मनीष शर्मा : Railway Drivers की क्या हालत होती होगी.. बेवजह का project बनाया जा रहा है.. इतने हजारों करोड़ फूंके जा रहे हैं…

ढाई-तीन साल पहले की बात है…… मोदीनगर में रहने वाले एक मित्र से बात हो रही थी… RRTS का काम चल रहा था…. Traffic की ऐसी तैसी हो रखी थी…लम्बे लम्बे जाम हुआ करते थे.. क्यूंकि Construction की वजह से आधी सड़क तो useless ही थी…. और वैसे भी इस सड़क पर traffic जबरदस्त रहता ही है.

दोस्त ने कहा कि ये बेवजह का project बनाया जा रहा है… इतने हजारों करोड़ फूंके जा रहे हैं… और इसका इस्तेमाल कोई करेगा नहीं.

मैंने पूछा कि क्यों नहीं करेंगे.

दोस्त बोला – यार एक तो इसके टिकट बड़े महंगे होंगे… इस पूरे stretch में बेशक़ कुछ Urban इलाके हैं.. लेकिन अन्य सब गाँव type के हैं… वो लोग इस train में क्यों जाएंगे… जब इससे कहीं कम खर्च में Bus, Tempo आदि से जा पा रहे हैं.

मैंने कहा – यार अभी टिकट के rate पता ही नहीं हैं.. तो उस पर बहस करना बेकार है… दूसरी बात यह है कि आज कल लोग Conveyance की Cost से ज्यादा उसकी Value पर ध्यान देते हैं.

अगर कोई खटारा bus आपको 15 किलोमीटर का रास्ता डेढ़ घंटे में तय करे.. और उसके आपसे 10 रूपए ले.. जिसमें AC भी ना हो.. बैठने की व्यवस्था भी ना हो.. Traffic जाम की समस्या भी हो… और भी अन्य कई तरह की असुविधायें हों.

तो ऐसे में ग्राहक 20-25 रूपए दे कर मेट्रो में जाना पसंद करेगा… जो उसे शायद आधा घंटे में ही पहुंचा दे… AC भी हो… बैठने की ज्यादा सुविधा हो… साफ सुथरा वातावरण भी प्रदान करे…… क्यूंकि यहाँ उसे बेहतर value मिल रही है…extra cost पर.

इसी Value factor ने दिल्ली मेट्रो को दुनिया की सबसे Hit मेट्रो Service बनाया है.

दोस्त – अरे ये सब जुमले हैं.. तू देखियो ये RRTC flop होगी.

Cut to March 2024

आज RRTC के दो phase open हो चुके हैं…. साहिबाबाद से दुहाई और दुहाई से मेरठ तक का Route अब functional है.

और जब से यह Route शुरू हुए हैं.. इनमे यात्रियों की संख्या में 400% का इजाफा हुआ है……आप RRTS में जाइये… आपको हर वर्ग के लोग मिलेंगे… अमीर गरीब middle class… सब इसका इस्तेमाल करते हैं.

यह पहला Toilet Fitted रेलवे Engine है….. जिसका आज कानपुर लोको शेड में उद्घाटन हुआ.
आपको यह छोटी बात लग सकती है…. लेकिन सोचिये हमारे Railway Drivers की क्या हालत होती होगी…. इतने लम्बे लम्बे route करने पड़ते हैं.. बगैर Toilet की सुविधा के.
बताइये…. पूरी train में Toilets होते हैं…..सिवाय Engine के… और इस कमी को दूर करने में हमें इतने दशक लग गए.

ऐसे हजारों लोग हैं जो मेरठ मोदीनगर से रोजाना एनसीआर में up down करते हैं…हजारों या लाखों ऐसे हैं जो उपडाउन करने में असमर्थ हैं, और एनसीआर में ही घर ले कर रहते हैं.. जिस वजह से उनकी बचत नहीं हो पाती… लेकिन अब ऐसे लोग RRTS की वजह से एक डेढ़ घंटे में मेरठ मोदीनगर से एनसीआर के किसी भी कोने में पहुंच सकते हैं….. वो भी सस्ते सहज़ और सुविधापूर्ण Conveyance के माध्यम से….. यह होती है Value..

फिलहाल दोस्त से एक दिन बात हुई…. RRTS पर बात हुई…. अब वो इस बात पर दुःखी है कि इसका नाम नमो भारत क्यों रख दिया… मोदी ने अपने नाम पर रख दिया..

खैर.. अपने अपने दर्द हैं लोगों के.

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