डॉ. पवन विजय : लेखन कार्य शादी डॉट कॉम नहीं है जो इसके जरिए आप अपने रिश्ते तय करते हैं
आपका लाभ/ग्लैमर के पद पर होना आपके साहित्यकार होने की वैधता है। मेरा एक अवलोकन है कि तथाकथित राइट विंगर के साहित्यकार अपने दोस्तों यारों जिसमें अधिकांशतः घोर वामपंथी शामिल होते हैं की पुस्तकों को बांचते हैं, कलमतोड़ गाथा लिखते हैं पर मजाल क्या कि वे कभी पूर्णाहुति, अभ्युत्थानम, मुट्ठी भर आसमान, खिड़कियां, एक गाय की आत्मकथा, ढाई मोर्चे का चक्रव्यूह जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तकों पर एक अक्षर भी लिख दें।
वे लोग विवाद में नहीं पड़ते, हर लिट फेस्ट में पहुंच जाते हैं, विवादों में पड़ना हम जैसे मूर्खों का कार्य है, वे मूर्ख नहीं समझदार और होशियार हैं।
वह सौम्य मुस्कुराहट अत्यंत क्रूर है जो निपट स्वार्थ के चलते चित्र में बिखरी होती है।
लेखक का व्यक्तिगत परिचय है केवल तभी आप उसे महत्व देंगे, यह तो साहित्यकार होना नहीं है। अच्छा बुरा कुछ भी लिखना लेकिन जो नए लिख रहे हैं उन्हें आलोचना के केंद्र में तो रखिए अन्यथा आप भी लेफ्ट जितने ही क्रूर हैं।
लेखन कार्य शादी डॉट कॉम नहीं है जो इसके जरिए आप अपने रिश्ते तय करते हैं।
आप यदि स्वयं को राइट कहते हैं तो करके भी दिखाइए, आपसे अधिक लेफ्ट में अपने लोगों को लेकर निष्ठा है, आप कुछ लिख देंगे तो आपके वामी मित्र नाराज हो जायेंगे, यह भय आपको कहीं का नहीं छोड़ेगा।
निर्भय होइए, कंफर्ट जोन से बाहर आइए, आप साहित्यकार हैं मेढक नहीं कि जरा सी ठंड में दुबक कर हाइबरनेशन में चले गए।
सत्य की अग्निज्योति जलाइए। यारबाजी से भी आगे जहान है।
