नितिन त्रिपाठी : शिवराज सिंह चौहान.. जब किसी नेता को उसके वोटर मामा कहने लगें तो…
शिवराज सिंह चौहान – जब किसी नेता को उसके वोटर मामा कहने लगें तो अपने आप समझ आता है कि उससे जनता कितना प्रेम करती है.
उस दौर में जो भाजपा का सबसे डाउन टाइम रहा 2000-2014 के समय चुनाव दर चुनाव मध्य प्रदेश में भाजपा को जिताया. जिताया ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश जिसे एक बीमारू प्रदेश माना जाता था, उसे प्रगति के पथ में लाया. केंद्र में कांग्रेस सरकार थी इसके बावजूद अपने दम पर मध्य प्रदेश के ऊपर लगा बीमारू का टैग हटाया.
2012-13 में नये नेताओं में शिवराज आडवाणी की पसंद के प्रधान मंत्री उम्मीदवार माने जाते थे. मोदी जी प्रधान मंत्री बने तो शिवराज सानती पूर्वक एक कर्म योद्धा की भाँति मध्य प्रदेश में लगे रहे.
इस बार प्रदेश चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत हुई. जब उनके मुक़ाबले एक नये नेता मोहन यादव को मुख्य मंत्री बनाया गया तो बग़ैर कोई द्वेष रखे पार्टी का आदेश स्वीकार ही नहीं किया बल्कि नये मिशन में जुट गये कि पार्टी को लोकसभा में सभी सीट जितायेंगे. जहां एक ओर पड़ोस के प्रदेश उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन ख़राब रहा, शिवराज ने मध्य प्रदेश में भाजपा को सारी सीटें जितवाईं. इतना ही नहीं स्वयं भी आठ लाख से ज़्यादा वोट से विजय पाई.
संघ के कर्मयोगी ऐसे ही होते हैं. न हार में न जीत में बदलते नहीं. बस जो उन्हें कार्य दिया जाता है निर्विकार भाव से पूरा करते हैं. स्व की जगह संगठन को महत्व देते हैं. संगठन ने मुख्य मंत्री बनाया प्रदेश को अच्छा नेतृत्व दिया. संगठन ने हटा दिया चूँ तक न की अगला और मुश्किल दायित्व ले लिया इस बार लोकसभा में सब सीट जितायेंगे. और करके दिखाया.
मामा से सब खुश हैं. स्वयं का वोट बैंक है. पार्टी को जिताते हैं. जो भूमिका दी जाती है बग़ैर नाक भौं सिकोड़े निर्वहन करते हैं. जनता पारिवारिक सदस्य मानती है. कार्यकर्ता प्रसन्न हैं. संगठन प्रसन्न है. विरोधी भी मामा के ख़िलाफ़ नहीं बोलते. ह्यूमन टच है. प्रशासनिक क्षमता है. त्याग की भावना है. संघ के अच्छे संस्कार हैं. स्वयं जीतते हैं जिता कर लाते हैं. चुप चाप काम करते हैं. मोदी जी के भविष्य के रूप में इस बार की केंद्रीय कैबिनेट में शिवराज सिंह चौहान सबसे अग्रणी माने जाएँगे. शेष उनका वर्तमान कैबिनेट मंत्री के कार्यकाल में उनका कार्य बतायेगा.