परख सक्सेना : “मोदी चक्र” मोदी का विकल्प सिर्फ मोदी.. क्यों अगला प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे..!!
डोनाल्ड ट्रम्प ने जो रुसी तेल वाली बात कही है ये टेरीफ हटाने की भूमिका मात्र है, ब्रिटेन भी रूस से ऊर्जा सामग्री खरीद रहा है मगर जैसे उसे भुलाया जाता है वैसे ही भारत को भी भुलाने का प्रयास है।
ट्रम्प को नोबल से मतलब था, नहीं मिला तो अब वे फिर से दोस्ती वाले मोड मे आ गए। भारत सरकार ने खंडन किया मगर बहुत सॉफ्ट शब्दों मे, भारत अमेरिका से या यूं कहे ट्रम्प से अपनी ओर से बिगाड़ा नहीं चाहता और ऐसा तब होता है ज़ब आपके पास कोई दूरगामी क्रम संचय की संभावना हो।
भारत सरकार की चुप्पी अब परेशान भी नहीं करती, हमने देखा ये कनाडा के समय भी शांत थे फिर क्या हुआ? ट्रूडो ही गिर गए और सब कुछ सही हो गया। विपक्ष को कोई सीरियस नहीं लेता, यदि कल को लादेन बगदादी के गुरगे कह दे कि भारत मे लोकतंत्र खतरे मे है तो राहुल गाँधी उनके साथ भी खड़ा हो जायेंगे!!
ट्रम्प ने एक बड़ी बात और कही कि वे मोदीजी का करियर खत्म नहीं करना चाहते, ये अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का सबसे बड़ा बड़बोला बयान है। मोदीजी की अप्रूवल रेटिंग 75% के पार है, मोदीजी को हटाने कितने ही आये मगर आज या तो नर्क मे है, या जेल मे है या फिर नेपथ्य मे।
2002 का गोवा अधिवेशन याद कीजिये ज़ब वाजपेयी मोदीजी के इस्तीफे के इच्छुक लग रहे थे फिर क्या हुआ? सारी कायनात वाजपेयी के विरुद्ध खड़ी हो गयी और वाजपेयी युग का ही अंत हुआ, ठीक 11 साल बाद उसी गोवा मे मोदीजी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया और इस बार आडवाणी रोकने गए मगर नेपथ्य मे चले गए।
गाँधी परिवार ने क्या षड़यंत्र नहीं रचे आज सारे सर्कस बन चुके है, केशुभाई और वाघेला के तो नाम भी लोग भूल गए, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं को या तो मुईज्जू की तरह झुकना पड़ा या फिर केपी ओली और जस्टिन ट्रूडो की तरह धक्के मारकर भगा दिए गए।
आज वर्तमान स्थिति ऐसी है कि मोदीजी के सामने विपक्ष मे दूर दूर तक कोई नहीं है, जीवित लोगो मे मुझे दो ही योग्य दिखाई देते है एक आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दूसरे उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक। लेकिन यहाँ भी मोदीजी का औरा एक अलग ही है, नायडू तो सरकार के समर्थक है और उनकी पार्टी का उतना विस्तार नहीं है कि वे प्रधानमंत्री बन सके।
नवीन बाबू के साथ तो सिर्फ सीटों की मारामारी है अन्यथा वे भी NDA का ही हिस्सा है। नरेंद्र मोदी का विकल्प सिर्फ नरेंद्र मोदी है या फिर वे जिसे अपना उत्तराधिकारी मान ले वह अगला प्रधानमंत्री होगा। इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प बहुत बड़े भ्रम मे है कि वे मोदीजी के करियर को छू भी पाएंगे, हालांकि ये ट्रम्प की फिसली जुबान ज्यादा लगती है।
ट्रम्प अपनी बातो को प्रभावशाली ढंग से रखने के लिए गलत शब्दों का चयन करते आये है। बाकि भारत को अमेरिका की निश्चित ही आवश्यकता पड़ सकती है बहुत सी बाते पब्लिक डोमेन मे नहीं होती, ट्रम्प ने टेरीफ कम करने और संबंध सुधारने के लिए ये एक बहाना बना लिया है।
25-30 साल बाद प्रधानमंत्री चाहे योगी हो, अन्नामलाई हो, फडणवीस हो या फिर कोई और उसे सहूलियत आज ही की विदेश नीति से मिलेगी ये तय है।
✍️परख सक्सेना✍️
https://t.me/aryabhumi
