समर प्रताप : सावरकर…और नरम दल वाले जो अंग्रेजों के लिए सेफ्टी का काम करते थे वो देश चलाने लग गए

भाई कुछ काम आत्मा की संतुष्टि के लिए किये जाते है।
जैसे बाहुबली के रूप में प्रभास को,
हनुमानजी के रूप में दारा सिंह को,
और श्री राम के रूप में अरुण गोविल को आज तक देखते है।
वैसे ही आपको सावरकर के रूप में देखगी।
और सच्चाई हर पर्दे को चीरकर बाहर आएगी।

-समर प्रताप

रणदीप हुड्डा सावरकर के किरदार में ऐसे घुस गए है कि भविष्य में उनके मूवी के फोटो असली सावरकर के लिये भी यूज किये जा सकेंगे।
हुड्डा की एक्टिंग ने एक महानायक के जीवन को जिंदा कर दिया है।
वैसे तो इस देश मे न्याय न सुभाष चन्द्र को मिला,न भगतसिंह को,न ही खुदी राम बोस को और न मदनलाल ढिंगरा को।
जो गरमदल के नेता थे जिन्होंने फांसी खाई या अंग्रेजों द्वारा सताये गए वो इतिहास से गायब है।
और नरम दल वाले जो अंग्रेजों के लिए सेफ्टी का काम करते थे वो देश चलाने लग गए।

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ऐसा किस देश मे होता है कि एक क्रांतिकारी बचपन से देश की आजादी के सपने देखता है,1857 की क्रांति को जिसे अंग्रेजों ने बगावत बोला था उसे स्वतंत्रता की लड़ाई सिद्ध करने के लिये बुक लिखता है।
और ऐसी बुक लिखता है कि जिसे पढ़कर मदनलाल ढिंगरा जैसे क्रांतिकारी अंग्रेजों पर गोली चलाते है।
और खुद वीर सावरकर को स्वतंत्रता के इतिहास की सबसे कठिन सजा मिलती है।
आजीवन कारावास वो भी दो बार।
प्रताड़ना सहना।
जब प्रथम विश्व युद्ध मे गांधी जी अंग्रेजों के लिये भारतीय सेना को तैयार कर रहे थे उधर सावरकर मना कर रहे थे।

एक क्रांतिकारी नही मिलेगा जिन्होंने उनके बराबर सजा काटी हो,लेकिन वो एक ऐसा करेक्टर था जो न केवल गांधी पर भारी था बल्कि कांग्रेस पर भी।
ऐसा क्रांतिकारी जो अंग्रेजों से लड़ने के लिये लंदन वकालत करने जाता है और भारत के स्वतंत्रता के आंदोलन को दुनिया के सामने लाता है।
उसके खिलाफ जनता में ऐसा मैसेज क्यो दिया गया जिससे वो विलेन बने।
कयोकि अंग्रेज ही नही कॉंग्रेस के नेता भी उनसे डरते थे।
जब गांधी का नाम नही था उस समय सावरकर ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था।

सावरकर की याचना और गांधी की सिफारिश के बाद उन्हें कठोर कारावास के बाद रिहा किया गया तब भी उनके लिये आदेश थे कि किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नही होंगे।
और रत्नागिरी से बाहर नही जाएंगे।
देश की आजादी के बाद भी उन्होंने बहुत बार जेल काटी।
शायद उनसे नफरत की वजह एक ये ही हो सकती है।
उन्होंने मुश्लीम लीग के सामने हिन्दू महासभा खड़ी करी।
ताकि कांग्रेस सेक्युरिज्म में हिन्दुओ के हक न छीने।
ये देश अपने हर उस क्रांतिकारी को सदा नमन करेगा जिसने थोड़ी सी भी आहुति आजादी के संग्राम में दी है।
सावरकर ने तो पूरा परिवार और जीवन लगा दिया।
एक क्रांतिकारी के असली जीवन को दिखाती एक बेहतरीन मूवी बनाई है हुड्डा ने।
रणदीप हुडा भाई अभिनंदन ये सब दिखाने के लिये।

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