कौशल सिखौला : केजरीवाल के उन सभी गुणों का पर्दाफाश होता गया , जिन्हें वास्तव में अवगुण कहा जाता है..
दिल्ली के सीएम को कोर्ट से राहत नहीं मिली । वायदा माफ़ गवाहों के बयानों से ईडी ने ऐसा शिकंजा कसा कि सुप्रीमकोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट तक कोई राहत नहीं मिली । यद्यपि कहानी अभी लम्बी है , शिकंजा बहुत कड़ा है , अतः केजरीवाल का संकट अभी बहुत बड़ा है । सबसे बड़ी बात है कि अब सीएम कौन बने और चुनाव के इस मोड़ पर पार्टी कौन संभाले।
केजरीवाल सिर्फ दिल्ली पंजाब में नहीं , देश के दर्जन भर राज्यों में प्रत्याशी लड़ा रहे हैं । आम आदमी पार्टी के नंबर 1 , नंबर 2 और नंबर 3 नेताओं के जेल में होने से अब पार्टी संभालने और चुनावी मुहिम संभालने की जिम्मेदारी भगवंत मान पर आ गई है । राघव चड्ढा और आतिशी के कंधे इतने मजबूत नहीं कि वे ऐसे नाजुक दौर में इतना बड़ा बोझ संभाल पाएं।
केजरीवाल के खिलाफ के कविता , गिरफ्तार शराब व्यापारियों और दिल्ली आबकारी विभाग के गिरफ्तार अधिकारियों ने मजिस्ट्रेट के सन्मुख अपने बयान दर्ज कराए हैं । जाहिर है सिसोदिया , संजय और जैन की तरह केजरीवाल की जेल यात्रा बहुत लंबी हो सकती हैं । जिस एक्ट में ईडी ने गिरफ्तारी की , उसके अन्तर्गत जमानत मिलनी आसान नहीं है।
केजरीवाल ने ईमानदारी और जन लोकपाल के सवाल खड़े कर अन्ना के इंकार के बावजूद राजनीति में प्रवेश किया था । उनकी लड़ाई कांग्रेस के भ्रष्टाचार से थी । समय के साथ केजरीवाल के उन सभी गुणों का पर्दाफाश होता गया , जिन्हें वास्तव में अवगुण कहा जाता है । कुमार विश्वास , आशुतोष , कपिल मिश्रा , शाजिया इल्मी , योगेंद्र यादव आदि जैसे अनेक नेता एक एक कर केजरीवाल का साथ छोड़ते गए । केजरीवाल तब भी नहीं चेते।
उन्हें राजनीति में मजा आने लगा । राहुल गांधी की तरह उन्हें भी पीएम मोदी को गालियां देने में मजा आने लगा । यह मजा बढ़ाने में सिसोदिया और संजय सिंह उनके भागीदार बने । लेकिन कहते हैं ना , कागज के फूलों से खुशबू नहीं आती , झूठे असूलों से सच्चाई नहीं छिपती । केजरीवाल की मंशा शुचिता से नहीं साम दाम दण्ड भेद से देश का प्रधानमंत्री बनने की थी । राजनीति प्रभुता और माया से बचकर नहीं रह सकती । केजरीवाल अब बुरी तरह फंस गए हैं , पार्टी का अस्तित्व भी संकट में फंस गया है।