सुरेंद्र किशोर : बोफोर्स घोटाले के दस्तावेज को प्रमाणित करके ही लोक सभा में पेश करना पड़ा था वी.पी.को
15 नवंबर, 1988 की लोक सभा की कार्यवाही को संसद लाइब्रेरी में पढ़ लीजिए।
तब वी.पी.सिंह बोफोर्स दलाली के पैसे के बैंक खाते का विवरण सदन में पेश करना चाहते थे।
पीठासीन पदाधिकारी ने वी.पी.सिंह से कहा कि आप उस कागज को प्रमाणित करके यानी उस पर अपना हस्ताक्षर करके पेश कीजिए।
वी.पी.सिंह ने वही काम किया।
जो कागज उन्होंने पेश किया,उसकी फोटो काॅपी इस लेख के साथ यहां पेश की जा रही हैै।

आज अनेक नेता,प्रवक्ता व शीर्ष पत्रकार टी.वी.चैनलों पर यह लगातार यह कह रहे हैं कि मौजूदा लोक सभा के अध्यक्ष नई परंपरा शुरू कर रहे हैं।
वे अदानी के खिलाफ राहुल गांधी के आरोपों को अभि प्रमाणित करने के लिए राहुल से कह रहे हैं।
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वी.पी.सिंह ने 15 नवंबर, 1988 को जो कुछ किया,ऐसे मामले संसद में पहले भी आए।
पर, आज के अधिकतर नेताओं व पत्रकारों को पढ़ने-लिखने से मतलब कम ही रह गया है।क्योंकि उनके जिम्मे दूसरे काम ही अधिक हैं।
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वी.पी.सिंह के अभिप्रमाणित कागज में स्विस बैंक की लंदन शाखा के उस खाते का नंबर है जिसमें इटालियन दलाल क्वात्रोचि के पैसे जमा थे।
वे पैसे बोफोर्स सौदे की दलाली के एवज में मिले थे।बोफोर्स मुकदमे के आरोप पत्र में भी उसी बैंक खाते का नंबर दर्ज है।
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4 नवंबर 1988 को पटना की एक सभा में वी.पी.सिंह ने वह खाता नंबर बताया था।
मैंने ‘जनसत्ता’ में वह रिपोर्ट की थी।
मेरी रिपोर्ट खाता नंबर के साथ पहले पेज पर छपी थी।(हां,नंबर तो ठीक था,पर,टी.यू.की जगह गलती से मैंने पी.यू. लिख दिया था।सभा की माइक ठीक नहीं रहने के कारण सुनने में मुझसे गलती हुई थी।)
एक न्यूज एजेंसी ने भी उस नंबर के साथ खबर उस दिन जारी की थी।किंतु उस खबर को बाद में ऊपरी दबाव से ‘किल’ करा दिया गया।
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मेरी जानकारी के अनुसार सिर्फ ‘जनसत्ता’ में
ही तब पहली बार वह खाता नंबर छपा था।
किसी अन्य अखबार में 5 नवंबर, 1988 से पहले छपा हो तो बताइएगा।
यानी, ‘गोदी मीडिया’ तब अधिक ही शक्तिशाली था।
‘‘गोदी’’ का प्रावधान इस देश में कोई नया नहीं है।आजादी के बाद से ही हमेशा रहा है।
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कुछ ही दिन बाद वी.पी.सिंह ने लखनऊ में भी खाता नंबर बताया था।उस समय वह छपा या नहीं ,मुझे ध्यान नहीं है।
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नरेंद्र मोदी का समर्थन या विरोध,राहुल गांधी का समर्थन या विरोध हो,इसमें कोई बुराई नहीं।
वह तो स्वस्थ लोक तंत्र का हिस्सा है।पर जो लोग विरोध की जगह झूठ का कचरा जो फैलाते हैं,वे सिर्फ अपनी साख की कीमत पर ऐसा करते हैं।
यदि आपकी साख बनी रहेगी तभी तो आप उसकी भी सेवा कर पाएंगे जिसकी ‘गोदी’ में आप हैं या बैठना चाहते हैं।
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14 फरवरी 23
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पुनश्चः
वी.पी.सिंह की यह बात गलत थी कि वह खाता राजीव गांधी का था।जबकि सच्चाई यह थी कि खाता क्वात्रोचि का था।
पर,जिस तरह प्रधान मंत्री राजीव गांधी तथा उनके लोग क्वात्रोचि का लगातार बचाव करते रहे,उससे जनता के दिल ओ दिमाग पर यह छाप पड़ी थी कि वह खाता उन्हीं का है।
बाद में कांग्रेस सरकार ने ही क्वोत्रोचि को इस देश से भगाया और बाद में मन मोहन सरकार ने उस जब्त खाते को खुलवा कर क्वात्रोचि को पैसा निकाल लेने का अवसर प्रदान किया।
बालको दिखा रहा रोज दम.. सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत का पत्र हुआ बेदम.. जंगल का चीरहरण कर शहर में सर्कस की तैयारियों में बालको प्रबंधन… http://veerchhattisgarh.in/?p=10597
राखड़ ही है, जिसके चलते कोरबा देश का भले ही 17 वां सबसे प्रदूषित शहर है लेकिन जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि की बात को हवा में उड़ाने में कोरबा स्थित बालको प्रबंधन टापोंटॉप पर है.. एक नंबर पर परचम लहरा रहा है और यह कोई हवा-हवाई बात नहीं है, दस्तावेजों में है, नित घट रहा है।
