ध्रुव कुमार : बीजेपी का नकारा आई टी सेल…

इस चुनावों में बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन के लिए कई कारणों में एक कारण बीजेपी का कमजोर मीडिया सेल भी रहा है। अर्थात जिस आई. टी. सेल के सहारे बीजेपी ने इतना अच्छा माहौल बनाया था वह पूरी तरह ध्वस्त हो गया।

इस समय बीजेपी का केंद्रीय मीडिया सेल से लेकर राज्यों के मीडिया तंत्र दलालों और चापलूसों के अड्डे बन गए थे।

एक ओर बीजेपी विरोधी इतने सारे यूट्यूब चैनल, फेसबुक और ट्विटर हैंडल सक्रिय थे तथा जॉर्ज सोरोस से लेकर इजरायल तक कि कम्पनियां बीजेपी और हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही थी और न्यूट्रल व राष्ट्रवादी चैनलों व हैंडलों को दबा रही थीं, उनकी रीच मार रही थीं।

तो वही बीजेपी में दलाल और चापलूस लोग मीडिया सेल को चला रहे थे जिनको इससे कोई मतलब नही था कि बीजेपी जीते या हारे।

अमित मालवीय ने केंद्रीय आई. टी. सेल को बर्बाद कर दिया। इस चुनाव में बीजेपी आई.टी. सेल कांग्रेस और विपक्षी मीडिया के द्वारा चलाए गए प्रोपोगंडा को काउंटर करने में पूरी तरह विफल रही। कोई नया नैरेटिव नही बना पाई। ये लोग सिर्फ मोदीजी के ट्वीट को रीट्वीट ही करते रहे हैं।

एक तो आप सत्ता में हैं उसके बावजूद आपको यह कैसे नही पता चला कि विदेशों से भारत के चुनावों को प्रभावित किया जा रहा है।इसका मतलब है कि आप नकारा है।

इसके अलावा सत्ता में होने के बाद भी आप ऐसे दस यूट्यूब चैनल नही खड़े कर सके जो दस मिलियन व्यू पाए, जिन पर जनता भरोसा करे और जो ध्रुव राठी व अजीत अंजुम के प्रोपोगंडा को तोड़ सके। इसक मतलब है कि it सेल पूरी तरह फेल रहा है।

बल्कि जो लोग स्वतंत्र रूप से राष्ट्रवादी चैनल चलाते हैं या सोशल मीडिया में लिखते हैं उन्हें भी आप कोई मदद नही देते हैं।

इस बार कांग्रेस और विपक्ष के द्वारा अपने समर्थकों को ट्विटर से लेकर फेसबुक तक जमकर ब्लू टिक बाटें गए व हर तरह से सपोर्ट किया गया। नेहा सिंह जैसे लोग यू ही दिन भर ट्विट नही करती है लेकिन बीजेपी के नकारा it सेल ने कोई ध्यान नही दिया।

क्या आप 500 ऐसे लोगों को सपोर्ट नही कर सकते थे और उन्हें ब्लू टिक नही दिला सकते थे जो फेसबुक और ट्विटर पर कई सालों से आपके लिए लिख रहे हैं। लेकिन नही, इनका it सेल तो अहंकारी और नकारा है।

इसके अलावा इनके राज्यों के it सेल का तो और भी बुरा हाल रहा है इस बार। जिसमें एक भी प्रोफेशन नही थे।बल्कि चार पांच लोग ही पूरे राज्य का काम देख रहे थे जिन्हें न तो मुद्दों की समझ थीं और न ही कंटेंट की समझ।

अर्थात इन्हें ये भी समझ नही थीं कि किस समय कौन से मुद्दे को हाइलाइट किया जाए, उस पर स्क्रिप्ट कैसे लिखी जाए और कैसे उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैलाया जाए।

ये समझिए इन्हें ये भी पता नही था कि विधानसभा के अनुसार योजनाओं की स्क्रिप्ट किस तरह तैयार होती है और उसे तैयार करने में कितना समय लगता हैं। इसी प्रकार कुछ मुख्यमंत्रियों और बड़े नेताओं के राजनीतिक भाषण भी चापलूस लिख रहे थे। राज्यों की it टीम को यह भी पता नही था कि कोई कंटेंट तैयार करने में कितना समय लगता है और कितने लोगों की जरूरत होगी। एक आदमी ही तीन-चार लोगों का काम कर रहा था। अतःवह बस खानापूर्ति कर रहा था।

और जो नकारा और चापलूस कुछ बड़े नेताओं का it सेल देख रहे थे उन्हें इस बात की चिंता नही थी कि जनता के बीच कैसे ज्यादा से ज्यादा पहुँचा जाए, उन्हें उत्साहित किया जाए, हिंदुत्व और विकास को जाए बल्कि उनकी चिंता यह थीं हमारे ऊपर के नेताजी, मुख्यमंत्रीजी और उनके नजदीकी लोगों को कैसे खुश किया जाए ताकि आगे काम आए।

हद तो यह थी कि दलाल और चाटूकार मीडिया सेल के लोग लोकसभा प्रत्याशी को विधानसभा प्रत्याशी लिख देते थे।

ऐसा लग रहा था जैसे चुनाव न होकर कि आई टी सेल वाले पिकनिक मना रहे थे। इन्हें इस बात की ज्यादा चिंता थी कि तीन महीने का खानेका मेन्यू क्या होगा, कब कढ़ाई पनीर बनेगा, कब मलाई चाप बनेगा और कब खीर पूरी।

इन्हें वास्तव में इससे मतलब ही नही था मोदीजी कितनी सीटें जीत रहे हैं। इन्हें लग रहा था मोदीजी तो चुनाव जितवा ही देंगे अतः यहाँ अपनी जेब थोड़ी भारी हो जाए और पहचान बन जाए।

अतः अब बीजेपी और Narendra Modi जी के लिए आवश्यक है कि पूरी आई सेल को बदले, चापलूस और दलालों को बाहर करे और उनकी जगह प्रोफेसनल और प्रतिबद्ध लोगों को रखे तथा काम के महत्व को समझे व उनकी समीक्षा करें। क्योंकि आगे अब बीजेपी को बहुत मजबूत विपक्षी आई. टी. सेल का सामना करना होगा।

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