कौशल सिखौला : नृसिंह अवतार.. हिरण्यकश्यपु को मारने को बारह मास से अलग बनाया तेरहवां पुरुषोत्तम मास
हिरण्यकश्यपु ने वरदान तो बढ़िया मांग लिया था अमर होने के लिए
न दिन में मरूं न रात में
न घर में न घर से बाहर
न नर से मरूं न पशु पक्षी से
ना शस्त्र से मरूं न अस्त्र से
न वर्ष में मरूं न बारहों मास में
और भी ना जानें कितने वरदान
वर मिलने पर उसने कहा ब्रह्म कुछ नहीं भगवान कुछ नहीं
मैं ही ब्रह्म मैं ही भगवान
इस संपूर्ण जगत पर अब मेरा आधिपत्य
पुत्र प्रह्लाद ने कहा कि आप पिता हो परमात्मा नहीं
जब पाप बहुत बढ़ गए तब हुआ अनादि विष्णु का चौथा नृसिंह अवतार
नृसिंह रूप में पधारे प्रभु
हिरण्यकश्यपु को मारने को बारह मास से अलग बनाया तेरहवां पुरुषोत्तम मास
न दिन में न रात में सायंकाल गोधूली बेला में किया हिरण्यकश्यपु का वध
न पुरुष न पशु धारण किया नृसिंह रूप
कोई शस्त्र नहीं
नखों से फाड़ डाला सीना
न जमीन पर न आसमान में
न घर में न बाहर
देहरी पर गोद में लिटाकर किया वध
भला परमात्मा के भेद क्या जाने मनुष्य
उसकी लीला अनंत माया अनंत
आज के ही दिन हुआ था नृसिंह अवतार
जय हो नृसिंह भगवान
कृपा करो करूणानिधान