दिलीप सी मंडल : 2010 में बरसात ज्यादा हुई.. इसके बाद से भारत की भूखे देश वाले वैश्विक छवि बदल गई

2010 में बरसात ज्यादा हुई. जगह जगह एफसीआई गोदामों में सरकारी अनाज सड़ रहा था. फसल अच्छी हुई थी. अनाज खुले में रखा था. लेकिन उसी समय भारत में लोगों के भूख से मरने की खबरें भी लगातार आ रही थीं.

जब सरकारी अनाज सड़ने की खबरें आम हो गईं तो सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2010 को केंद्र सरकार को एक अंतरिम आदेश दिया कि जो अनाज अतिरिक्त है, उसे सड़ाने की जगह गरीबों को दे दिया जाए ताकि लोग भूख से न मरें.

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तब की सरकार ने, प्रधानमंत्री का नाम लेना अब उचित नहीं होगा, वे अब नहीं है, कहा कि अनाज मुफ्त नहीं बांट सकते. इससे आर्थिक अनुशासन खराब हो जाएगा. इसके लिए बुद्धिजीवीयों ने तर्क दिया कि 1. लोगों की आदत खराब हो जाएगी, 2. किसान अनाज नहीं उगाएंगे, 3. सस्ते मजदूर नहीं मिलेंगे, 4. सरकार पर बोझ पड़ेगा.

उनका बयान आया- “40 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज कैसे दिया जा सकता है?”

यानी अनाज सड़ा देंगे, पर भूखे लोगों को नहीं देंगे.

इसके बाद देश में एक रहमदिल प्रधानमंत्री आया. उसने कहा कि 80 करोड़ लोगो को मुफ्त अनाज देंगे. सिर्फ गरीबो को नहीं, तमाम तरह के जरूरतमंदों- बुजुर्गों, असमर्थ लोगों को भी देंगे. गरीबी से उठ चुके लोगों को भी देते रहेंगे, ताकि वे दोबारा गरीबी न फंस जाएंं.

इसके बाद से भारत की भूखे देश वाले वैश्विक छवि बदल गई.

इस रहमदिल इंसान का नाम Narendra Modi है.

उसने 2010 के असंभव को 2019 में संभव कर दिखाया है. हमारे अनाज के भंडार, इस योजना के बावजूद भरे हुए हैं.

-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।

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