अमित सिंघल : यही खड़गे एवं राहुल का “मानवाधिकार” है
राज्य सभा एवं लोक सभा में विपक्ष के नेता, मल्लिकार्जुन खड़गे एवं राहुल गाँधी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के सेलेक्शन के बारे में अपनी लिखित असहमति रजिस्टर करवाई है।
अपनी असहमति में इन दोनों ने लिखा कि ऐसी नियुक्तियों के लिए यद्यपि योग्यता निस्संदेह प्राथमिक मानदंड है, फिर भी राष्ट्र की क्षेत्रीय, जातिगत, सामुदायिक और धार्मिक विविधता को प्रतिबिंबित करने वाला संतुलन बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
दूसरे शब्दों में, इन दोनों ने माना कि सेलेक्ट किये गए महानुभाव निःसंदेह योग्य थे; लेकिन खड़गे एवं राहुल की सोच के अनुरूप नहीं थे।
प्रधानमंत्री सेलेक्शन समिति का अध्यक्ष होता है तथा लोकसभा अध्यक्ष, राज्य सभा के उपाध्यक्ष, गृह मंत्री, राज्य सभा एवं लोक सभा में विपक्ष के नेता इस समिति के सदस्य होते है।
इस समिति ने 18 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व जस्टिस रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के लिए रिकमेंड किया था; साथ ही प्रियंक कानूनगो और जस्टिस बिद्युत रंजन सारंगी को आयोग के सदस्य के लिए संतुस्ती की थी। राष्ट्रपति महोदया ने समिति की राय के आधार पर इन सभी की नियुक्ति कर दी है।
लेकिन खड़गे एवं राहुल ने असहमति रजिस्टर करते हुए लिखा कि इन दोनों ने न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ का नाम आयोग के अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया था एवं सदस्य के लिए न्यायमूर्ति एस मुरलीधर, तथा न्यायमूर्ति अकील अब्दुल हामिद कुरैशी का नाम प्रस्तावित किया था।
दोनों अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर रहे है कि उनके द्वारा प्रस्तावित कैंडिडेट योग्यता के मापदंड पर तुलनात्मक रूप से कुछ कम ही थे।
खड़गे एवं राहुल द्वारा प्रस्तावित कैंडिडेट्स के बारे में कुछ लिखना उचित नहीं होगा।
सोशल मीडिया पर ढेरो ऐसे तथाकथित वीडियो घूम रहे है जिसमे इन लोगो ने हिन्दुओ के विरोध में घृणित टिप्पणियां की है; आतंकी तत्वों को बेल देने का समर्थन किया है; या अब पांच-जज बेंच के सर्वसम्मति से दिए गए राम मंदिर निर्णय के विरोध में बोल रहे है।
यही खड़गे एवं राहुल का “मानवाधिकार” है।
