अमित सिंघल : …की जगह प्रधानमंत्री मोदी को कोस सकते है..!

मई 2025 में भारत में अकेले UPI के द्वारा 25 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे। मई में कुल 1868 करोड़ लेन-देन हुआ था। या प्रति दिन औसतन 61 करोड़ लेन-देन हुआ था। यह सब संभव हुआ स्वदेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर।

अगर एक वर्ष या 12 महीने के सन्दर्भ में देखे, तो लगभग 300 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन बैठेगा।

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वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी 330.68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

जबकि इस वित्त वर्ष में अकेले UPI से लगभग 300 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन होगा।

दूसरे शब्दों में, लगभग 87 प्रतिशत अर्थव्यवस्था आलरेडी फॉर्मल इकॉनमी (जिसका रिकॉर्ड उपलब्ध है और जिस पर टैक्स दिया/लिया जाता है) में आ गयी है।

भ्रष्टाचार करने वाले करोड़ो कैश जमा कर सकते है, प्रसन्न हो सकते है। लेकिन सरकार को पता चल ही जाना है; क्योकि उसे अपनी ऊर्जा केवल इन 13 प्रतिशत कैश लेन-देन पर लगानी है।

पिछले माह GST कलेक्शन 2 लाख करोड़ पार कर गया था। यह अप्रैल 2025 में 2.37 लाख करोड़ था।

अप्रैल 2025 में UPI द्वारा 24 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था। अगर मई में 2 लाख करोड़ GST मिला (जबकि कई वस्तुओ पर GST शून्य है) तो कहा जा सकता है कि औसतन GST दर 8 प्रतिशत बैठेगी।

UPI भुगतान एवं GST कलेक्शन इंगित करता है कि भारत की जीडीपी इस वित्तीय वर्ष में 360 लाख करोड़ पार कर जायेगी।

हाँ, आप इन सभी उपलब्धियों को इग्नोर करके किसी कन्या के भड़काऊ वीडियो, अभद्र भाषा, के बाद अरेस्ट किये जाने पर रोष जता सकते है। ममता की जगह प्रधानमंत्री मोदी को कोस सकते है।

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