डॉ. भूपेन्द्र सिंह : चुनाव गरम नहीं हो रहा है.. कारण क्या है?

कारण यह है कि आप यदि अखाड़े में अकेले ताल ठोकेंगे तो गर्मी नहीं आने वाली। बिहार और महाराष्ट्र को छोड़कर कहीं भी विपक्ष बहुत लड़ाई की स्थिति में नहीं है। उत्तर प्रदेश में तो सपा ने तय कर लिया है कि वह केवल 16 सीटों पर सीरियस होकर चुनाव लड़ेगी। शेष 64 सीटों पर पहले से वॉक ओवर दिया हुआ है। आप उन 64 सीटों पर चुनाव कैसे गरम कर लेंगे?


चुनाव में गर्मी आती है जब जनता को बदलाव चाहिए, किसी की सत्ता उखाड़ फ़ेकनी हो, जैसे 2014 में दिखा था।
फ़िलहाल विपक्ष चार बातों को दोहरा रहा है।

1- मणिपुर – जिसका बाक़ी देश के चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।
2- जाति जनगणना – जो बिहार में हो चुका है और होने के बाद भी सूरज पश्चिम से नहीं उग पाया।
3- महंगाई – जो कि है नहीं। महंगाई मुद्दा बनने लायक़ इस देश में केवल दो बार आई है पिछले तीन चार दशक में, पहली बार अटल जी की सरकार में परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद जब अमेरिका ने भारत के ख़िलाफ़ अचानक आर्थिक सेंशन लागू किया था और दूसरा सब्ज़ियों और पेट्रोलियम उत्पादों पर मनमोहन सरकार के 2012-2013 सत्र में। जितना मज़दूरी बढ़े, उसी रेसियो में उत्पादों के दाम बढ़े तो उसे महंगाई नहीं मानते, वह सामान्य रूप से समय के साथ मुद्रा का अवमूल्यन है जो कि ब्याज के कारण होना आवश्यक है।
4- बेरोज़गारी – जो कि मानव चरित्र के कारण सदैव बनी रहेगी। कारण यह कि रोज़गार मनुष्य को स्वयं करना पड़ता है, सरकार रोज़गार नहीं देती, मनुष्य स्वयं से करता है। सरकार का काम केवल रोज़गार के लायक़ अवसर प्रदान करना होता है जो कि फ़िलहाल सबसे अच्छा है।

इन चार मुद्दों के अलावा कोई मुद्दा नहीं है और इन मुद्दों में भी सारे मुद्दे फ्रॉड हैं। इसलिए नये नये क्रिप्टो फ्रंट खोले जा रहे हैं जैसे कि भाजपा किसान विरोधी है, भाजपा जाट विरोधी है, भाजपा राजपूत विरोधी है, भाजपा दलित विरोधी है, भाजपा आरक्षण ख़त्म कर देगी, भाजपा संविधान समाप्त कर देगी, भाजपा की जीत ईवीएम से है। ये सब बातें यह बताने के लिए काफ़ी है कि सामने से भाजपा से लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं हो रही सो नये नये होली काऊ लाने पड़ रहे है किसान, दलित आदि के रूप में।

सबको मकान, सबको इलाज, सबको शौचालय, सबको गैस सिलिंडर, सबको नल का जल, सबको बैंक खाता, सबको खाद्यान्न सुरक्षा, सबको बिजली, सबको सड़क, सबको इंटरनेट, सबको रोज़गार के लिए लोन ऐसे मुद्दे हैं जो व्यक्ति व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने में कामयाब हुए हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से मुक्ति, दुनिया में भारत की स्थिति बेहतर करना, राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति, तीन तलाक़ से मुक्ति, माफ़ियाँराज से मुक्ति, दंगाराज से मुक्ति आदि ऐसे विषय हैं जिसने भारत राष्ट्र के सामूहिक चिति में सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है।
इसलिए विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, उसके पास फ़िलहाल एक खेवनहार है और वह है कास्ट कॉम्बिनेशन। वह उसी के बलबूते उछल कूद कर रहे हैं, आँकड़े जोड़ा रहे हैं। यह राष्ट्रीय चुनाव है, वोट भी राष्ट्रीय मुद्दों पर जाएगा। विपक्ष के क्रिप्टो फ्रंट द्वारा बनाये माहौल से यह सोचने की ज़रूरत बिलकुल भी नहीं है कि भाजपा पीछे है। भाजपा अखाड़े में अकेले ताल ठोक रही है पर लड़ने के लिए कोई पहलवान मिल नहीं रहा है इसलिए कुश्ती में मज़ा नहीं आ रहा है।
प्रसन्न रहिए। राहुल गांधी को यह देश कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बनने देगा।

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