपति जी को उनके जन्मदिवस की शुभकामनाएं देने गए थे।

देखने में सामान्य लग सकता है, लेकिन यह अद्वितीय है।

पिछले 25 वर्षो में 14-15 लाख सैनिको वाली भारतीय सेना के 7 सेनाध्यक्ष राष्ट्र के सर्वोच्च सेनापति से मिल रहे है।

इनमे से कोई भी विदेश में सेटल नहीं हुआ। किसी के पास विदेश में संपत्ति, होटल, या टापू का स्वामित्व होने की जानकारी नहीं है। एक की पत्नी अध्यापिका है, एक अन्य की डेंटिस्ट। सेवानिवृत्ति के बाद यह सभी एक अपर मिडिल क्लास वाले घर में शिफ्ट हो जाते है।

अगर चाहते तो पड़ोस के आतंकी क्षेत्र के जरनैल की तरह विदेशी नागरिकता, अरबो रुपये की संपत्ति हड़प सकते थे। होटल, टापू खरीद सकते थे। और विदेश में सेटल हो सकते थे।

किसी भी प्रमुख देश का राष्ट्रपति कभी भी इनसे द्विपक्षीय सन्दर्भ में भेंट नहीं करेगा।

बस यही अंतर है भारत एवं आतंकी क्षेत्र में।

आतंकी क्षेत्र की “सेना” का मुखिया धंधा करता है। चूंकि सब विदेश सेटल हो जाते है, तो ऐसी एक साथ फोटो कभी नहीं मिलेगी। जबरन अपना कार्यकाल सेवानिवृत्ति की आयु के बाद 4 से 5 वर्ष तक बढ़ा लेता है।

भारत में निडर, गौरवशाली नेतृत्व के बाद हमारे शूरवीर रिटायर होकर एक आम नागरिक का जीवन व्यतीत करते है।

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