राजीव मिश्रा : और चुनाव हार कर वे इतिहास के सबसे बड़े विलेन बन गए..
कुछ लोग हवा का रुख बदल देने की हिम्मत रखते हैं, और कुछ बदलती हुई हवा का रुख पढ़ने की समझदारी रखते हैं. पहले वाला क्लास लीडर होता है, उद्यमी होता है.. दूसरा वाला क्लास पॉलिटिशियन होता है, बिजनेसमैन होता है.
अमेरिका में हवा का रुख बदल दिया दो लोगों ने – डोनाल्ड ट्रंप और एलोन मस्क ने.
ट्रम्प पहले भी जीते थे लेकिन वे तब हवा के विपरीत खड़े थे. हवा को बदल नहीं पाए थे. वोटर्स के अलावा उनके साथ कोई नहीं आया… न कोई बुद्धिजीवी, न कोई उद्यमी, ना मीडिया न ही इंडस्ट्री. जिनका ट्रम्प के होने से सीधा लाभ था वे भी साथ आने की हिम्मत नहीं जुटा सके. इसलिए सरकार रहते हुए भी व्यवस्था उनके साथ नहीं रही. जिस किसी ने भी ट्रम्प का साथ दिया उसे घसीटा गया, फंसाया गया, डुबाने की कोशिश की गई. सत्ता में रहने के बावजूद तंत्र साथ नहीं रहा.. चुनावों में फर्जी पोस्टल बैलेट्स की धांधली नहीं रोक सके और चुनाव हार कर ट्रम्प अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े विलेन बन गए.
लेकिन यह 2024 का चुनाव अलग रहा. इस बार ट्रम्प को सचमुच समर्थन मिला.. प्रभावशाली लोगों का समर्थन. इस बार के चुनाव में लोगों ने ट्रम्प का खुला समर्थन करने हिचक नहीं दिखाई. अश्वेत और लैटिनो लोगों तक ने भारी संख्या में ट्रम्प को समर्थन दिया, जिन्हें हमेशा बताया गया कि ट्रम्प उनका शत्रु है.
और इस बदलती हवा और बदलती दिशा का श्रेय किसी व्यक्ति को जाता है तो वह है एलोन मस्क. उसने ना सिर्फ खुल कर समर्थन और डोनेशन दिया, पूरे अमेरिकी वाम तंत्र से खुली दुश्मनी ले ली. अगर ट्रम्प हार जाते तो इसका सबसे बड़ा और सीधा व्यक्तिगत नुकसान मस्क को होता, लेकिन उसने अपने मल्टी ट्रिलियन डॉलर एम्पायर को दांव पर लगा दिया.
इस बार सिर्फ सरकार नहीं बदली है, तंत्र भी बदला है. इसका प्रमाण है मार्क जुकरबर्ग. एक अच्छे बिजनेसमैन की तरह जुकरबर्ग ने हवा का रुख पहचाना और घोषित कर दिया कि उसका फेसबुक और इंस्टाग्राम भी अब मस्क के X की राह पर चलेगा और जबरदस्ती वामपंथी कंटेंट नहीं परोसेगा. यही नहीं, उसने यह स्वीकार किया कि पिछली सरकार के समय उसपर वामपंथी कंटेंट परोसने और विरोधी कंटेंट को रोकने का दबाव था. उसने मेटा के ऑपरेशंस को वोक विचारधारा के गढ़ सिलिकॉन वैली से हटाकर टेक्सास शिफ्ट करने का फैसला किया है.
मार्क जुकरबर्ग का रुख बदलना इस बात का प्रमाण लगता है कि विश्व की राजनीति में अधिक स्थायी और दूरगामी परिवर्तन हुए हैं और आगे भी होने की संभावना है. आशा है यह परिवर्तन भारत को भी अधिक स्थिरता देगा.
साभार – श्री राजीव मिश्रा के पोस्ट से।
