कौशल सिखौला : यूक्रेन.. सबूत नहीं मांगा.. विपक्ष सरकार से लड़ता है लेकिन युद्ध के विषय पर सरकार के साथ..

अंततः यूक्रेन भले ही युद्ध हार जाए , लेकिन उस देश को संतोष रहेगा कि उसका एक भी व्यक्ति गद्दार नहीं निकला । न कोई यूरोप भागा और न कोई एक भी महाशक्ति रूस से जाकर मिला । फौज के सैनिकों ने मरना मंजूर किया , दुश्मन से जाकर नहीं मिले ।

हमारे देश में जेलेंस्की को पागल , जोकर या कॉमेडियन बताने वाले महानुभावों की कमी नहीं । लेकिन धन्य है वह देश जिसके एक भी व्यक्ति ने जेलेंस्की के फैसले पर सवाल नहीं उठाया । न कोई जार्ज सोरस से मिलने पहुंचा न किसी ने अपने सैन्य बलों का मनोबल गिराया । नाटो देश अब भले ही पीछे हट रहे हों देश की जनता पूरे मनोवेग से अपने नायक के साथ खड़ी है । जिस देश की जनता में जयचंद नहीं होते वह बेशक पराजित हो जाए , चाहे मिट जाए , सदा याद किया जाता है ।

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माना कि महाशक्तिशाली रूस एक दिन यूक्रेन का नामोनिशान मिटा देगा , लेकिन इतिहास उन्हें अपनी मिट्टी के लिए लड़े एक नायक के रूप में याद करेगा । ऐसा नायक जो अपने अधिकार और मर्जी से कहीं भी जाने के लिए लड़ते लड़ते मर गया । उसका एक भी नागरिक बागी नहीं निकला । कल ही यूक्रेन ने रूस के 700 करोड़ रुपए मूल्य के महाशक्तिशाली फाइटर जेट को मार गिराने की घोषणा की ।

देश में किसी भी व्यक्ति ने उसके सबूत नहीं मांगे । पिछले दिनों यूक्रेन ने रूस के 5 एयरबेस पर हमला किया , 40 फाइटर प्लेन उड़ाए । कोई आवाज सबूत मांगने के लिए नहीं उठी । हमारे देश में तो सर्जिकल स्ट्राइक , एयर स्ट्राइक सभी के सबूत मांगे जाते हैं । अब चार दिनों की भारी उपलब्धि पर ही कहां भरोसा है ? सेना की जानकारी पर ही कहां भरोसा है ? भरोसा तब होगा जा संसद का सत्र हो जाएगा , दिलों की भड़ास निकल जाएगी ।

बात युद्ध की और अपने नायकों के प्रति निष्ठा की करें तो जरा इसराइल को देखिए । हमास , हिजबुल्ला , हूती , ईरान , आइसिस आदि आतंकी संगठन गाजा के साथ हैं । लेकिन इसराइल किसकी सुनने वाला है । वह तो अमेरिका की भी नहीं सुनता । सुनता है तो दिल की सुनता है । इजरायल के भीतर विपक्ष सरकार से लड़ता है लेकिन युद्ध के मुद्दे पर कभी नहीं बोलता , सरकार के साथ रहता है ।

इसराइल की भी गाजा के मूल निवासियों से उतनी लड़ाई नहीं थी जितनी हमास के आतंकियों के गाजा पर कब्जा करने के बाद हुई । यूक्रेन का तबाह होना जितना निश्चित है , निश्चित रूप से गजा अभी से तबाह हो चुका है । इसराइल वहां पानी और अनाज तक नहीं भेजने दे रहा । युद्ध रुके भी तो कैसे ? भारत की तरह इसराइल की समस्या भी उस पार के आतंकवादी हैं । दुनिया एक अजीब से मुहाने पर आ खड़ी हुई है । उसे संतोष है इतने हमलों के बावजूद उसके 95 लाख लोग उसके साथ हैं । गौर कीजिए ,भारत के 140 करोड़ में से कितने लोग सचमुच अपने देश के साथ है ?

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