NRI अमित सिंघल : वैश्विक मंदी लेकिन भारत में तीव्र आर्थिक विकास से विपक्ष इसलिए है हताश..
पहले लॉलीपॉप एवं स्लोगन के द्वारा चुनाव जीत लिया जाता था, भले ही जनता के जीवन में कोई बदलाव न आया हो। सत्तर-अस्सी सीटों पर बूथ कैप्चर करके, फेक वोटर द्वारा, एक ही वोटर द्वारा कई जगह मतदान करके – एक तरह से फ्रॉड द्वारा – चुनाव जीत लिया जाता था।
राहुल एंड कंपनी की समस्या यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि जनता का वोट अपनी ओर कैसे खींचना है। लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है; अतः जनता को अपनी नीतियों एवं कार्यक्रम के बारे में बतलाना होता है; पूर्व में किये गए कार्यो का लेखा-जोखा देना होता है। जनता से कुछ भावनात्मक स्तर पर भी अपील करना होता है।
पहले लॉलीपॉप एवं स्लोगन के द्वारा चुनाव जीत लिया जाता था, भले ही जनता के जीवन में कोई बदलाव न आया हो। सत्तर-अस्सी सीटों पर बूथ कैप्चर करके, फेक वोटर द्वारा, एक ही वोटर द्वारा कई जगह मतदान करके – एक तरह से फ्रॉड द्वारा – चुनाव जीत लिया जाता था। कुछ वोट इमोशनल विषयो – जैसे कि मंडल, आरक्षण, जातिगत अपील इत्यादि के नाम पर मिल जाता था; बहुमत से कम सीट मिलने पर खिचड़ी गठबंधन करके; या फिर दल-बदल द्वारा सरकार बन जाती थी।
गैर-कांग्रेस पक्ष तभी चुनाव जीत पाता था जब उनके पक्ष में भारी लहर चल रही हो।
मई 2019 के चनाव पूर्व हवा ऐसी बन गयी थी कि भाजपा बहुमत से बीस-तीस सीट नीचे रह जायेगी, जिसके कारण अन्य NDA पार्टिया सम्प्रदायवाद के नाम पर भाजपा को समर्थन देने से मना कर देगी और कांग्रेस या फिर देव गौड़ा जैसा कोई अन्य व्यक्ति सरकार बना ले जाएगा। समस्या तब आ गयी जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने संसदीय चुनावो में दूसरी बार भारी बहुमत से सरकार बना ली।
विपक्ष को पता है कि अब भारतीयों को घर, बिजली, नल से जल, शौचालय, बैंक अकाउंट, आधार, आयुष्मान, मोटे तौर पर भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, समय पर बड़े प्रोजेक्ट (रेल, राजमार्ग, हवाई यात्रा, डिजिटल भुगतान, मेट्रो) पूरा करना, आतंकी हमलो से सुरक्षा इत्यादि के कारण इन विषयो पर जनता से कोई नया वादा नहीं कर सकते।
राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, श्रीकृष्ण मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर पर अवैध कब्जा जैसे विषयो पर विपक्ष के मुंह में दही जम जाती है। धोखे से पहचान छुपाकर विवाह करना, स्कूल में महिलाओ के लिए विशेष धार्मिक ड्रेस की मांग करने जैसे विषयो पर विपक्ष सांप्रदायिक तत्वों के साथ खड़ा हो जाता है।
वर्ष 2024 के चुनाव के समय भाजपा राम मंदिर, काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकालेश्वर, 370 हटाने जैसे विषयो को याद दिलाकर जनता से इमोशनल स्तर पर जुड़ने का प्रयास करेगी।
साथ ही वैश्विक मंदी के बावजूद भारत में तीव्र आर्थिक विकास ने विपक्ष को हताशा से भर दिया है।
अतः वर्ष 2019 के समापन के समय से ही मोदी सरकार को हराने के लिए विपक्ष ने हिंसा एवं झूठ-फरेब का सहारा (बीबीसी की रिपोर्ट), विदेशी मीडिया में भारत को अपमानित करना – रैंकिंग में भारत को नीचे दिखाना (अधिकतर मध्यम वर्ग भारत की इमेज के बारे में सेंसिटिव है), कोविड के समय अराजकता फैलाना, एवं अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का प्रयास शुरू कर दिया था।
दिसंबर 2019 सुज़ाना अरुंधति रॉय ने कहा था कि वे लोग अगले चार वर्ष तक प्रतिदिन प्रदर्शन नहीं कर सकते. “इनके खिलाफ हम चार साल रोज़ नहीं लड़ सकते न..इनको चार साल देना नहीं चाहिए….”
शाहीन बाग, फर्जी किसान आंदोलन इत्यादि ऐसे ही प्रयास थे क्योकि प्रतिउत्तर में अगर सरकार शक्ति प्रदर्शन करती तो भड़की हुई व्यापक हिंसा के कारण आर्थिक विकास में गिरावट आ जाती। चूंकि इस रणनीति में सफल नहीं हो पाए तो अब इन लोगो ने भारत के सबसे बड़े बिज़नेस हाउस अडानी को अपने निशाने पर ले लिया है जिससे आर्थिक विकास में गिरावट आ जाए।
विश्व के अति धनाढ्य सेठ, जॉर्ज सोरोस – जो अपनी आइडियोलॉजी के कारण प्रधानमंत्री मोदी का कट्टर विरोधी है – ने भविष्यवाणी की कि गौतम अडानी के संकट से प्रधानमंत्री मोदी कमजोर हों जाएंगे जो भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान के लिए “दरवाजा खोल” देगा। कई लोगो ने ट्वीट किया है कि भारत के अलगाववादी तत्वों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, घुसपैठियों एवं अपराधियों को सोरोस की फंडिंग एवं समर्थन प्राप्त है।
न्यू यॉर्क टाइम्स लिखता है कि अडानी का पतन भारत के पूंजी बाजार और उनके साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को नीचे ला सकता था (“था” पर ध्यान दीजियेगा)।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी चुपचाप भारतीयों के मानवाधिकारों का संरक्षण (मूलभूत सुविधाओं के द्वारा) कर रहे हैं; उसे बढ़ावा दे रहे हैं। जिसे हर शहर और गांव में रहने वाला भारतीय देख रहा है, महसूस कर रहा है, तथा उससे लाभान्वित हो रहा है। उन्हें इन अर्बन नक्सलों की दांव-पेंच और रिपोर्टिंग से कोई अंतर नहीं पड़ता है।
प्रधानमंत्री मोदी के विज़न और नेतृत्व पे विश्वास बनाये रखिये। यही एक विश्वास ऐसे तत्वों को निस्तेज और हताश कर देता है।